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निराश होने की जरूरत नहीं, अभी जारी है चंद्रयान 2 मिशन lucknow news

आंचलिक विज्ञान नगरी ने मनाई 30वीं वर्षगांठ।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 08:58 PM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2019 07:18 AM (IST)
निराश होने की जरूरत नहीं, अभी जारी है चंद्रयान 2 मिशन lucknow news
निराश होने की जरूरत नहीं, अभी जारी है चंद्रयान 2 मिशन lucknow news

लखनऊ, जेएनएन। क्या लैंडर से संपर्क अब भी संभव है? क्या इसरो लैंडर को वापस लाएगा? क्या फिर इसरो कोशिश करेगा? यह कुछ सवाल उन स्कूली बच्चों के हैं, जो आंचलिक विज्ञान नगरी में शनिवार को आयोजित चंद्रयान-2 व्याख्यान सुन रहे थे। देर रात तक लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग देखने को लालायित बच्चों की आंखें उनींदी थीं, लेकिन उनकी चमक बता रही थी कि भारतीय वैज्ञानिकों इस उपलब्धि के प्रति नतमस्तक हैं। वहीं तमाम सपने भी हैं, जो उनके साथ जवां हो रहे हैं।

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मौका था आंचलिक विज्ञान नगरी की 30वीं वर्षगांठ पर आयोजित लोकप्रिय व्याख्यान चंद्रयान-2 का। कुर्सी रोड स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एसके पांडेय ने बड़ी सहजता से बच्चों को मिशन की तकनीकी और वैज्ञानिक उद्देश्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि चंद्रयान-2 को जीएसएलवी एमके 3 एम1 द्वारा सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया।

चंद्रयान-2 के तीन महत्वपूर्ण हिस्से हैं। आर्बिटर जिसमें आठ उपकरण लगे हैं। वहीं, लैंडर विक्रम तथा रोवर प्रज्ञान में तीन एवं दो उपकरण लगे हैं। डॉ. पांडेय ने विद्यार्थियों को बताया कि लैंडर भले ही लैंडिंग न कर पाया हो, लेकिन ऑर्बिटर का काम जारी है। वह 3डी मैपिंग कर लगातार डाटा भेज रहा है। मिशन से जुड़े वैज्ञानिक लैंडिंग में आई समस्या का आकलन कर रहे हैं। ऑर्बिटर की भी लैंडर पर नजर थी। ऐसे में आगे डाटा का विश्लेषण कर जानकारी हासिल की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि ऑर्बिटर का काम डाटा कलेक्ट करना है, जो वह कर रहा है।

वहीं लैंडर टेक्नोलॉजिकल डिमॉस्ट्रेशन से जुड़ा था। जिस पर काफी हद तक सफल रहे हैं। महज दो किलोमीटर की दूरी तय करनी रह गई थी। यदि यह सफल हो जाता तो रोवर 14 दिन तक 500 मीटर सीधी लाइन में चलकर जानकारियां भेजता। यह एक बेहद जटिल प्रक्रिया है। अब इसरो के वैज्ञानिक दल डाटा का विश्लेषण कर देखेंगे कि कहां कमी रह गई। इसे भी जल्द दूर कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि ऑर्बिटर एक साल तक सफलता पूर्वक कार्य करेगा। संभव है कि यह इससे ज्यादा समय तक कार्य करता रहे। इस अवसर पर विज्ञान नगरी के परियोजना समंवयक डॉ. राज मेहरोत्रा भी मौजूद थे। इस दौरान सुबह चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न स्कूलों के लगभग 350 से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया।


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