एलडीए ने लीज के सामुदायिक केंद्रों का कार्यकाल बढ़ाया
लखनऊ जेएनएन। एलडीए के सामुदायिक केंद्रों का रखरखाव बिजली का बिल और संचालन का जिम्मा कर
लखनऊ, जेएनएन। एलडीए के सामुदायिक केंद्रों का रखरखाव, बिजली का बिल और संचालन का जिम्मा करीब एक वर्ष पहले निजी हाथों में दे दिया गया था। उद्देश्य था कि राजस्व बढ़ेगा और एलडीए को नियमित रूप से कर्मचारियों की वहां तैनाती नहीं करनी पड़ेगी। यह काम तो शुरू के कई महीनों में सही चला, लेकिन कोरोना के कारण अप्रैल से 15 नवंबर 2020 तक एक भी बुकिग नहीं हुई। इस पर संचालकों ने संबंधित अधिकारियों को एक वर्ष का समय बढ़ाने का आग्रह किया था। इस पर एलडीए के अधिकारियों ने छह माह का कार्यकाल बढ़ाने पर सहमति दी है। हालांकि अभी भी संचालकों ने प्राधिकरण में राजस्व पूरा जमा नहीं किया है।
सामुदायिक केंद्रों का काम देख रहे अधिशासी अभियंता पीएस मिश्रा ने बताया कि गोमतीनगर के सामुदायिक केंद्रों को लेकर संचालकों का पत्र प्राप्त हुआ है। जैसे -जैसे संचालक संपर्क करेंगे, उसी हिसाब से उनके कार्यकाल बढ़ाने पर विचार किया जाएगा। वहीं, संचालकों ने बिजली विभाग से भी लॉकडाउन के दौरान बिजली बिल में फिक्स चार्ज, इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी 15 नवंबर तक माफ करने का आग्रह मुख्य अभियंता लेसा ट्रांस गोमती से किया है। मुख्य अभियंता ट्रांस गोमती प्रदीप कक्कड़ ने बताया कि पत्र प्राप्त नहीं हुआ है, वैसे यह निर्णय उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड के स्तर से लिया जाता है।
इंदिरागांधी प्रतिष्ठान का राजस्व हुआ आधा
इंदिरागांधी प्रतिष्ठान में लॉन नंबर दो और बैंक्वेट हॉल की बुकिग कम होने से प्राधिकरण को हर वर्ष पांच से छह करोड़ के राजस्व का नुकसान हो रहा है। यहां लॉन नंबर दो को पहले 2.37 लाख प्रति बुकिग किराये पर दिया जाता था। वहीं बैंक्वेट हॉल का किराया दो लाख से अधिक था। अब इसकी बुकिग बंद हो गई है। अभियंताओं के मुताबिक वर्ष 2018 तक हर वर्ष 11 से 12 करोड़ रुपये हर वर्ष सिर्फ बुकिग से राजस्व आता था, जो अब नहीं आ रहा है। एलडीए फिर अवैध निर्माण के खिलाफ चलाएगा बुलडोजर लखनऊ विकास प्राधिकरण दीपावली के बाद फिर एक्शन में आ गया है। अवकाश होने के बाद भी डीएम व एलडीए उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने सोमवार को अफसरों के साथ बैठक ली। माना जा रहा है कि जिन अभियंताओं की मिलीभगत से अवैध निर्माण खड़े किए जा रहे हैं, उनके खिलाफ भी एक्शन लिया जाएगा। इनमें पांच अवर अभियंताओं से स्पष्टीकरण भी मांगा गया है। वहीं, व्यापारी वर्ग भी एलडीए द्वारा चलने वाले अभियान के विरोध में खड़े हैं। व्यापारी नेता अमरनाथ मिश्रा पूरे मामले को लेकर विधायी एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक से रोक लगाने की मांग की थी। इस पर प्रमुख सचिव, आवास एवं शहरी नियोजन को पत्राचार भी हुआ था, लेकिन अभी ऐसा आदेश एलडीए को नहीं मिला है, जिसमें अभियान चलाने की मनाही की गई हो। इससे व्यापारियों में एक बार फिर एलडीए के बुलडोजर को लेकर भय है।
पिछले कुछ सप्ताह से डीएम व एलडीए उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश स्वयं अवैध निर्माणों को गिरवाने के लिए मौके पर पहुंच रहे हैं। वहीं, सभी जोन के अधिशासी अभियंताओं से अवैध निर्माण की सूची मांगी गई थी, लेकिन चुनिदा नाम ही मिले हैं। वास्तविकता में शायद ही ऐसा कोई प्रवर्तन का जोन हो, जहां अवैध निर्माण नहीं हो रहे हैं। एलडीए अफसरों के मुताबिक 19 नवंबर को अवैध निर्माणों के खिलाफ होने वाली बैठक में शहर के कई बड़ी इमारतें एक बार फिर से धराशायी हो सकती हैं।