चुनाव आयोग के सिंबल आवंटन अधिकार को चुनौती, लखनऊ हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब
याचिका में कहा गया था कि सिंबल आर्डर के उपरोक्त तीनों पैराग्राफ के तहत चुनाव आयोग स्वयं चुनाव चिह्न आवंटन का कार्य करता है जबकि कंडक्ट आफ इलेक्शन रूल्स 1961 के पैरा 10 के अनुसार यह कार्य चुनाव अधिकारी का है।
लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने चुनाव आयोग को चुनाव चिह्न आवंटन का अधिकार प्रदान करने वाले 'सिंबल आर्डर 1968 के पैराग्राफ 10, 10 ए व 10 बी को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर छह सप्ताह में जवाब मांगा है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी तय की है। यह आदेश चीफ जस्टिस गोविंद माथुर व जस्टिस रमेश सिन्हा की पीठ ने श्रद्धा त्रिपाठी की ओर से दाखिल याचिका पर दिया। याचिका में कहा गया था कि सिंबल आर्डर के उपरोक्त तीनों पैराग्राफ के तहत चुनाव आयोग स्वयं चुनाव चिह्न आवंटन का कार्य करता है जबकि 'कंडक्ट आफ इलेक्शन रूल्स 1961 के पैरा 10 के अनुसार यह कार्य चुनाव अधिकारी का है। कहा गया कि सिंबल आर्डर के प्रविधान रूल्स 1961 के प्रविधानों के विपरीत होने के कारण रद किए जाएं।
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याची ने कहा कि सिंबल आर्डर के प्रविधानों के तहत चुनाव आयेाग राजनीतिक दलों को तो पहले से ही चुनाव चिह्न आवंटित कर देता है किंतु निर्दलीय प्रत्याशियों को यह चिह्न नामांकन के बाद ही मिल पाता है। चुनाव आयोग की ओर से कहा गया कि याचिका पोषणीय नहीं है और यह विवाद सुप्रीम कोर्ट पहले ही तय कर चुका है। कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि हमें उचित लगता है कि इस प्रकरण में आयोग का प्रतिशपथपत्र दाखिल होना चाहिए। इसके बाद कोर्ट ने आयोग को छह सप्ताह में प्रतिशपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दे दिया।