Teachers Day: शबाना आजमी ने लखनऊ के प्राथमिक विद्यालय को बनाया कांवेंट स्कूल, पढ़ने के लिए खिंचे चले आए बच्चे
बिना किसी सरकारी मदद से खुद के प्रयास से संवारे इस स्कूल को देखकर अब लोग अपने बच्चों का दाखिला कराने के लिए उत्साहित हैं। हम बात कर रहे हैं शबाना आजमी की। शबाना का कहना है कि सरकार हमें शिक्षा का प्रसार करने के लिए वेतन देती है।
लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। पांच सितंबर को शिक्षक दिवस पर हम आपको एक ऐसी शिक्षिका से मिलवाते हैं जिसने चिनहट के धुबैला प्राथमिक विद्यालय की सूरत बदलकर कांवेंट स्कूल के समकक्ष लाकर खड़ा कर दिया। बिना किसी सरकारी मदद से खुद के प्रयास से संवारे इस स्कूल को देखकर अब लोग अपने बच्चों का दाखिला कराने के लिए उत्साहित हैं। हम बात कर रहे हैं शबाना आजमी की।
शबाना का कहना है कि सरकार हमें शिक्षा का प्रसार करने के लिए वेतन देती है। ऐसे में हमारा फर्ज भी है कि इसके बदले हम कुछ ऐसा करें जिससे सरकार की सब पढ़ें सब बढ़ें अभियान को गति मिल सके। दो साल पहले मैं जब यहां आई तो इसकी बदहाली देखी नहीं गई।
बच्चों की संख्या भी कम थी। बैठने का इंतजाम भी नहीं था। इसके बाद कोरोना संक्रमण के चलते स्कूल बंद हो गए। उसी बीच मुझे मौका मिला और मैंने स्कूल को बच्चों के अनुरूप संवारने की शुरुआत कर दी। एक सितंबर को स्कूल खुला तो बच्चे कक्षाएं देखकर खुश हो गए। बच्चों को लुभाने के लिए दीवारों के साथ ही फर्नीचर को बच्चों के अनुरूप तैयार कर दिया है। प्रोजेक्टर से पढ़ाई होती है जिसे देखकर बच्चे भी काफी खुश हैं। उनका कहना है कि पैसे से ज्यादा आपकी सोच आपको इस बदलाव के लिए प्रेरित करती है।
बालिकाओं को देती हैं अलग से शिक्षा: शाबाना यहां बालिकाओं को पढ़ाई के साथ ही सिलाई कढ़ाई और ब्यूटीशियन की अलग से शिक्षा देती हैं। उनका कहना है कि पढ़ाई के बाद खाली समय में एक घंटे अतिरिक्त समय देकर प्रशिक्षण देती हूं। पढ़ाई के साथ-साथ वह तकनीकी ज्ञान भी सीख सकें इसी मंशा को लेकर प्रशिक्षण देती हूं। पहले मैंने खुद सीखा और फिर इन्हें सिखाने लगी। इससे पहले भी वह सैदापुर प्रथम के प्राथमिक विद्यालय को आदर्श विद्यालय बनाकर अपनी पहचान बना चुकी हैं। शिक्षा के अधिकार के लिए उन्हें राजधानी के कई ब्लाकों में बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करने के लिए बुलाया जाता है। शिक्षिका के तौर पर अपनी अलग पहचान बनाने वाली शबाना कभी भी किसी भी समय खुद को तैयार रखती हैं। इसके चलते उन्हें कई बार सरकारी व गैर सरकारी संगठनों की ओर से पुरस्कृत भी किया जा चुका है।