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UPSEE में छाए लखनऊ के मेधावी, IAS तो कोई बनना चाहता है इंजीनियर

यूपीएसईई के परिणाम में बीटेक कैटेगरी में टॉप 100 रैंक में 10 प्रतिशत मेधावी लखनऊ के हैं।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Tue, 04 Jun 2019 10:18 AM (IST)Updated: Tue, 04 Jun 2019 12:38 PM (IST)
UPSEE में छाए लखनऊ के मेधावी, IAS तो कोई बनना चाहता है इंजीनियर
UPSEE में छाए लखनऊ के मेधावी, IAS तो कोई बनना चाहता है इंजीनियर

लखनऊ, जेएनएन। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) की ओर से इंजीनियरिंग समेत विभिन्न प्रोफेशनल कोर्सो में दाखिले के लिए आयोजित उत्तर प्रदेश राज्य प्रवेश परीक्षा (यूपीएसईई) में राजधानी के मेधावी छाए रहे। सोमवार को जारी परिणामों में बीटेक कैटेगरी में टॉप 100 रैंक में 10 प्रतिशत मेधावी लखनऊ के हैं। यूपीएसईई में बैचलर ऑफ फार्मेसी (बीफॉर्म) और बैचलर ऑफ आर्किटेक्ट (बीआर्क) में शहर के मेधावियों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। दोनो कोर्सो में टॉप टेन की सूची में शामिल एक भी मेधावी शहर के नहीं हैं।

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इंजीनियरिंग के बाद आइएएस अधिकारी बनूंगा - तेजस (नौवीं रैंक)

बीटेक में नवीं रैंक हासिल करने वाले तेजस इंजीनियर बनने के बाद आइएएस अधिकारी बनकर समाज की समृद्धि में भागीदार बनना चाहते हैं। सदर निवासी तेजस के पिता अशोक कुमार की मिठाई की दुकान है। इंटर में 95.25 फीसद अंक हासिल करने के बाद उन्होंने एक साल तक परीक्षा की तैयारी की। तीन से चार घंटे पढ़ाई के बाद मुङो यह रैंक मिली है। जेईमेन्स के बाद तय करेंगे कि एडमीशन कहां लेना है। मेरी मां ममता गृहणी होने के बावजूद मेरी पढ़ाई में मदद करती थीं।

 

सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहता हूं- अर्थराज (12वीं रैंक)

12वीं रैंक हासिल करने वाले तेलीबाग निवासी अर्थराज ने इसी वर्ष 12वीं की परीक्षा 94.25 फीसद से पास की। अर्थराज ने बताया कि साफ्ॅटवेयर इंजीनियर बनकर समाज को डिजिटल युग में ले जना चाहता हूं। मां सुमन गृहणी हैं। चार से पांच घंटे की पढ़ाई के बाद पहली बार परीक्षा दी और पास हो गया। कई और परीक्षाओं के परिणाम के बाद तय करूंगा कि मुङो कहां प्रवेश लेना हैं।

 

आइआइटी को देंगे प्राथमिकता -प्रत्युष सैनी (13वीं रैंक)

विकासनगर के रहने वाले प्रत्युष सैनी पहले ही आइआइटी में प्रदेश में पहली रैंक हासिल कर चुके हैं। जेई मेन्स के परिणाम के बाद ही वह आइआइटी में प्रवेश लेंगे। उनका कहना है कि आइआइटी उनकी प्राथमिकता में है और सबसे पहले वहीं प्रवेश लेंगे। चार से पांच घंटे ईमानदारी से पढ़कर परीक्षा पास की जा सकती है। पिता जी बिजनेस करते हैं।

 

छह घंटे की पढ़ाई में आ गई रैंक-सौरव (20वीं रैंक)

इंदिरानगर के रहने वाले सौरव के पिता गोपाल प्रसाद गुप्ता प्रोफेसर हैं और मां गृहणी हैं। उनका कहना है कि दोनों के सहयोग के साथ ही नाना-नानी की मेहनत से मैं सफल हुआ हूं। छह घंटे की पढ़ाई के बाद मेरी यह रैंक आई है। कई प्रतियोगी परीक्षाएं दी हैं और आइआइटी में प्रवेश लूंगा। बीटेक में प्रवेश का निर्णय अभी नहीं लिया है। अभी कई रिजल्ट आने बाकी हैं।

 

पहले एक अच्छा इंसान बनना चाहता हूं-प्रखर सिंह (32वीं रैंक)

विकास की भागदौड़ की इस जिंदगी में भविष्य के साथ ही युवा एक अच्छा इंसान बनने की तमन्ना भी रखता है। बीटेक की परीक्षा में 32वीं रैंक हासिल करने वाले कृष्णानगर के मानसनगर निवासी प्रखर सिंह प्रशासनिक सेवाओं में जाने के साथ ही एक अच्छा इंसान बनना चाहते हैं। पिता राम प्रकाश सिंह बिजली विभाग और मां सुनीता सिंह प्राइमरी स्कूल में शिक्षिका हैं। बड़ी बहन पूर्वा सिंह नौकरी करती है।

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