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लखनऊ में लोहिया संस्थान के डाक्टर गंदगी और दुर्गंध में रहने को विवश,सीएम पोर्टल पर शिकायत

लोहिया संस्थान के पीछे बना फैकल्टी आवास इन दिनों दुर्दशा का शिकार है। इसके मुख्य गेट के दोनों तरफ महीनों से गंदा पानी जमा है जिससे भीषण दुर्गंध उठने के साथ संक्रामक बीमारियों का खतरा है। इस सीजन में कई डॉक्टरों के बच्चे डेंगू के शिकार भी हो चुके हैं।

By Dharmendra MishraEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 01:22 PM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 01:46 PM (IST)
लखनऊ में लोहिया संस्थान के डाक्टर गंदगी और दुर्गंध में रहने को विवश,सीएम पोर्टल पर शिकायत
मुख्यमंत्री पोर्टल तक पर की जा चुकी है, लेकिन अभी तक समस्या का निवारण नहीं किया जा सका है।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। लखनऊ में गोमतीनगर स्थित डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के पीछे चिकित्सकों के लिए बना फैकल्टी आवास इन दिनों दुर्दशा का शिकार है। इसके मुख्य गेट के दोनों तरफ महीनों से गंदा पानी जमा है, जिससे भीषण दुर्गंध उठने के साथ संक्रामक बीमारियों और मच्छरों का प्रकोप भी झेलना पड़ रहा है। इस गंदगी के कारण कई चिकित्सकों के बच्चे डेंगू के शिकार भी हो चुके हैं। इतना ही नहीं कार पार्किंग के लिए बने बेसमेंट में पानी भरे रहने और करंट उतरने से इसे करीब एक वर्ष से बंद कर दिया गया है। इससे पार्किंग की भी दिक्कत हो रही है।

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आवास जर्जर हो चुके हैं। दीवारों में फंगस लगे हैं। प्लास्टर झड़ रहा है। कई बार प्लास्टर के टुकड़े टूट कर गिरते रहते हैं। इससे चोट लगने का खतरा भी बना रहता है। इसकी शिकायत संबंधित विभागों के अतिरिक्त मुख्यमंत्री पोर्टल तक पर की जा चुकी है, लेकिन अभी तक समस्या का निवारण नहीं किया जा सका है।

छह साल में ही खस्ताहाल भवनः वर्ष 2015 में चिकित्सकों के लिए बनकर तैयार हुआ यह भवन छह वर्ष में ही जर्जर भी हो चुका है। इसके अंदर और बाहर की दीवारों पर फंगस उग आए हैं। प्लास्टर उखड़ चुका है। कई फ्लैट में छत का प्लास्टर भी टूट-टूटकर नीचे गिरता रहता है। इससे हर वक्त खतरे का अंदेशा भी बना रहता है। परिसर के अंदर की सड़कें भी टूटी पड़ी हैं। इस भवन में कुल 72 फ्लैट हैं।

35 हजार तक देते हैं किरायाः डाक्टर एक फ्लैट का किराया डॉक्टर प्रति माह 15 से 35 हजार रुपये तक चुका रहे हैं। बावजूद सुविधाओं का बुरा हाल है। डॉक्टरों के परिवारजनों के मुताबिक फैकल्टी भवन के पीछे झोपड़पट्टी में रहने वाले लोग दीवारों के पास आकर रोज सुबह मलत्याग करते हैं। इससे दुर्गंध फैली रहती है। संक्रमण का खतरा भी बना है। परिसर में साफ-सफाई का बुरा हाल है। यहां एक माली दो सफाई कर्मी और चार गार्ड हैं। बावजूद जीने से लेकर परिसर में गंदगी की भरमार है। पहले फैकल्टी भवन के पीछे फैक्ट्री के धुएं से भी लोग परेशान थे। दैनिक जागरण की पहल पर फैक्ट्री के धुएं से डाक्टरों को राहत मिल सकी थी।

समस्या पर नहीं हो रही सुनवाईः लोहिया संस्थान के सीएमएस डा. राजन भटनागर ने कहा कि इन समस्याओं के बारे में कई बार संबंधित विभागों को लिखा जा चुका है। अभी तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है। आइजीआरएस पोर्टल पर भी शिकायत की गई है। अब एलडीए ने जर्जर भवन के मरम्मत का भरोसा दिया है।


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