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लखनऊ विकास प्राधिकरण आवंटी को वर्ष 1984 से नहीं दे पाया आवंटित प्लाट, नहीं हो रही सुनवाई

लखनऊ विकास प्राधिकरण की लापरवाही से आवंटी को 37 साल से प्लाट नहीं मिल रहा है। उपभोक्ता फोरम और हाईकोर्ट पीड़ित ओपी श्रीवास्तव को दूसरा प्लाट देने के आदेश दे चुके हैं। इसके बाद भी कानपुर रोड देख रहे संबंधित अफसर व बाबू सिर्फ कागजों का खेल खेलते रहे।

By Rafiya NazEdited By: Published: Thu, 03 Jun 2021 12:35 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jun 2021 08:00 PM (IST)
लखनऊ विकास प्राधिकरण आवंटी को वर्ष 1984 से नहीं दे पाया आवंटित प्लाट, नहीं हो रही सुनवाई
कानपुर रोड योजना में ओपी श्रीवास्तव को आवंटित हुआ था एलआइजी भवन, 37 साल बाद भी नहीं मिला।

लखनऊ [अंशू दीक्षित]। लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) वर्ष 1984 से अपने आवंटी ओपी श्रीवास्तव को आज तक भवन उपलब्ध नहीं करा पाया। ऐसे में श्रीवास्तव किराए के मकान में प्राधिकरण के कारण रहने को विवश है। यह हाल तब है जब उपभोक्ता फोरम और हाईकोर्ट दूसरा प्लाट देने के आदेश दे चुके हैं। इसके बाद भी कानपुर रोड देख रहे संबंधित अफसर व बाबू सिर्फ कागजों का खेल खेलते रहे। एक बार मानसरोवर योजना में 90 वर्ग मीटर का प्लाट देने का आश्वासन दिया गया और आवंटी को अवगत कराया गया कि मानसरोवर योजना के सेक्टर पी में 90 वर्गमीटर का भूखंड खाली है, सहमति दें तो समायोजन की कार्यवाही की जाए, आवंटी द्वारा दो दिन में सहमति देने के बाद भी आवंटन नहीं हुआ। आवंटी ने जब पूछा ऐसा क्यों किया गया तो इस पर प्राधिकरण का जवाब था किसी और को आवंटित कर दिया गया है, दोबारा आवंटी को डिवीजन स्तर से भूखंड के लिए प्रयास तेज करने की नसीहत दे दी गई।

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पीड़ित ओपी श्रीवास्तव को अपनी छत का आशियाना 37 साल बाद भी नहीं मिल सका। पूरा पैसा जमा होने के बाद यह हाल है। ओपी श्रीवास्तव वर्तमान में बीमार रहते हैं, उनके बेटे सुमित श्रीवास्तव ने बताया कि कानपुर रोड योजना में भवन संख्या 274 आवंटित हुआ था, लेकिन बाद में प्राधिकरण ने ही बिना कोई कारण बताए निरस्त कर दिया। अब प्राधिकरण के चक्कर अफसर लगवा रहे हैं। पीड़ित सुमित कुछ माह पहले सचिव पवन कुमार गंगवार से लेकर तत्कालीन संयुक्त सचिव ऋतु सुहास और विशेष कार्याधिकारी राजीव कुमार से मिल चुके हैं, सिर्फ आश्वासन ही अभी तक मिला है।

डीएम एवं उपाध्यक्ष लविप्रा अभिषेक प्रकाश ने बताया कि पूरा मामला सचिव को दिया गया है। दस्तावेजों का सत्यापन करवाने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। अगर भवन आवंटित हुआ है और कब्जा प्राधिकरण नहीं दे पाया है तो उचित कार्रवाई की जाएगी। 


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