लखनऊ में बड़े रैकेट का राजफाश, फर्जी फर्म पर कर रहे थे करोड़ों का कारोबार; जानिए क्या है पूरा मामला
टैक्स चोरों ने जीएसटी में अस्तित्वहीन फर्मों के सहारे खेल करने का एक और सुराख खोज लिया है। कागज पर फर्म बना जीएसटी की चोरी की जा रही है। जीएसटी की प्रवर्तन टीम के हत्थे दो-दो ट्रक लगे जिन पर 67.92 लाख की सुपाड़ी लदी थी।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। टैक्स चोरों ने जीएसटी में अस्तित्वहीन फर्मों के सहारे खेल करने का एक और सुराख खोज लिया है। कागज पर फर्म बना जीएसटी की चोरी की जा रही है। इस बार जीएसटी की प्रवर्तन टीम के हत्थे दो-दो ट्रक लगे, जिन पर 67.92 लाख की सुपाड़ी लदी थी और उसे बेचने के प्रयास में थे। इससे पहले ही जीएसटी के प्रवर्तन दल ने पकड़ लिया। अधिकारियों के मुताबिक टैक्स और पेनाल्टी का करीब 37 लाख रुपया जमा कराया जा चुका है। शेष धनराशि भी जल्द जमा होगी।
एडीशनल कमिश्नर भूपेंद्र शुक्ला के निर्देश पर बीते माह प्रवर्तन दल के एसी प्रशांत सिंह, सीटीओ कपिलदेव तिवारी, विनोद पांडेय और धर्मेंद्र आदि अधिकारियों ने असम से दिल्ली आ रहे ट्रक संख्या यूपी78-सीटी3718 को जांच के लिए रोका। इस पर करीब 32.32 लाख रुपये कीमत की 338 बैग सुपाड़ी मिली। एक अन्य ट्रक संख्या यूपी16डी-8017 में 35.70 लाख की 140 बैग सुपाड़ी मिली। अधिकारियों के निर्देश पर जांच के लिए उसे जीएसटी कार्यालय ले आया गया। ज्वाइंट कमिश्नर अजय वर्मा के मुताबिक जो फर्म कागजातों पर दर्ज थीं वह केंद्र की थीं। जब केंद्र में दर्ज फर्मों की तलाश की गई तो पता चला कि फर्म पंजीकृत नहीं हैं। ई-वेबिल को खंगालने के बाद फासटैग से मदद लेने पर पता चला कि यह ट्रक असम से दिल्ली के लिए सुपाड़ी लेकर चले थे। अस्तित्वहीन फर्म को आपूर्ति दिखा खेल किया गया था। लेकिन कागजों की सघन पड़ताल में मामला पकड़ लिया गया।
तीन राज्य से निकाल लाए थे सुपाड़ीः टैक्स चोर तीन राज्यों से माल निकाल लाए थे। यूपी की राजधानी लखनऊ में इसे पकड़ लिया गया। हालांकि व्यापारी द्वारा बार-बार गुमराह किया गया लेकिन जब आपूर्ति की जाने वाली केंद्र की फर्म ही अनरजिस्टर्ड मिली तो उसके पास जवाब नहीं था।
अस्तित्वहीन फर्म के सहारे लाखों की सुपाड़ी बेचने की तैयारी थी। तकनीकी सघन जांच में मिलान के बाद टैक्स चोरी पकड़ी गई। करीब 37 लाख रुपया जमा कराया जा चुका है। बाकी धनराशि भी जल्द जमा कराई जा रही है। -भूपेंद्र शुक्ला, एडीशनल कमिश्नर जीएसटी