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कैट में लखनऊ के अंशुमान को 99.88 परसेंटाइल

आइआइएम बेंगलुरू द्वारा आयोजित कॉमन एडमिशन टेस्ट (कैट) का परिणाम सोमवार को जारी किया गया। इसमें राजधानी के मेधावियों ने अव्वल प्रदर्शन किया है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Tue, 10 Jan 2017 10:17 AM (IST)Updated: Tue, 10 Jan 2017 10:32 AM (IST)

लखनऊ ( जेेएनएन)। भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम) बेंगलुरू द्वारा आयोजित कॉमन एडमिशन टेस्ट (कैट) का परिणाम सोमवार को जारी किया गया। इसमें राजधानी के मेधावियों ने अव्वल प्रदर्शन किया है। आइआइएम में दाखिले के लिए आयोजित होने वाली कैट परीक्षा में मेधावियों में अधिकांश इंजीनियरिंग बैक ग्राउंड के हैं। कैट में अंशुमान सिंह 99.88, उत्कर्ष बक्शी ने 99.86, आशीष सिंह 99.79, पुलकित सचान ने 99.73 व आइईटी की बीटेक की छात्रा अनन्या वत्स ने 99.64 परसेंटाइल हासिल कर मेधा का परचम लहराया। विकासनगर निवासी देवांग श्रीवास्तव ने 99.58 व इंदिरानगर निवासी विभोर ने भी 99.58 परसेंटाइल हासिल किए हैं। वहीं राजधानी के सिद्धार्थ ने 99.39 परसेंटाइल, संचित ने 98.50 परसेंटाइल, तरुण ने 98.31 व रजत के 98.07 परसेंटाइल पाकर सफलता हासिल की है। ज्यादातर मेधावी इंजीनियरिंग बैक ग्राउंड के ही हैं। शहर के मेधावियों की पहली पसंद आइआइएम अहमदाबाद (ए), आइआइएम बेंगलूर (बी) व आइआइएम कोलकाता (सी) है।

अंशुमान सिंह,-99.88 परसेंटाइल
कैट परीक्षा में 99.88 परसेंटाइल हासिल करने वाले अंशुमान मूलत: इलाहाबाद के रहने वाले हैं। अंशुमान को यह सफलता दूसरे प्रयास में मिली। अंशुमान आइआइटी जोधपुर से 2016 में बीटेक पूरा करने के बाद अंशुमान ने कैट की तैयारी का मन बनाया, और उनकी मेहनत रंग लाई। अंशुमान बताते हैं कि उन्होंने पढ़ाई के लिए रोजाना तीन से चार घंटे दिया। कैट क्वालीफाई करने के लिए मॉक टेस्ट साल्व किया। कैट में श्रेष्ठ प्रदर्शन लाने वाले अंशुमान की आइआइएम अहमदाबाद, बेंगलुरु व कोलकता में को प्राथमिकता दे रहे हैं। अंशुमान बताते हैं कि उन्हें कंसल्टेंसी कंपनी में बेहतर मुकाम पर जाने की चाह है। अंशुमान के पिता आरके सिंह सिक्योरिटी ऑफिसर हैं। वह अपनी इस सफलता का श्रेय पिता व अपनी मां रेखा सिंह को मानते हैं।

उत्कर्ष बक्शी-99.86
राजधानी के आइईटी से बीटेक करने वाले उत्कर्ष बक्शी ने 99.86 परसेंटाइल हासिल किए। उत्कर्ष को यह सफलता पहले ही प्रयास में हाथ लगी। उत्कर्ष कहते हैं कि वह दिन में महज दो-तीन घंटे ही पढ़ाई करते हैं। मगर एकाग्रता के साथ, औरों की तरह उत्कर्ष भी आइआइएम अहमदाबाद, बेंगलुरु व कोलकाता की चाहत रखते हैं। वह खुद का व्यवसाय स्थापित कर लोगों को रोजगार मुहैया कराने की तमन्ना रखते हैं। उत्कर्ष अपनी इस सफलता का श्रेय अपने पिता विनय कुमार बक्शी व माता रागिनी बक्शी को देते हैं।


