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विभाग के 'कटे' हाथ, अब कैसे हो प्रदूषण की रोकथाम-लखनऊ देश में दूसरे स्थान पर Lucknow News

कई वर्षों से नहीं हुई पर्यावरण से जुड़े विभागों में नियमित नियुक्ति। एक्यूआइ बढ़कर 374 पहुंचा कानपुर 379 के साथ अव्वल। दिल्ली और पश्चिमी यूपी को बारिश ने दिलाई राहत।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Fri, 29 Nov 2019 08:53 AM (IST)Updated: Fri, 29 Nov 2019 08:53 AM (IST)
विभाग के 'कटे' हाथ, अब कैसे हो प्रदूषण की रोकथाम-लखनऊ देश में दूसरे स्थान पर Lucknow News
विभाग के 'कटे' हाथ, अब कैसे हो प्रदूषण की रोकथाम-लखनऊ देश में दूसरे स्थान पर Lucknow News

लखनऊ [रूमा सिन्हा]। प्रदेश में पर्यावरण चिंताजनक स्थिति में है और जिम्मेदार सिर्फ बातों, योजनाओं तक ठहरे हैं। आलम यह है कि जिन विभागों पर प्रदूषण की रोकथाम की जिम्मेदारी है, उनके हाथ ही 'कटे' हुए हैं। पर्यावरण निदेशालय में ही वर्ष 2015 से नियमित निदेशक नहीं है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में बीते सात सालों से नियमित सदस्य सचिव की तैनाती नहीं हुई है। यही नहीं, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा गठित स्टेट एंवायरमेंट इंपेक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (एसइआइएए) और स्टेट एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी (एसइएसी) में भी कमोवेश यही स्थिति है।

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सरकारों का पर्यावरण जैसे अहम महकमें के प्रति बेरुखी का आलम यह है कि एक अधिकारी को छह प्रमुख पदों की जिम्मेदारी ढोने के लिए लगा दिया गया है। पर्यावरण विभाग और वन विभाग के विशेष सचिव आशीष तिवारी के पास दोनों विभागों के साथ-साथ पर्यावरण निदेशक, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव का भी कार्यभार है। यही नहीं, वह एसइआइएए के सदस्य सचिव होने के साथ एसइएसी के सचिव भी हैं। 

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, यह दोनों जिम्मेदारी किसी एक व्यक्ति को नहीं सौंपी जा सकती। इसलिए क्योंकि कमेटी नाम का प्रस्ताव करती है और अथॉरिटी ही मुहर लगाती है। ऐसे में स्पष्ट है कि एक व्यक्ति पदों की जिम्मेदारी के साथ चाहते हुए भी पूर्ण न्याय नहीं कर सकता। जानकार बताते हैैं, विभागों में अनदेखी के कारण भी सूबे में वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण हो या औद्योगिक प्रदूषण... बुरी स्थिति में है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी दरकिनार

सुप्रीम कोर्ट की ओर से अक्टूबर, 2017 में आदेश दिए गए थे कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्य के लिए शासन नियम बनाए। छह माह के भीतर नियुक्ति पूरी करे। बावजूद आदेश का अनुपालन दो साल बाद भी नहीं किया जा सका है। 

प्रदूषण की रेस में देश में दूसरे स्थान पर लखनऊ 

गुरुवार को लखनऊ कुछ और आगे बढ़कर देश में दूसरे स्थान पर पहुंच गया। कानपुर देश का सर्वाधिक प्रदूषित शहर रहा, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 379 रिकार्ड हुआ। वहीं, लखनऊ दूसरे स्थान पर रहा। यहां एक्यूआइ 374 रिकार्ड हुआ। बीते तीन दिनों से राजधानी में हवाएं बहुत प्रदूषित हैं। यहां एक्यूआइ लगातार बढ़ रहा है। 

वहीं दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बारिश ने प्रदूषण से राहत दिलाई। दिल्ली में लंबे समय के बाद एक्यूआइ 106 रिकार्ड किया गया। दिल्ली ही नहीं गाजियाबाद में एïक्यूआइ 105, ग्रेटर नोएडा में 110 और नोएडा में 101 रहा। वहीं मेरठ में एक्यूआइ सुरक्षित सीमा 87 और बुलंद शहर में 97 रिकार्ड किया गया। मुरादाबाद  में भी वायु प्रदूषण से लोगों को निजात मिली। गुरुवार को एक्यूआइ 197 दर्ज हुआ। गोमती नगर के विराम खंड में बीते दो माह से खुदे पड़े गड्ढों से लोगों को होने वाली परेशानी बनी हुई है। यहां दिन भर धूल उड़ा करती है जिससे लोग परेशान हैं। इस संबंध में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नोटिस देकर दायित्वों की पूर्ति कर ली। स्थिति यह है कि बोर्ड द्वारा दिए गए नोटिस के बाद भी स्थितियां जस की तस हैं। 

उत्तरी पश्चिमी हवा बढ़ाएगी सर्दी

मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश में कश्मीर में बने पश्चिमी विक्षोभ का असर अब खत्म हो चुका है। सिसे उत्तर पश्चिमी हवाएं जोर पकड़ेंगी। ठंडी हवाओं से तापमान में कमी आएगी और मौसम ठंडा होगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी शुक्रवार से बादलों की आवाजाही तो रहेगी लेकिन बारिश की संभावना अब नहीं है। 


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