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स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत जानेंगे विधि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, लीगल स्टडी विभाग करेगा शोध

रिसर्च के दौरान वहां पर देखा जाएगा कि लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं या नहीं ? सरकारी और प्राइवेट हास्पिटल चिकित्सीय गाइडलाइन का कितना पालन कर रहे हैं? इनमें सुधार के लिए हम रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजेंगे। पूरा प्रोजेक्ट दो साल का प्रोजेक्ट होगा।

By Rafiya NazEdited By: Published: Mon, 12 Apr 2021 08:40 AM (IST)Updated: Mon, 12 Apr 2021 08:40 AM (IST)
स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत जानेंगे विधि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, लीगल स्टडी विभाग करेगा शोध
डा. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के लीगल स्टडी विभाग की हेड करेंगी शोध।

लखनऊ, जेएनएन। डा. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के शिक्षक अब लखनऊ व  पड़ोसी जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत जानने के लिए शोध करेंगे। इसके लिए शासन ने रिसर्च एंड डेवलपमेंट योजना के अंतर्गत एक प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। यह शोध दो साल के लिए होगा।

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विधि विश्वविद्यालय में लीगल स्टडी की विभागाध्यक्ष डा. वी. विशालाक्षी ने रिसर्च एंड डेवलपमेंट योजना के तहत ‘मेडिकल नेग्लीगेंस’ विषय पर आधारित शोध प्रस्ताव दिया था। उन्होंने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से स्वास्थ्य सेवाओं के लिए काफी बजट सरकारी अस्पतालों के लिए दिया जाता है, ताकि लोगों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें। फिर भी कहीं न कहीं इसमें लापरवाही देखी जाती है। इसलिए शोध के माध्यम से लखनऊ के मोहनलालगंज, मलिहाबाद और हरदोई जिले के सरकारी अस्पतालों, पीएससी, सीएससी पर शोध किया जाएगा।

गाइड लाइन का कितना हो रहा पालन: रिसर्च के दौरान वहां पर देखा जाएगा कि लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं या नहीं ? सरकारी और प्राइवेट हास्पिटल चिकित्सीय गाइडलाइन का कितना पालन कर रहे हैं? इनमें सुधार के लिए हम रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजेंगे। पूरा प्रोजेक्ट दो साल का प्रोजेक्ट होगा।

तीन लाख रुपये का बजट मंजूर: शासन ने इस प्रोजेक्ट के लिए तीन लाख रुपये का बजट स्वीकृत किया है। साफ कहा गया है कि किसी भी दशा में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। न ही डिप्लोमा या कोई प्रशिक्षण कोर्स संचालित किए जाएंगे। बजट की धनराशि शोध सहायक, फील्ड कार्य, डाटा कलेक्शन आदि पर खर्च की जा सकेगी।

कई और विश्वविद्यालयों को भी मिले नए प्रोजेक्ट: नए वित्तीय वर्ष के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय, डा. मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विवि के साथ-साथ प्रदेश के कई और विश्वविद्यालयों को भी शोध प्रस्ताव की मंजूरी दी गई है। इनमें डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा,  चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ, उप्र राजर्षि टंडन मुक्त विवि प्रयागराज, प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) विश्वविद्यालय प्रयागराज, महात्मा गांधी काशी विद्या पीठ, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विवि और महात्मा ज्योतिबा फूले रहेलखंड विवि बरेली शामिल है।


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