विभोर कुमार शर्मा-99.58 परसेंटाइल
इंदिरानगर निवासी विभोर को कैट की परीक्षा में 99.58 परसेंटाइल हासिल हुए। विभोर को यह कामयाबी दूसरे प्रयास में मिली है। विभोर ने वेल्लूर स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक मैकेनिकल में टॉप किया। वर्तमान में बेंगलुरू में प्राइवेट जॉब कर रहे विभोर का कहना है कि वह टाइम मैनेजमेंट के साथ रोजाना तीन-चार घंटे ही पढ़ाई करते हैं। विभोर के पिता विमल कुमार शर्मा रेलवे में अधिकारी व मां संगीता शर्मा गृहिणी हैं। बहन सौम्या सीए अंतिम वर्ष में है। विभोर ने अपनी इस सफलता का श्रेय बाबा रमेशचंद्र शर्मा व मां को दिया है।

टाइम टेबल का सख्ती से किया पालन : देवांग-99.58
एनआइटी जयपुर से बीटेक करने वाले देवांग श्रीवास्तव ने 99.58 परसेंटाइल हासिल किए। देवांग को यह सफलता भले ही दूसरे प्रयास में मिली हो, मगर वह अपने परिणाम से खुश हैं। फाइनेंस से एमबीए कर मल्टीनेशनल कंपनी में बड़े पद का सपना रखने वाले देवांग कहते हैं कि दिन में महज तीन-चार घंटे की गई पढ़ाई किसी भी परीक्षा में बेहतरीन परिणाम लाने के लिए पर्याप्त हैं। देवांग अपनी इस सफलता का श्रेय अपने पिता सुधीर कुमार श्रीवास्तव व मां अनीता को देते हैं।

जब मन करे तभी पढऩे बैठें : सिद्धार्थ गौतम-99.39
आइईटी से सिविल इंजीनियङ्क्षरग अंतिम वर्ष के छात्र सिद्धार्थ गौतम ने कैट की परीक्षा में 99.39 परसेंटाइल हासिल किए। सिद्धार्थ कहते हैं कि अक्सर लोग सुबह के समय में की गई स्टडी को अधिक लाभप्रद मानते जबकि मैं शाम को ही पढ़ाई करता था। रोजाना पांच-सात घंटे की पढ़ाई का नतीजा है कि सफलता मिली। वह कहते हैं कि आइआइएम ए,बी, सी में कहां से कॉल आती है, इसका पता नहीं, मगर उनका इरादा लखनऊ सेंटर में पढऩे का है। सिद्धार्थ अपनी इस सफलता का श्रेय पिता कमलेश कुमार गौतम व मां रूपरेखा गौतम को देते हैं।

नौकरी के साथ पढ़ाई में बैठाया बेहतर सामंजस्य : संचित-98.5 परसेंटाइल
कैट परीक्षा में 98.5 परसेंटाइल हासिल करने वाले संचित ने इस सफलता का मंत्र मेहनत व एकाग्रता बताया। एनआइटी भोपाल से प्रोडक्शन इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग से बीटेक गोल्ड मेडलिस्ट रहे संचित ने सप्ताह के पांच दिन नौकरी के लिए ओर दो दिन कैट की तैयारी में कोचिंग में इस्तेमाल किए। वह कहते हैं व्यक्ति अगर किसी भी काम को करने का दृढ़ संकल्प कर ले, तो बड़ी सी बड़ी बाधा घुटने टेकने को मजबूर हो जाती है। मलिहाबाद के कपड़ा व्यवसायी जयप्रकाश गुप्ता के बेटे संचित इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट स्किल से बहुराष्ट्रीय कंपनी को नया मुकाम देने की तमन्ना रखते हैं। संचित अपनी इस सफलता का श्रेय मां सुषमा गुप्ता को देते हैं।

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