Lucknow High Court: पीएफआइ सदस्य के खिलाफ विवेचना में पक्षपात नहीं, एटीएस पर आरोप लगा सीबीआइ जांच की मांग की गई थी
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने केरल के पीएफआइ सदस्य की सीबीआइ जांच की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने यह तर्क मानने से इनकार कर दिया कि योगी सरकार के अधिकारीगण व एटीएस के अफसरों ने उसके खिलाफ दुर्भावना व पक्षपात करके विवेचना पूरी की।
लखनऊ, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने केरल के पीएफआइ सदस्य की सीबीआइ जांच की मांग वाली एक याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने उसका यह तर्क मानने से इनकार कर दिया कि योगी सरकार के अधिकारीगण व एटीएस के अफसरों ने उसके खिलाफ दुर्भावना व पक्षपात करके विवेचना पूरी की। कोर्ट ने कहा कि पोर्टल पर साउथ टेरर शब्द का प्रयोग करने मात्र से यह नहीं कहा जा सकता कि जांच एजेंसी ने पक्षपात किया। यह आदेश जस्टिस डी के उपाध्याय व जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने पीएफआइ के सदस्य अंसद बदरूद्दीन की ओर से उसके भाई अजहर द्वारा दाखिल याचिका को खारिज करते हुए पारित किया।
याची के अधिवक्ताओं मोहम्मद ताहिर व एस एम अलवी ने मामले की विवेचना सीबीआइ से कराने की मांग करते हुए कहा था कि प्रदेश की एजेंसिया पक्षपात कर रही हैं, क्योंकि याची पीएफआइ का सदस्य है। कहा गया कि विवेचना पूरी करके आरोपपत्र भी लगा दिया गया है जबकि एटीएस को विवेचना का हक नहीं था। न ही संबंधित कोर्ट केा संज्ञान लेने का क्षेत्राधिकार था। कोर्ट ने सारे तथ्यों पर गौर करने के बाद कहा कि विवेचना पूरी हो चुकी है और आरोपपत्र पर संज्ञान लिया जा चुका है। याची ऐसा कोई तथ्य नहीं पेश कर सके जिससे कि प्रतीत होता कि राज्य सरकार व एटीएस ने पक्षपाती होकर कार्य किया। हालांकि पीठ की ओर से जस्टिस श्रीवास्तव ने फैसला लिखाते समय अपने आदेश में भावना प्रकट करते हुए कहा कि साउथ टेरर जैसे शब्द के प्रयोग को वह अमान्य करते हैं।