Allahabad High Court: लखनऊ बेंच कि टिप्पणी-मनगढंत खबरें नुकसान पहुंचाती हैं...पर गाइडलाइन बनाना हमारा काम नहीं
Allahabad High Court याची ने मांग की है कि मीडिया में गड़बड़ी पैदा करने वाले इस ट्रेंड को रोकने के लिए नीति बनाई जाए। कोर्ट ने कहा कि हमारा इरादा इस खतरे को रोकने की आवश्यकता को कम बताने का नहीं है लेकिन यह नीति निर्माण का विषय है।
लखनऊ, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक जनहित याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा कि झूठी व मनगढ़ंत खबरें समाज के लिए बड़ा खतरा है। इससे समाज को नुकसान पहुंचता है। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इन पर रोक के लिए गाइडलाइन बनाना नीति निर्माण से जुड़ा विषय है, जो इस कोर्ट के क्षेत्राधिकार में नहीं है। कोर्ट ने इन टिप्पणियों के साथ याचिका खारिज कर दी।
यह आदेश जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय व जस्टिस अब्दुल मोईन की खंडपीठ ने विष्णु कुमार श्रीवास्तव की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया। कोर्ट ने कहा कि याची ने मांग की है कि मीडिया में गड़बड़ी पैदा करने वाले इस ट्रेंड को रोकने के लिए नीति बनाने के निर्देश दिए जाएं। कोर्ट ने कहा कि हमारा इरादा समाज को नुकसान पहुंचाने वाले इस खतरे को रोकने की आवश्यकता को कम बताने का नहीं है, लेकिन यह नीति निर्माण का विषय है। कोर्ट ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जमीयत उलेमा बनाम भारत सरकार मामले में इसी विषय पर वृहद सुनवाई की जा रही है।
फेसबुक पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले के खिलाफ रासुका कोर्ट ने किया खारिज : इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने लखीमपुर निवासी मोहम्मद फैयाज मंसूरी के खिलाफ लगाया गया रासुका रद कर दिया है। कोर्ट ने संबधित अधिकारियेां केा आदेश दिया है कि यदि मंसूरी किसी अन्य केस में वांछित न हेा तो उसे तत्काल जेल से रिहा कर दिया जाये। यह आदेश जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस सरेाज यादव की पीठ ने मंसूरी की ओर से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को मंजूर करते हुए पारित किया। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने याची का प्रत्यावेदन निस्तारित करने में देरी किया और केवल इस आधार पर निरू द्ध आदेश खारिज होने येाग्य है।
याची के अधिवक्ता सुशील कुमार सिंह का तर्क था कि याची ने 5 अगस्त 2020 को फेसबुक पर लिखा था कि बाबरी मस्जिद एक दिन दुबारा बनायी जायेगी जिस तरह तुर्की की सोफिया मंस्जिद बनायी गयी थी। इसके बाद उस पर हिन्दु देवी देवताअेां के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की गयी। इस पर लखीमपुर खीरी के मुहम्मदी थाने पर मंसूरी के खिलाफ मुकदमा खिलकर उसे 8 अगस्त 2020 केा जेल भेज दिया गया। बाद में उस पर रासुका भी लगा दिया। सिंह का तर्क था कि रासुका लगाने में तकनीकी गलती की गयी जिस कारण निरू द्ध आदेश अवैध हो गया और लिहाजा मंसूरी के खिलाफ रासुका आदेश खारिज करते हुए उसे तत्काल रिहा किया जाये।