लिखना जरूरी है: आपकी बात न मानने पर मन में टीस होती है 'पापा'
संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौते की 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर समाज में बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के इस प्रयास में दैनिक जागरण और यूनिसेफ की साझा पहल।
पापा,
मैं आपसे इतना प्यार करता हूं कि मैं आपको बता नहीं सकता। आपकी कुछ नाराजगियों पर मैंने अपना पक्ष रखने की कोशिश की, पर शायद मैं सही से अपनी बात कह नहीं सका। तो आज मैं आपको खत लिख रहा हूं। आप तक अपनी बात पहुंचाने का यही एक तरीका समझ में आ रहा है। शायद इससे मैं आपको बता सकूंगा कि जिंदगी को लेकर मेरा क्या नजरिया है और हम दोनों में विरोधाभास कहां आ रहा है। हो सकता है इससे बात न बने, पर अपनी बात कहने का संतोष मुङो मिलेगा। क्या पता मुङो अपने सवालों के जवाब मिल ही जाएं।
पापा, आपने मुङो हमेशा खुश रखा और मैंने भी आपके हर फैसले और बात को मानकर उसको सही साबित करने का भरसक प्रयास किया, लेकिन एक बात जो आपकी नहीं मानी, मुङो टीस बनकर चुभ रही है। उसके पीछे के कारण मैं आपको बताना चाहता हूं। मैं इस वक्त जिस उम्र के पड़ाव पर हूं, वह मेरा भविष्य तय करने के लिए महत्वपूर्ण है, जो मेरे और मुझसे जुड़े लोगों को भी प्रभावित करेगा। मैं जानता हूं कि आप का सपना है कि मैं बड़ा होकर डॉक्टर बनूं, पर मैंने आपकी बात न मानकर मैथ्स ले ली। आपका सपना टूटने से मुझसे नाराज होना स्वाभाविक है। आप चाहते थे मैं बायो लूं। मैंने आपकी बात नहीं सुनी। आपकी नाराजगी मुङो कभी-कभी विचलित कर देती है। माना कि मैं बहुत जिद्दी हूं, जो मेरा दिल कहता है वही करता हूं, लेकिन यह मेरी जिद नहीं है। यह मेरे भविष्य का सवाल है। मैंने बहुत सोच-समझकर ही मैथ्स ली है। मैं इस बात का दावा नहीं करता कि मेरा फैसला मुङो कामयाबियों की बुलंदियों पर ले ही जाएगा, लेकिन मैं मैथ्य में अपना शत-प्रतिशत दे सकूंगा, इसका मुङो विश्वास है। मैं मैथ्स में अच्छा स्कोर करूंगा। मुङो रटना नहीं आता। हाईस्कूल में मेरे मैथ्स में 98 नंबर आए थे। आप बिल्कुल चिंता मत करिए। आपका भरोसा नहीं टूटेगा। आप पहले मेरे परीक्षा में रिजल्ट देख लीजिएगा, अगर वह आपके मन के अनुसार कम हो तो आप मेरी स्ट्रीम बदलवा दीजिएगा। पापा-मम्मी, मैं जानता हूं यह निर्णय अभी आपको खुशी नहीं दे रहा, पर मुङो यकीन है कि इतने महत्वपूर्ण फैसले में आप दोनों मेरा साथ देंगे, मुङो समङोंगे। यदि आपके कहने पर मैं बायो ले भी ली होती तो मैं खुश नहीं रह पाता। आपको भविष्य में कोसता, इससे बेहतर है कि मैं अपनी अपने दिल की सुनकर मैथ्स ले लूं। मैंने ली भी। पापा, अगर मैं भविष्य में कम पैसे की नौकरी भी करूंगा तो मैं खुश रहूंगा, पर पापा, मैं एक बात जरूर कहूंगा कि मैं जिंदगी में कुछ करूं या न करूं, पर आपको हमेशा खुश रखने की दिल से पूरी कोशिश करूंगा।
आपका बेटा
अमन।[ कक्षा-11, आरएलबी-सवरेदयनगर]
बच्चों के साथ बनना पड़ता है बच्चा
प्रीति चंद्रा, कॅरियर काउंसलर ने बताया कि विकास के इस डिजिटल युग में बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा के लिए तो अभिभावक लगे रहते हैं, लेकिन अपनी व्यस्तता के चलते वह बच्चों को समय नहीं दे पाते। इसका असर उनके भविष्य पर पड़ता है। दोनों के बीच की बढ़ती खाई बच्चों के अंदर तनाव का मुख्य कारण बन जाती है। ऐसे अभिभावकों को चाहिए कि उनके साथ बैठकर कुछ समय बिताएं। ऐसा न होने पर बच्चा मोबाइल फोन, सोशल मीडिया या ऑनलाइन गेमिंग के दुष्प्रभावों की गिरफ्त में आ सकता है। आपके पास यदि बच्चे को समझने का समय नहीं है, तो आप खुद के साथ ही बच्चों की मानसिक दशा को भी प्रभावित कर रहे हैं। आपको बच्चों के साथ दोस्ती का व्यवहार रखना चाहिए। अब सवाल उठता है कि दोस्ती बढ़ेगी कैसे? इसके लिए आपको बच्चों के साथ बच्चा बनना पड़ेगा।
इन बातों का रखें ध्यान
- बच्चों के साथ एक दिन में कम से कम दो घंटे अवश्य बिताएं
- बच्चों के साथ बैठें तो उनके मन की बात करें। पढ़ाई की बात पूछेंगे तो वह आपसे दूर भागेगा
- खेल-खेल और दोस्ती के साथ उससे पढ़ाई के बारे में और उसके शिक्षकों के व्यवहार के बारे में जानकारी लें
- स्कूल में अभिभावक शिक्षक की बैठक में अवश्य जाएं और शिक्षकों से बच्चे के व्यवहार और बदलाव के बारे में अवश्य जानकारी लें
- बच्चों के साथ दोस्त बनकर उनके दोस्तों के बारे में जानकारी अवश्य रखें।