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लखनऊ विकास प्राधिकरण ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए उठाया बड़ा कदम, जानें-क्या है एलडीए वीसी का प्लान

एलडीए भ्रष्टाचार रोकने के साथ ही आवंटियों की समस्याओं को एक निर्धारित अवधि में दूर करने के लिए वृहद योजना तैयार की है। योजना के तहत अब सारा काम आनलाइन होगा। प्रारंभिक तौर पर लविप्रा के आइटी शाखा ने लविप्रा उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी के समक्ष पूरा खाका बनाकर रखा है।

By Vikas MishraEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 09:28 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 03:14 PM (IST)
लखनऊ विकास प्राधिकरण ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए उठाया बड़ा कदम, जानें-क्या है एलडीए वीसी का प्लान
प्रारंभिक तौर पर लविप्रा के आइटी शाखा ने लविप्रा उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी के समक्ष पूरा खाका बनाकर रखा है।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) भ्रष्टाचार रोकने के साथ ही आवंटियों की समस्याओं को एक निर्धारित अवधि में दूर करने के लिए वृहद योजना तैयार की है। योजना के तहत अब सारा काम आनलाइन होगा। कुल मिलाकर जिन फाइलों की चाल बेहद धीमी होती थी, अब वह न सिर्फ तेज होगी बल्कि संबंधित कर्मचारी का प्रमोशन, वेतन बढ़ोत्तरी भी उसके कार्य को देखकर की जाएगी। प्रारंभिक तौर पर लविप्रा के आइटी शाखा ने लविप्रा उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी के समक्ष पूरा खाका बनाकर रखा है। अगर यह व्यवस्था लागू होती है तो लविप्रा की लाखों फाइलें जो आवंटियों से जुड़ी हैं, उनका ब्योरा आगामी दो से पांच साल में आनलाइन होगा। कोई भी अफसर व बाबू फाइल का ब्योरा डालकर उसकी स्थिति को जान सकेगा।

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लविप्रा उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने बताया कि इस व्यवस्था को बनाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करना होगा। इसके लिए लविप्रा के हर अनुभाग में कंप्यूटर चाहिए होंगे। अब यह व्यवस्था बनाने के लिए चरणबद्ध योजना बनाई जा रही है। जेम्स पोर्टल के जरिए करीब ढाई सौ कंप्यूटर खरीदने की तैयारी है। उद्देश्य है कि कम से कम लागत में बेहतर कम्प्यूटर खरीदे जाए। इसके साथ ही संपत्ति में तैनात सैकड़ों बाबुओं के डिजिटल हस्ताक्षर बनवाए जाएंगे। सामान्य तौर पर एक डिजिटल हस्ताक्षर बनवाने में हजारों का खर्च आता है। यह सारी व्यवस्था को लागू करवाने में लविप्रा को डेढ़ करोड़ के आसपास खर्च करना होगा। फिर प्राधिकरण में भ्रष्टाचार की चाल धीमी हो जाएगी।

भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का बड़ा हथियारः लविप्रा में शायद ही कोई माह ऐसा हो, जब भ्रष्टाचार न हुआ हो। प्राधिकरण की छवि धूमिल आज तक होती रही है। इस नई व्यवस्था से भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगा और फाइलों की सही पोजिशन आनलाइन देखी जा सकेगी। बाबुओं व अफसरों को जवाब देना होगा कि आखिर फाइल इतने दिप तक क्यों रोके रखी ? इससे काम को गति मिलेगी और आवंटियों को राहत। वहीं प्राधिकरण की छवि आम जनमानस में कुछ सुधरेगी।

इस व्यवस्था को लेकर एक खाका तैयार किया गया है। अभी इस पर काम होना है। इस प्रयास से प्राधिकरण में पारदर्शिता और आएगी। आवंटियों के काम जहां समय पर होंगे, वहीं कर्मचारियों व अफसरों का भविष्य काम पर निर्भर करेगा। -अक्षय त्रिपाठी, उपाध्यक्ष, लविप्रा


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