Coronavirus News: सावधान! ठंड के मौसम में कोरोना वायरस को घातक बनाएगा प्रदूषण, सांस रोगियों को रहना होगा अधिक सतर्क
ठंड के समय में प्रदूषण के सूक्ष्मकण कोरोना वायरस के वाहक बन सकते है। कोरोना धुध और प्रदूषण की तिकड़ी लोगों के लिए घातक साबित हो सकती है। इसके साथ ही ठीक हो चुके गंभीर मरीजों में फेफड़े की समस्या की समस्या फिर से आ सकती है।
लखनऊ [संदीप पांडेय]। Lucknow Coronavirus News: ठंड के मौसम में प्रदूषण का और बढ़ना तय है। ऐसे में वातावरण में छायी धुंध कोरोना काल में घातक बन सकती है। कारण, इसमें मौजूद सूक्ष्म कण वायरस के वाहक बन सकते हैं। ऐसे में व्यक्तियों में जहां संक्रमण के प्रसार का खतरा अधिक होगा। वहीं, ठीक हो चुके गंभीर मरीजों में दूषित हवा फेफड़े की समस्या उभार सकती है। लिहाजा, आमजन को बदलते मौसम में सेहत का खास ध्यान रखना होगा।
लखनऊ की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक, प्रदूषण सेहत का सबसे बड़ा दुश्मन है। यह अस्थमा, सीओपीडी व हार्ट समेत कई रोगियों में जहां खतरा बढ़ाता है। वहीं, इस बार कोरोना संक्रमण के प्रसार व मरीजों की गंभीरता भी बढ़ा सकता है। डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक, कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के ड्रॉपलेट के संपर्क में आने पर दूसरे व्यक्ति में पहुंचता है। वहीं, प्रदूषण बढ़ने पर यही ड्रॉपलेट वातावरण में मौजूद सूक्ष्मकण (पीएम 2.5) पर आ जाएंगी। वहीं, व्यक्ति के सांस लेते वक्त 2.5 कण के साथ वायरस के भी शरीर में पहुंचने का खतरा रहेगा। लिहाजा, प्रदूषण के नियंत्रण को लेकर ठोस कदम उठाने लगे। साथ ही लोग मास्क भी अवश्य लगाएं।
कोरोना से कमजोर हुए फेफड़े की बढ़ेगी समस्या
डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक, कोरोना के गंभीर मरीजों के फेफड़े कमजोर हो रहे हैं। उनमें फाइब्रोसिस हो रहा है। इन मरीजों में प्रदूषण दिक्कतें बढ़ाएगा। उनमें सांस की समस्या बढ़ेगी। साथ ही, फेफड़े में बैक्टी रियल, फंगस इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ाएगा। ऐसे में प्रदूषण कोरोना वायरस के प्रसार के साथ-साथ ठीक हो चुके मरीजों के लिए भी मुश्किलें खड़ी करेगा।
इम्युनिटी को कमजोर करता है प्रदूषण
पल्मोनरी एंड क्रिटकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर ले. जनरल डॉ. बीएनबीएम प्रसाद के मुताबिक, 'प्रदूषण साइलेंट' किलर है। यह कोरोना मरीजों की समस्या बढ़ाने के साथ-साथ शरीर में कई रोगों को बढ़ावा देता है। इससे व्यक्ति के गले में खराश, आंख में लालिमा, बदन दर्द, सिर दर्द, स्किन एलर्जी की समस्या तो सामान्य है। वहीं, क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस भी हो जाती है। अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ा देता है। इसके अलावा विभिन्न बीमारियों की चपेट में आने से व्यक्ति की इम्युनिटी भी कमजोर होने लगती है। लिहाजा, व्यक्ति बार-बार संक्रमण की चपेट में आने लगता है। ऐसे में वह शारीरिक रूप से कमजोर हो जाता है। उसमें रोगों के प्रति लड़ने की क्षमता कमजोर हो जाती है।
वायु प्रदूषण से इन रोगों का खतरा अधिक नाक की एलर्जी, गले की एलर्जी, अस्थमा, सीओपीडी, लंग कैंसर, आंख की एलर्जी, क्रॉनिक सिरदर्द, माइग्रेन, ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, प्री-मैच्योर बेबी, लो बर्थ बेबी, बच्चों में बर्थ डिफेक्ट, पुरुषों में नपुंसकता, महिलाओं में बांझपन की समस्या।
सांस रोगी रखें ध्यान
- स्मोकिंग बिल्कुल न करें
- स्मोकिंग कर रहे व्यक्ति के पास न खड़े हों
- घर में अगर बत्ती, धूप बत्ती का धुआं न करें।
- तीक्ष्ण गंध वाले उत्पादों के प्रयोग से बचें
- घर की नियमित सफाई करें
- बिस्तर को प्रत्येक सप्ताह धूप में डालें।
- रोगी के कमरे में नमी बिल्कुल न रहे
- सोने वाले कमरे में अधिक सामान न हो
- वेंटिलेशन की व्यवस्था बेहतर हो
- हरी साग-सब्जी व मौसमी फलों का सेवन करें
- मसालेदार व तैलीय खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें
- पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करें। संभव हो तो उसे गुनगुना कर लें।