Move to Jagran APP

LockDown 3.0: नासिक से विशेष ट्रेन से लखनऊ पहुंचे 847 अप्रवासी कामगार अपने घरों को रवाना

LockDown 3.0 लॉकडाउन के कारण अपने घरों से हजारों किलोमीटर दूर फंसे आठ सौ से अधिक अप्रवासी कामगार विशेष ट्रेन से महाराष्ट्र के नासिक रोड रेलवे स्टेशन से लखनऊ पहुंचे।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sun, 03 May 2020 07:36 AM (IST)Updated: Sun, 03 May 2020 09:54 AM (IST)
LockDown 3.0: नासिक से विशेष ट्रेन से लखनऊ पहुंचे 847 अप्रवासी कामगार अपने घरों को रवाना
LockDown 3.0: नासिक से विशेष ट्रेन से लखनऊ पहुंचे 847 अप्रवासी कामगार अपने घरों को रवाना

लखनऊ, जेएनएन। कोरोना वायरस के संक्रमण में लम्बे लॉकडाउन के कारण अपने घरों से हजारों किलोमीटर दूर फंसे 847 अप्रवासी कामगार विशेष ट्रेन से महाराष्ट्र के नासिक रोड रेलवे स्टेशन से लखनऊ पहुंचे। इन सभी ने लखनऊ रेलवे स्टेशन पर उतरने के बाद एक स्वर से पीएम नरेंद्र मोदी के साथ उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की सराहना की। 

loksabha election banner

नासिक रोड रेलवे स्टेशन से लखनऊ पहुंचने वाले इन सभी अप्रवासी श्रमिकों का मेडिकल चेपअप किया गया। स्कैनिंग के बाद इन सभी को रेलवे स्टेशन प्रांगण में ही नाश्ता का पैकेट प्रदान किया गया। इस दौरान रेलवे व जिला प्रशासन के साथ ही परिवहन विभाग व स्वास्थ्य विभाग की टीमें काफी मुस्तैद थीं। इन सारी प्रक्रिया के बाद इन सभी को विशेष बसों से उनके जिलों के लिए रवाना किया गया। जहां पर यह सभी लोग 14 दिन पर क्वारंटाइन होम में रहने के बाद अपने-अपने घर जाएंगे। 

श्रमिक स्पेशल ट्रेन 02121 के यहां चारबाग रेलवे स्टेशन निर्धारित समय से सात मिनट पहले पहुंची ट्रेन के रुकते ही 42 दिन बाद रेल कर्मी भी काफी उत्साहित थे। रेल कर्मियों ने प्लेटफॉर्म नम्बर एक को बिल्कुल चमका दिया था। रेलवे स्टाफ भी इस दौरान शारीरिक दूरी का पालन करते हुए श्रमिकों को बीच-बीच में सतर्क कर रहे थे। 

रेलवे तथा जिला प्रशासन ने लखनऊ में दो दर्जन से अधिक मेडिकल स्टाफ को इनकी चेकिंग के लिए लगाया था। मेडिकल स्टाफ ने चारबाग स्टेशन के प्रवेश द्वार पर एक-एक श्रमिक की जांच की। इस दौरान कोई भी यात्री बुखार से पीडि़त नहीं पाया गया। लखनऊ पहुंचे श्रमिकों ने बताया उन्हें सफर के दौरान इटारसी में पूरी सब्जी और भुसावल में खिचड़ी दी गई थी। रेलवे कर्मी स्टॉपेज वाले स्टेशनों पर यात्रियों को शारीरिक दूरी बनाए रखने की सलाह दे रहे थे। 

नासिक से आए सभी यात्रियों को मेडिकल चेकअप के बाद बसों में बैठाया गया। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने इन सभी को इनके जिलों तक पहुंचाने के लिए 27 बसों का बेड़ा लगाया। बस में शारीरिक दूरी का पालन की प्रक्रिया के तहत इन सभी अप्रवासी कामगारों को बैठाया गया। एक बस में अधिकतम 25 से 28 यात्रियों को बैठाया गया। बस में भी इनको पानी के साथ भोजन का पैकेट दिया गया है। मास्क के साथ ही यात्रियों को रवाना किया गया। इन सभी ने यूपी सरकार का धन्यवाद अदा किया। इनमें से अधिकांश ने कहा कि अगर सीएम योगी आदित्यनाथ हमारी खबर न लेते तो हम लोग को कोई पूछने वाला नहीं था। इनमें से कोई मुंबई में ड्राइवर का काम करता है तो कोई मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा था। लॉकडाउन के कारण इन दिनों सब बंद होने के कारण यह लोग घरों में दुबके थे।  

मेडिकल जांच में लगे दो दर्जन

चारबाग रेलवे स्टेशन पर ट्रेन संख्या 02121 से आने वाले प्रत्येक यात्री की मेडिकल जांच भी की गई। रेलवे प्रशासन ने प्रवेश द्वार पर शारीरिक दूरी का पालन कराने के लिए सर्किल बनाए थे और 59 जिलों के श्रमिकों को अलग-अलग 11 लाइन में खड़ा करके उनका परीक्षण किया गया। करीब एक घंटा की जांच में सभी 847 यात्री स्वस्थ मिले। किसी को भी बुखार तक नहीं था। इसके बाद इनको एक-एक करने गृह जनपद जाने वाली बसों में बैठाया गया। 

