LDA के सामुदायिक केंद्रों ने COVID-19 में बदले नियम, जानिए बुकिंग निरस्त होने पर क्या कटेंगे चार्ज
राजधानी में बढ़ते कोरोना कहर को देखते हुए लविप्रा इस बार भी मान के चल रहा है कि उसका इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान से आने वाले करोड़ों रुपये का राजस्व प्रभावित होगा। वहीं आउट सोर्सिंग पर दिए गए सामुदायिक केंद्र से कोई लाभ नहीं होने वाला।
लखनऊ [अंशू दीक्षित]। अगर आपके घर में कोई शुभ काम है और लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) के सामुदायिक केंद्र की बुकिंग करवा रखी है। तो उसकी निरस्तीकरण की जानकारी भी आपको होनी चाहिए। अगर सामुदायिक केंद्र की बुकिंग तुरंत और सात दिन पहले निरस्त करवाई जाती है तो एक पैसा भी लविप्रा वापस नहीं करता है। राजधानी में बढ़ते कोरोना कहर को देखते हुए लविप्रा इस बार भी मान के चल रहा है कि उसका इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान से आने वाले करोड़ों रुपये का राजस्व प्रभावित होगा। वहीं आउट सोर्सिंग पर दिए गए सामुदायिक केंद्र से कोई लाभ नहीं होने वाला। इसलिए लोगों को आगे की तिथियों में परिवर्तन अथवा स्थल परिवर्तन कराने पर जमा आरक्षण शुल्क की जानकारी दे रहा है। इस नियम में बीस फीसद धनराशि कटौती करके शेष पैसा समायोजन करने का नियम है। बशर्ते आगे की तिथि खाली हो।
लविप्रा के सचिव पवन कुमार गंगवार के मुताबिक सुबह दस बजे से लेकर दूसरे दिन सुबह दस बजे तक बुकिंग होती है। ऐसे में अगर आयोजनकर्ता शाम को कोविड 19 के अंतर्गत दिन में कार्यक्रम करना चाहता है और उसकी बुकिंग है तो कोविड 19 का पालन करते हुए वह प्रार्थना पत्र देकर आवेदन कर सकता है। स्थितियों को देखते हुए विचार किया जा सकता है। लखनऊ विकास प्राधिकरण राजधानी में करीब दो दर्जन से अधिक छोटे व बड़े सामुदायिक केंद्र की जिम्मेदारी संभाल रहा है।
बुकिंग निरस्त कराने पर क्या है नियम
- आयोजन तिथि से तीस दिन पहले : आरक्षण शुल्क का 30 प्रतिशत पैसा कटेगा
- आयोजन तिथि से बीस दिन पहले : आरक्षण शुल्क का 40 प्रतिशत पैसा कटेगा
- आयोजन तिथि से 15 दिन पहले : आरक्षण शुल्क का 50 प्रतिशत पैसा कटेगा
- आयोजन तिथि से 10 दिन पहले : आरक्षण शुल्क का 60 प्रतिशत पैसा कटेगा
- आयोजन तिथि से सात दिन पहले : आरक्षण शुल्क का 100 फीसद पैसा कटेगा
बिजली कनेक्शन के लिए तिथि बढ़ाने को आने लगे आवेदन: राजधानी में अप्रैल के तीसरे सप्ताह से सहालग शुरू होने जा रही है। ऐसे में अस्थायी बिजली कनेक्शन लेने वाले लोग शादियां निरस्त होने व तिथियां बढ़ने पर आगे पैसे का समायोजन व रिफंड मांग रहे हैं। इसको लेकर प्रार्थना पत्र आने शुरू हो गए हैं। यह हाल राजधानी के करीब करीब सभी खंडों का है।