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अब सातों दिन सात रंग में नजर आएंगे रामलला, खादी सिल्क से तैयार डिजाइनर वस्त्र बढ़ाएंगे शोभा

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के बीच अब हर कोई अपने आराध्य को अपनी आर्थिक शक्ति के हिसाब से कुछ न कुछ समर्पित कर रहा है। अब रामलला के लिए सप्ताह के सात दिनों के लिहाज से प्रचलित सात रंगों के अलग-अलग अंगवस्त्र भी तैयार किए गए हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 19 Feb 2021 08:00 AM (IST)Updated: Fri, 19 Feb 2021 06:55 PM (IST)
अब सातों दिन सात रंग में नजर आएंगे रामलला, खादी सिल्क से तैयार डिजाइनर वस्त्र बढ़ाएंगे शोभा
रामलला के लिए सप्ताह के सात दिनों के लिहाज से सात रंगों के अलग-अलग अंगवस्त्र तैयार किए गए हैं।

अयोध्या, जेएनएन। रामनगरी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य और दिव्य मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद पूरे देश में जहां उत्सवी वातावरण है तो वहीं अब रामलला के श्रद्धालुओं की सेवा-सत्कार का सिलसिला भी जोर-शोर से शुरू हो गया है। हर कोई अपने आराध्य को अपनी आर्थिक शक्ति के हिसाब से कुछ न कुछ समर्पित कर रहा है। मंदिर निर्माण के लिए निधि समर्पण अभियान भी चल रहा है। राम मंदिर के लिए अब तक 1500 करोड़ रुपये से ज्यादा का धन एकत्रित हो चुका है। इसी क्रम में श्रद्धालुओं ने वसंत पंचमी पर रामलला को विशेष किस्म का पीत परिधान धारण कराया है। रामलला के लिए सप्ताह के सात दिनों के लिहाज से हिंदू धर्म में प्रचलित सात रंगों के अलग-अलग अंगवस्त्र भी तैयार किए गए हैं। ये सभी परिधान खादी सिल्क के हैं।

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से प्रख्यात फैशन डिजाइनर मनीष त्रिपाठी द्वारा तैयार की खादी सिल्क से बनी खास पोशाकों को प्रभु राम सहित माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी को धारण कराई गई है। खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. नवनीत सहगल ने बताया कि रामलला के यह वस्त्र खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के सहयोग से तैयार कराए गए हैं। बॉलीवुड कलाकारों के लिए ड्रेस डिजाइन करते रहे मनीष त्रिपाठी मूल रूप से अंबेडकरनगर के निवासी हैं।

खादी के प्रचार-प्रसार के साथ मिलेगा रोजगार : फैशन डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने बताया कि पिछले दिनों अवधनगरी गए तो मन में ख्याल आया कि प्रभु राम के लिए खादी के वस्त्र डिजाइन किए जाएं। इसके पीछे सोच यही थी कि खादी एकमात्र एथिकल फैब्रिक है। यह प्रभु को धारण कराने से खादी का प्रचार-प्रसार होगा। चूंकि भगवान से सभी की आस्था जुड़ी है, इसलिए इस तरह से खादी की स्वीकार्यता भी बढ़ेगी, जिससे खादी वस्त्रोद्योग से जुड़ी महिलाओं को भी काम मिलेगा। वह कहते हैं कि देश में हजारों-लाखों मंदिर हैं। यदि अयोध्या की तरह वहां सभी स्थलों पर भी खादी के वस्त्रों का प्रयोग शुरू होगा तो खादी को बढ़ावा मिलेगा। 

वस्त्र धारण कर निखर उठी रामलला की आभा : पिछले दिनों रामलला के प्रधान अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास ने अन्य अर्चकों के सहयोग से रामलला को नई पोशाक धारण कराई और नई पोशाक के साथ रामलला की आभा और निखर उठी। खादी  सिल्क से निर्मित यह पोशाक मनीष ने पूरे यत्न से तैयार की है। उन्होंने रामलला को धारण कराई गई पोशाक के अलावा सप्ताह के दिनों के रंगों के हिसाब से पोशाक के छह अन्य सेट भी अर्पित किए। वह कुछ दिनों पूर्व ही रामलला के दरबार में उपस्थित होकर पोशाक के आकार-प्रकार का आंकलन कर गए थे। उन्होंने बताया कि वसंत पंचमी के दिन के लिए पीले रंग की खास पोशाक तैयार करने के साथ सप्ताह के सात दिनों के लिहाज से हिंदू धर्म में प्रचलित सात रंगों के अलग-अलग अंगवस्त्र उन्होंने तैयार किए हैं। सभी परिधान खादी सिल्क के हैं।

राम मंदिर निर्माण की खुशी में श्रद्धालुओं का मुंह मीठा : अब राम भक्तों को दर्शन मार्ग पर ही बूंदी का बना लड्डू भेंट किया जाएगा, जो उत्साह के रंग का प्रतीक है। अनवरत रूप से पांच वर्ष तक श्रद्धालुओं को लड्डू बांटा जाएगा। इसका जिम्मा हैदराबाद की स्वयंसेवी संस्था ब्लेड रनर पवन कुमार फाउंडेशन ने उठाया है। इसके अध्यक्ष श्रीनिवास राव शर्मा के संयोजन में लड़्डू वितरित किया जाएगा। पहले चरण के लिए फाउंडेशन ने तीन हजार लड्डू निर्मित कराए थे। लड्डू निर्माण कार्य अयोध्या में ही अशोक सिंघल नगर में किया जाएगा। एक लड्डू का वजन 50 से 60 ग्राम है।

राम मंदिर की नींव की मिट्टी होगी संरक्षित : राम मंदिर के लिए हो रही नींव की खोदाई से निकलने वाली मिट्टी रामजन्मभूमि परिसर में ही स्थित कुबेरटीला एवं रामसेवकपुरम में संरक्षित की जाएगी। यह मिट्टी आस्था के साथ ही पुरातात्विक दृष्टि से भी अहम मानी जाती है। इस मिट्टी में समय-समय पर राम मंदिर से जुड़े प्राचीन अवशेष मिलते रहे हैं। भविष्य में भी यह मिट्टी पुरातात्विक अध्ययन में सहायक हो सकती है। 15 जनवरी से राम मंदिर की नींव चार सौ गुणे 250 फीट के क्षेत्र में खोदी जा रही है। नींव को मजबूती देने के लिए न केवल किनारों की मिट्टी हटाई जा रही है, बल्कि प्रस्तावित मंदिर की परिपूर्ण सतह खोदी जा रही है। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र के अनुसार अभी तक की खोदाई में करीब 130 ट्रक मिट्टी निकली है। इसे और आने वाले दिनों में निकलने वाली और मिट्टी चयनित दो स्थानों पर संरक्षित की जाएगी।


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