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एक समान पाठ्यक्रम लागू करने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय नहीं तैयार, बाकी सभी ने जताई सहमति

यूपी के राज्य विश्वविद्यालयों में शैक्षिक सत्र 2021-22 से स्नातक स्तर पर 70 फीसद समान पाठ्यक्रम लागू करने के प्रस्ताव पर ज्यादातर विश्वविद्यालय सहमत हैं। उच्च शिक्षा विभाग को विश्वविद्यालयों की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में ज्यादातर इसके पक्ष में हैं। सिर्फ लखनऊ विश्वविद्यालय ने इसका विरोध किया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 08:15 AM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 08:48 AM (IST)
एक समान पाठ्यक्रम लागू करने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय नहीं तैयार, बाकी सभी ने जताई सहमति
एक समान पाठ्यक्रम लागू करने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय तैयार नहीं है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में शैक्षिक सत्र 2021-22 से स्नातक स्तर पर 70 फीसद एक समान पाठ्यक्रम लागू करने के प्रस्ताव पर ज्यादातर विश्वविद्यालय सहमत हैं। 30 प्रतिशत कोर्स खुद विश्वविद्यालय तय करेंगे। उच्च शिक्षा विभाग को विश्वविद्यालयों की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में ज्यादातर इसके पक्ष में हैं। सिर्फ लखनऊ विश्वविद्यालय ने इसका विरोध किया है। दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर के रजिस्ट्रार की ओर से रिपोर्ट भेजी गई कि इस पर अभी कुलपति की ओर से कोई दिशा-निर्देश नहीं मिला है। ऐसे में अभी तक इसे लागू करने पर कोई निर्णय नहीं हुआ है।

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उच्च शिक्षा विभाग की ओर से बीती 20 अप्रैल को सभी विश्वविद्यालयों को इस बाबत पत्र भेजा गया था। 13 सितंबर से शुरू हो रहे नए शैक्षिक सत्र 2021-22 से 70 फीसद समान पाठ्यक्रम लागू करने को लेकर विश्वविद्यालयों को आठ जून तक अपने बोर्ड आफ स्ट्डीज, संकाय परिषद व विद्या परिषद आदि से अनुमोदित कराने के बाद रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गए थे।

डा. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ, डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी, संर्पूणानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु, प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भइया) विश्वविद्यालय प्रयागराज, महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली व बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी में एक समान पाठ्यक्रम लागू करने के लिए विभिन्न कमेटियों से अनुमोदन ले लिया गया है या फिर प्रक्रिया जारी है।

लखनऊ विश्वविद्यालय की कला संकाय परिषद व विज्ञान संकाय परिषद ने एक समान पाठ्यक्रम को अस्वीकृत कर दिया है। वाणिज्य संकाय परिषद ने इसे सशर्त मंजूरी दी है और विधि संकाय चूंकि बार काउंसिल आफ इंडिया के दिशा-निर्देशों पर चलता है, इसलिए वहां भी यह लागू नहीं हो सकता। फिलहाल लविवि व गोरखपुर विवि को छोड़ ज्यादातर ने अपनी सहमति दे दी है।

दरअसल अभी एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय में विद्यार्थी के ट्रांसफर होने में पाठ्यक्रम एक समान न होने की अड़चन आती है। कम से कम 60 फीसद कोर्स एक समान होने पर ही संबंधित संकाय के डीन दाखिले पर मंजूरी दे सकते हैं। ऐसे में वह विद्यार्थी खासकर लड़कियां, जिनके पिता का तबादला दूसरे जिलों में हो जाता है, उन्हें कठिनाई होती है। फिलहाल सभी विश्वविद्यालयों में 70 प्रतिशत एक समान पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा और 30 फीसद कोर्स विश्वविद्यालय अपनी स्थानीय कला, संस्कृति व इतिहास को शामिल कर अपने स्तर पर तय कर सकते हैं।

पाठ्यक्रम तैयार कराने में मदद, अब विरोध : स्नातक में विभिन्न विषयों में एक समान पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों को जिम्मा सौंपा गया था कि वह इसे तैयार करें। स्नातक में कला, विज्ञान व वाणिज्य आदि विषयों को विश्वविद्यालयों को बांटा गया। लखनऊ विश्वविद्यालय को वनस्पति विज्ञान, प्राणि विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, गणित, मानवशास्त्र, कम्प्यूटर साइंस व भूगर्भ विज्ञान का जिम्मा दिया गया था। यहां के शिक्षकों ने कोर्स तैयार करने में तो मदद की, लेकिन अब वे समान पाठ्यक्रम का विरोध कर रहे हैं।


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