Coronavirus Lucknow Update: इन्फ्लूएंजा की तरह कोरोना वायरस में नहीं हो रहा म्यूटेशन, जागी वैक्सीन के कारगर होने की उम्मीद
शोध के शुरुआती परिणामों से इस बात का पता चला है कि कोरोनावायरस में इनफ्लुएंजा वायरस की तरह जल्दी-जल्दी म्यूटेशन बदलाव नहीं हो रहा है।
लखनऊ[रूमा सिन्हा]। कोरोनावायरस में इनफ्लुएंजा वायरस की तरह जल्दी-जल्दी म्यूटेशन होता नहीं दिख रहा है। यह एक बेहद सकारात्मक पहलू है। कारण यह है कि इससे यह उम्मीद बंधी है कि जो भी वैक्सीन कोरोना वायरस के नियंत्रण के लिए आएंगी उसकी सफलता में कोई संदेह नहीं होगा।
सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ.शेखर मंडे कहते हैं कि सीएसआईआर की हैदराबाद स्थित सीसीएमबी दिल्ली स्थित आईजीआईबी प्रयोगशालाओं सहित दो-तीन प्रयोगशालाओं में वायरस की सीक्वेंसिंग का कार्य किया जा रहा है। अभी तक 2,000 से अधिक वायरस के जीनोम सीक्वेंस या अनुक्रम तैयार किए जा चुके हैं। इससे प्राप्त शुरुआती परिणामों से इस बात का पता चला है कि कोरोनावायरस में इनफ्लुएंजा वायरस की तरह जल्दी-जल्दी म्यूटेशन बदलाव नहीं हो रहा है।
प्रोफेसर मंडे ने बताया कि इनफ्लुएंजा वायरस में हर साल म्यूटेशन हो जाता है जिसके चलते इसके लिए नई वैक्सीन तैयार करनी पड़ती है। लेकिन कोरोना वायरस में इस तरीके का म्यूटेशन नहीं दिखाई दे रहा है। वह कहते हैं कि यह बहुत बड़ी राहत की बात है। दरअसल वायरस में जब लगातार म्यूटेशन या बदलाव होता है तो उसका नियंत्रण मुश्किल साबित हो जाता है। यही वजह है कि कोरोनावायरस के नियंत्रण के लिए जो वैक्सीन तैयार करने का कार्य हो रहा है उसके सफल होने में कोई संदेह नहीं है। बताते चलें की सीएसआईआर की हैदराबाद स्थित सेलुलर और आणविक जीवविज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) और दिल्ली स्टेट आईजीआईबी संस्थानों के साथ कुछ और प्रयोगशालाओं में जिनोम सीक्वेंसिंग का काम चल रहा है।
वैज्ञानिक कोरोना वायरस के जिनोम सीक्वेंसिंग से देश के अलग-अलग हिस्सों में संक्रमण का कारण बन रहे वायरस की प्रकृति का पता लगाने में जुटे हुए हैं। प्रो.मंडे ने यह भी कहा कि यह भी देखना होगा कि जो वैक्सीन बाजार में आएंगी वह हमें कितने दिन तक सुरक्षा प्रदान करेंगी। कुछ वैक्सीन ताउम्र हमें सुरक्षा देती हैं जैसे बीसीजी वहीं इनफ्लुएंजा कि हर साल नई वैक्सीन आती है। कुछ को हमें कुछ समय के बाद फिर लेना होता है। यह तभी पता चलेगा जबकि वैक्सीन बाजार में आ जाएगी। फिलहाल राहत की बात यह है की कोरोनावायरस जल्दी-जल्दी अपनी प्रकृति बदलता नहीं दिख रहा है।