Ban: यूपी में सेहत के लिए घातक पॉलीथिन पर आज से प्रतिबंध
उत्तर प्रदेश में 15 जुलाई से पॉलीथिनपर क्रमबद्ध प्रतिबंध लगेगा। प्रशासन ने इसके लिए तैयारियां कर लीं हैं। रविवार से पॉलीबैग बाजार में नहीं दिखेगा।
लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश में 15 जुलाई से पॉलीथिनपर क्रमबद्ध प्रतिबंध लगेगा। प्रशासन ने इसके लिए तैयारियां कर लीं हैं। सब कुछ ठीक रहा तो रविवार से कम से कम एक तरह का पॉलीबैग बाजार में नहीं दिखेगा। इसके बाद कुछ अन्य प्रकार के पॉलीथिन की बारी आएगी। योगी सरकार के आदेश के मुताबिक प्लास्टिक और पॉलीथिन पर चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंध लगना है। सबसे पहले 15 जुलाई से 50 माइक्रोन तक की पॉलीथिन बैग प्रतिबंधित किया जाएगा। इसके बाद 15 अगस्त से प्लास्टिक व थर्मोकोल आदि से बने कप, प्लेट व ग्लास प्रतिबंधित किए जाएंगे। दो अक्टूबर से सभी प्रकार के पॉलीबैग व प्लास्टिक जो कंपोस्ट नहीं हो सकते हैं उन पर प्रतिबंध किया जाएगा।
नगरों के बाजार में गूंज रही प्लास्टिक बंद की मुनादी
शासन के निर्देश पर नगर निकायों ने शहर के बाजार में मुनादी कराना शुरू कर दिया है। इसमें लोगों को पॉलीथीन के खतरों के प्रति आगाह करते हुए इसका इस्तेमाल बंद कर देने की अपील की जा रही है। माहौल को भांपते हुए पॉलीथीन की थैलियां बेचने का व्यवसाय करने वालों ने भी नया माल मंगाना फिलहाल बंद कर दिया है। प्लास्टिक, पॉलीथिन तथा थर्मोकोल से निर्मित पॉलीबैग, कप, प्लेट, ग्लास आदि से गंदगी व प्रदूषण फैलता है। यह सीवर व नालों को भी चोक करते हैं। इनसे जानवरों को भी नुकसान होता है।
प्लास्टिक का प्रयोग सेहत के लिए घातक
पॉलीथिन या प्लास्टिक का प्रयोग सेहत के लिए घातक है। पॉलीथिन को जलाने से निकलने वाली गैसें काफी जहरीली है। जलाने से निकलने वाली कार्बनमोनो आक्साइड, कार्बनडाई आक्साइड व सल्फरडाई आक्साइड जैसी गैस जल वाष्प में मिलकर तेजाब बनाती है जिससे एसिड वर्षा होने की खतरा रहता है। कचरा प्रबंधन की व्यवस्था न होने से इससे लगातार नुकसान हो रहा है। जो पेड़ पौधों के अलावा आमजन जीवन को प्रभावित करती है। इसके बावजदू पॉलीथिन से बाजार पटे है। इसको लेकर सामान बेचने वाले विक्रेताओं और न ही खरीदने वाले लोगों को इसकी परवाह है। परचून की दुकान से लेकर सब्जी विक्रेता और यहां तक की पीने के पानी की थैली के रूप में इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है। पॉलीथिन का बढ़ रहा प्रयोग और इसके प्रकोप को देखते ही सरकार ने इस पर अंकुश लगाने की योजना तैयार की है।
पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव
हालात यहां तक बिगड़ चुके हैं कि पॉलीथिन लोगों के आचरण में ढलने लगा है। सामान खरीदने के लिए बिना बैग लिए घर से निकल पड़ते है लेकिन वह यह नहीं सोचते कि जब सामान और अन्य चीजों को घर तक वह कैसे लेकर आएंगे। लोग आखिरकार दुकानदारों से पॉलीथिन की मांग करते हैं और सारा सामान पॉलीथिन बैग में डालकर घर लाते हैं। फिलहाल पॉलीथिन के इस प्रयोग में लगातार तेजी आई है जो पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। इस गंभीर मसले के बावजूद लोगों जागरूकता का अभाव है। इस तरह पॉलीथिन के प्रयोग से भयंकर परिणाम हो सकते है। घरों का कूड़ा एकत्रित कर आसपास के क्षेत्रों में फेंक देते हैं। इन कूड़े में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला पॉलीथिन होती है। जो न सड़ती है और न ही गलती है। ऐसी हालत में इसकी वजह से गंदगी फैलती ही जाती है। अगर कोई इसे जलाता भी है तो उससे निकलने वाली जहरीली गैसें वातावरण को प्रदूषित करती है।
रोज करोड़ों की खपत
नगर पालिका परिषद व पंचायत क्षेत्रों में हर रोज करोड़ों रुपये की पॉलीथिन व प्लास्टिक की खपत हो रही है। जानकार मानते है कि पॉलीथिन व प्लास्टिक नाले व नालियों को चोक करते है, जिससे बरसात के दिनों में जलभराव जैसी समस्या उत्पन्न करती है और लोगों के लिए मुसीबत बढ़ जाती है। पॉलीथिन व प्लास्टिक के थोक कारोबारियों की माने तो पॉलीथिन कैरीबैग सबसे अधिक दिल्ली से आती है। इसके बाद कानपुर और लखनऊ से पॉलीथिन व्यापारी पॉलीथिन मंगाते हैं। फिर आसपास के इलाके में आपूर्ति करते हैं।
जिंदगी में शामिल हो गई पॉलीथिन
आम आदमी की जिंदगी में पॉलीथिन शामिल हो गई है। लोग सामान लेने झोला लेकर चलने में शर्म महसूस करते है। पॉलीथिन से होने वाले नुकसान को भूलकर लोग दुकानदार से पॉलीथिन कैरीबैग की मांग करते है और उसी में सामान घर ले जाते है। पॉलीथिन बैग में सामान घर ले जाने में लोग अपनी शान समझते है, जबकि हकीकत यह है कि इसमें गरम खाना या पेय पदार्थ ले जाना कैंसर जैसी बीमारियों को दावत देता है। घरों के बाहर फेंकी जाने वाली पॉलीथिन गंदगी फैलाती है। साथ ही आवारा पशुओं के लिए सबसे घातक होती है। आवारा पशुओं के आमाशय में चिपककर उनकी मौत का कारण बनती है।
लो डेनसिटी और हाई डेनसिटी
बाबा साहब भीमराम आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बीसी यादव ने बताया कि पॉलीथिन जलने से ट्राई क्लोरोथीन, एसीटोन, मिथलाइल क्लोराइट, टूलीन उत्सर्जित होते हैं। इसके साथ जहरीली गैस जैसे नाइट्रस आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड भी उत्सर्जित होती हैं। पॉलीथिन से बने बैग के इस्तेमाल से न सिर्फ प्रदूषण फैलता है, बल्कि गंदगी भी बढ़ती है, जो कि हर लिहाज से नुकसानदायक है। पॉलीथिन दो प्रकार की होती हैं। लो डेनसिटी और हाई डेनसिटी। उच्च ताप पर पॉलीथिन बनाई जाती है। जब यह जलती है तो मुसीबत का सबब बनती है। इसके कारण वायु प्रदूषण होता है। ग्लोबल वार्मिंग पॉलीथिन के बढ़ते प्रयोग का अहम कारण हैं।