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लखनऊ के कथक केंद्र का होगा जीर्णोद्धार, विदेश के कलाकार भी ले सकेंगे ऑनलाइन प्रशिक्षण

उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के कथक केंद्र से नृत्य जगत के तमाम दिग्गज लोगों का नाम जुड़ा रहा। यहां के कलाकारों ने देश-विदेश में लखनवी कथक का नाम विख्यात किया। अब कथक केंद्र आफलाइन के साथ अब आनलाइन मोड पर भी काम करने की तैयारी में है।

By Dharmendra MishraEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 01:33 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 01:33 PM (IST)
लखनऊ के कथक केंद्र का होगा जीर्णोद्धार, विदेश के कलाकार भी ले सकेंगे ऑनलाइन प्रशिक्षण
लखनऊ कथक केंद्र में अब विदेशी कलाकार ले सकेंगे आनलाइन प्रशिक्षण।

लखनऊ, जासं। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के कथक केंद्र से नृत्य जगत के तमाम दिग्गज लोगों का नाम जुड़ा रहा। यहां से निकलकर तमाम कलाकारों ने देश-विदेश में लखनवी कथक का नाम विख्यात किया। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी का कथक केंद्र जल्द अब नये रूप में दिखाई देगा। कथक केंद्र आफलाइन के साथ अब आनलाइन मोड पर भी काम करने की तैयारी में है। कथक केंद्र से प्रदेश ही नहीं देश-विदेश के कलाकार निरंतर ऑनलाइन प्रशिक्षण ले सकेंगे। कथक केंद्र में स्टेज, लाइट, साउंड, कंप्यूटर, स्मॉर्ट स्क्रीन डिस्प्ले की आधुनिक व्यवस्था होगी।

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उप्र संगीत नाटक अकादमी के सचिव तरुण राज ने बताया कि कथक केंद्र का जीर्णोद्धार शुरू हो गया है। लगभग पांच लाख की धनराशि से केंद्र की मरम्मत होगी। नये सत्र में कथक केंद्र अपने अत्याधुनिक स्वरूप में दिखाई देगा। इससे कला विशेषकर संगीत प्रेमियों के बीच इसकी पहुंच बढ़ेगी। कथक केंद्र का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है। उप्र संगीत नाटक अकादमी के कथक केंद्र की स्थापना कथक गुरु पं लच्छू महाराज ने वर्ष 1972 में की थी। केंद्र में कथक सम्राट लच्छू महाराज, पदमश्री पं बिरजू महाराज, नृत्यांगना दमयंती जोशी, कपिलाराज, अर्जुन मिश्र और सुरेंद्र सैकिया ने अपनी सेवाएं दीं हैं। 

पंडित बिरजू महाराज की जयंती पर कार्यक्रम पांच को पंडित बिरजू महाराज अपना जन्मदिन वसंत पंचमी के दिन मनाते थे। इस बार इनकी पहली जयंती पर लखनऊ के कलाकार उन्हें नृत्यांजलि अर्पित करेंगे। उप्र संगीत नाटक अकादमी के कथक केंद्र में पांच फरवरी बसंत पंचमी को पदमविभूषण पं बिरजू महाराज की पहली जयंती पर श्रद्धांजलि स्वरूप कार्यक्रम होगा। जिसमें कथक केंद्र के कलाकार उनकी लिखीं बंदिशों पर नृत्य सरंचनाएं की प्रस्तुतियां करेंगे। उनकी बंदिशों की सांगीतिक प्रस्तुति भी होगी। पं बिरजू महाराज का जन्म बसंत पंचमी को हुआ था।


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