सत्तर एकड़ भूमि पर नगर निगम की बड़ी जीत, साधारण ब्याज के साथ वापस होगी लीज की रकम
लखनऊ नगर निगम से कुकरैल बंधे की जमीन के लिए मेसर्स अंसल हाउसिंग ने मांगा था पचास करोड़ का क्लेम।
लखनऊ, जेएनएन। कुकरैल बंधे के पास खाली पड़ी जमीन पर नगर निगम की बड़ी जीत हुई है। यह जमीन हाउसिंग योजना के लिए मेसर्स अंसल हाउसिंग को दी गई थी, लेकिन नियमों का पालन होने पर नगर निगम ने लीज डीड को निरस्त कर दिया था। मेसर्स अंसल हाउसिंग की तरफ से जमीन के बदले मांगी गई रकम के क्लेम को ऑर्बिटेटर कोर्ट ने खारिज कर दिया है। यह जमीन काफी कीमती है और गोमती बैराज के बगल से कुकरैल पुल के किनारे हैं। पास में ही एल्डिको कॉलोनी और फन मॉल भी है। नगर निगम की अपर नगर आयुक्त डॉ.अर्चना द्विवेदी ने बताया कि ऑर्र्बिटेटर कोर्ट का निर्णय आ गया है और नगर निगम अब मेसर्स अंसल हाउसिंग को साधारण ब्याज के साथ लीज रकम वापस करेगा।
इस मामले में पैरवी कर रहीं नगर निगम की तहसीलदार सविता शुक्ला ने बताया कि कई चरण पर कानूनी लड़ाई के बाद ही नगर निगम की जीत हुई है। मेसर्स अंसल हाउसिंग को हाउसिंग योजना के लिए 1993 में नगर निगम ने 70 एकड़ भूमि लीज पर दी थी। हाउसिंग योजना न लाए जाने पर नगर निगम ने 1999 में मेसर्स अंसल हाउसिंग की लीज को निरस्त कर दिया था। यह मामला हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट तक गया और नगर निगम की जीत हो गई। मेसर्स अंसल ने लीज खत्म करने के एवज में पचास करोड़ क्लेम किया था। उसका तर्क था कि हाउसिंग योजना के लिए उसने सड़कों का भी निर्माण किया था। कोर्ट के आदेश पर यह मामला ऑर्बिटेटर कोर्ट गया था। लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट के न्यायमूर्ति जस्टिस एसयू खान ने मेसर्स अंसल के पचास करोड़ के क्लेम को खारिज कर दिया है। कोर्ट के आदेश के तहत अब नगर निगम को लीज 42.50 लाख रकम पर ब्याज संग रकम लौटानी होगी। इसमें 1993 से 2005 तक 12 प्रतिशत ब्याज और 2005 के बाद से अब तक दस प्रतिशत साधारण ब्याज देना होगा। यह रकम करीब पौने दो करोड़ के आसपास होगी। नगर आयुक्त डॉ.इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि जमीन कीमती है और पॉश इलाके में है। लंबी कानूनी लडाई के बाद नगर निगम की बड़ी जीत हुई है।
आगे विचार होगा
मेसर्स अंसल हाउसिंग के वकील महेसर नियाजी का कहना है कि कोर्ट ने डिपॉजिट रकम पर ही साधारण ब्याज देने का आदेश दिया है। इस आदेश के खिलाफ आगे आवेदन किया जाएगा, इस पर अभी विचार चल रहा हैं।
सेना से भी है विवाद
इस जमीन के मालिकाना हक को लेकर सेना और नगर निगम में भी विवाद है। हालांकि सेना से जमीन के बदले जमीन छोडऩे पर सहमति बन गई है।