17 कोच की ट्रेन में 847 यात्री

ट्रेन संख्या 02121 में श्रमिकों का ध्यान रखते हुए रेलवे प्रशासन ने 17 कोच की ट्रेन चलाई गई थी। इसमें पांच जनरल तथा 12 स्लीपर कोच थे। रेलवे प्रशासन ने प्रत्येक कोच में मानक के हिसाब से यात्रियों को बैठाया था। सफर के दौरान ट्रेन में चल रहे रेलवे स्टाफ बीच-बीच में सभी को शारीरिक दूरी बनाने के निर्देश भी देते रहे। श्रमिकों ने बताया नासिक में ट्रेन में चढ़ते वक्त रेलवे प्रशासन ने सभी की मेडिकल जांच कराई।

भोजन भी मिला व हाल-चाल भी लेते रहे

सोनभद्र, श्रावस्ती, बांदा, गोंडा तथा सिद्धार्थनगर के श्रमिकों ने बताया की नासिक के जिस हॉस्टल में उन्हें रोका गया था वहां खाने पीने की कोई दिक्कत नहीं थी। उनको 370 रुपया खर्च करने ट्रेन का टिकट लेना पड़ा। ट्रेन में सफर के दौरान इटारसी भुसावल में खाना दिया गया।

चेहरे पर दिख रही थी खुशी

करीब एक माह से अपने घर से दूर बिना किसी काम के फंसे श्रमिकों के चेहरे पर साफ खुशी साफ दिख रही थी और अपने गृह जनपद पहुंचने को लेकर इनमें उत्साह भी था। महाराष्ट्र के नासिक में मार्च के अंतिम सप्ताह से फंसे श्रमिकों में अपने गृह जनपद जाने का उत्साह दिखा। इसके साथ ही लखनऊ पहुंचने पर सारा तनाव व थकान दूर हो गई। सुकून और चेहरे पर खुशी साफ दिख रही थी। लखनऊ पहुंची सोनभद्र कि संजय निषाद ने बताया पति मुंबई में मजदूरी करते हैं। उनके साथ में दो बच्चे भी थे। मुंबई में काम धंधा बंद होने के बाद वह परिवार सहित नासिक गई थी, जहां पर एक हॉस्टल में रोका गया था। वहां सुबह-शाम खाना जरूर मिला था लेकिन घर जाने की चिंता सता रही थी। मन में एक डर था कि लॉकडाउन खत्म होगा या फिर नहीं। सरकार ने तीन बार इसको बढ़ाया है। लखनऊ आने के बाद अब मैं सुकून महसूस कर रही हूं।

कोई मजदूरी करता था तो कोई ड्राइवरी

नासिक से लखनऊ पहुंचे श्रमिकों ने बताया वह लोग मुम्बई में मजदूरी, घरों में काम और ड्राइवरी करते हैं। मुम्बई में जैसे-जैसे कोरोना वायरस प्रकोप बढ़ता गया लोगों ने घरों में काम कराना बंद करा दिया। मजदूरी भी नहीं हो रही थी और टैक्सी तथा ऑटो का संचालन नहीं होने से हम घरों में बंद थे। कुछ लोगों ने पूरे माह का वेतन दे दिया तो कुछ ने चार-पांच महीने बाद आने की सलाह देकर चलता कर दिया। 

ट्रेन में लिया 470 का टिकट, बस में मुफ्त यात्रा

गाजीपुर के विजय कुमार फतेहपुर के राजू केवट समेत कई यात्रियों ने उत्तर प्रदेश सरकार को धन्यवाद दिया। इसके साथ ही महाराष्ट्र में आई दिक्कतों को साझा करते हुए कहा कि दुकानों से उन्हें निकाला गया। जब तक राशन था जब तक काम चलाया गया, उसके बाद उन्हें जाने के लिए कहा गया। ट्रेन चलने की सूचना होने के बाद हम लोग किसी तरह पैदल चलकर ट्रेन पकडऩे पहुंचे। ट्रेन में हमसे 470 रुपया किराया लिया गया जबकि उत्तर प्रदेश रोडवेज हमको मुफ्त सेवा दे रही है। हम सभी योगी आदित्यनाथ का धन्यवाद करते हैं। 

नासिक से लखनऊ पहुंचे यात्रियों का जत्था एक-एक करके रवाना हो गया। दो बस सिद्धार्थ नगर रवाना की गईं। चारबाग रेलवे स्टेशन से 27 बस को रवाना किया गया जबकि पांच बस रिजर्व में रखी गई थीं। प्रदेश के विभिन्न जिलों के 17 पर बसों को भेजा गया है। यात्रियों को बस में ही मास्क  और हैंड सैनिटाइजर उपलब्ध कराया गया है। बसों में शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हुए अधिकतम 25 से 33 की संख्या में यात्रियों को बैठाया गया। विधिवत चिकित्सीय जांच के बाद ही इन सभी को अलग-अलग बस बसों में जिलेवार बैठा कर रवाना किया गया।

क्या कहते हैं यात्री

सोनभद्र के पंकज ने बताया कि मार्च के तीसरे सप्ताह में ही मुंबई में लोगों ने काम करवाना बंद कर दिया था। पूरे महीने का वेतन देकर यह कह दिया जब जरूरत होगी तो फोन कर देंगे। हम लोग वहां से पैदल नासिक तक आए फिर नासिक में जिला प्रशासन ने हमको एक हॉस्टल में रोक दिया गया। यहां बताया गया कि जल्द ही तुम्हें लखनऊ भेजा जाएगा तब से हम लोग फंसे थे।

सिद्धार्थनगर की संजू निषाद ने बताया कि हमारे पति मुंबई के शिवाजी नगर में एक बिल्डिंग में मजदूरी करते हैं करते हैं। साहब ने 28 मार्च को यह कहते हुए मना कर दिया था अभी काम नहीं है जब होगा बुला लेंगे। उसके बाद से मुंबई के हालात बदल बिगड़ते गए। हम लोग नासिक गए थे। तब से फंसे थे। आज ट्रेन से हम लोगों को लखनऊ लाया गया है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.