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लखनऊ विकास प्राधिकरण में बाबुओं की अलमारियों से खूब मिली फाइलें, अब तक सार्वजनिक नहीं हुई सूची

कभी पहली मंजिल तो कभी किसी अन्य मंजिल पर अलमारियां तोड़कर सैंकड़ों फाइलें लखनऊ विकास प्राधिकरण में मिली। इनमें अधिकांश फाइलें उनकी थी जो दशकों से प्राधिकरण के चक्कर लगा रहे थे और आज भी लगा रहे हैं। फाइलों की सूची सार्वजनिक नहीं हुई।

By Rafiya NazEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 11:54 AM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 11:54 AM (IST)
लखनऊ विकास प्राधिकरण में बाबुओं की अलमारियों से खूब मिली फाइलें, अब तक सार्वजनिक नहीं हुई सूची
एलडीए ऑफिस में करीब एक हजार से अधिक आवंटियों की मिली थी बंद अलमारियों से फाइलें।

लखनऊ, जेएनएन। कभी पहली मंजिल तो कभी किसी अन्य मंजिल पर अलमारियां  तोड़कर  सैंकड़ों  फाइलें लखनऊ विकास प्राधिकरण में मिली। इनमें अधिकांश फाइलें उनकी थी, जो दशकों से प्राधिकरण के चक्कर लगा रहे थे और आज भी लगा रहे हैं। क्योंकि लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) अफसरों ने कोई ऐसी सूची सार्वजनिक  नहीं की, जिसमें दशकों से बंद अलमारियों से निकली फाइलों का ब्योरा होता। इन फाइलों में अलीगंज,  प्रियदर्शनी नगर, शारदा नगर, कानपुर  रोड, सीतापुर  रोड, इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट, नजूल के कागज, गोमती नगर के विपुल खंड, गोमती नगर विस्तार की दर्जनों फाइलें मिली थी। डीएम एवं   लविप्रा  उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने सभी फाइलों की लिस्ट बनाकर उन्हें सार्वजनिक करने के   निर्देश  दिए थे। उद्देश्य था कि जो   आवंटी  अपनी संपत्ति का नामांतरण, फ्री होल्ड करवाना चाहते हैं , वह आसानी से करवा सके। 

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मार्च माह में  लविप्रा  सचिव पवन कुमार गंगवार, संयुक्त सचिव ऋतु सुहास, विशेष  कार्याधिकारी  राजीव कुमार, तहसीलदार राजेश शुक्ला व तत्कालीन संयुक्त सचिव डीएम कटियार ने  दर्जनाें अलमारियों के ताले  तुड़वाएं  थे, सैंकड़ों  फाइलों की सूची बनी थी और इन्हें सार्वजनिक करने की बात हुई थी। फिर ठंडे बस्ते में मामला चला गया है। इससे उन आवंटियों को झटका लगा है, जिनकी प्राधिकरण में फाइलें नहीं मिल रही थी। उन्हें उम्मीद थी कि सूची सार्वजनिक होने पर उनकी फाइल भी बंद अलमारी से निकल सकती है। 

बाबू जाते रहे अलमारी में बंद होती रही फाइलें: लविप्रा में कई बाबू सेवानिवृत्त हो गए, उनकी अलमारी का ताला जब तोड़ा  गया तो कई फाइलें मिली। स्व. मुक्तेश्वर नाथ ओझा की अलमारी में प्रियदर्शनी नगर योजना, गोमती नगर की फाइलें मिली थी। इसके अलावा काशी नाथ सहित आधा दर्जन बाबू थे।


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