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एलडीए ने लखनऊ की इस योजना की रजिस्ट्री पर लगाई रोक, आवंटी परेशान; जानें- क्या है वजह

लखनऊ विकास प्राधिकरण और निजी डेवलपर्स अंसल के बीच चल रही खींचातान का असर आवंटियों पर पड़ने लगा है। नियमानुसार आशियाना की अंसल आंगन योजना में मूलभूत सुविधाओं काे पहुंचाने का काम अंसल को करना था लेकिन हुआ नहीं और रजिस्ट्रियां धड़ल्ले से होती रही।

By Vikas MishraEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 10:08 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 01:34 PM (IST)
एलडीए ने लखनऊ की इस योजना की रजिस्ट्री पर लगाई रोक, आवंटी परेशान; जानें- क्या है वजह
एलडीए और निजी डेवलपर्स अंसल के बीच चल रही खींचातान का असर आवंटियों पर पड़ने लगा है।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। लखनऊ विकास प्राधिकरण और निजी डेवलपर्स अंसल के बीच चल रही खींचातान का असर आवंटियों पर पड़ने लगा है। नियमानुसार आशियाना की अंसल आंगन योजना में मूलभूत सुविधाओं काे पहुंचाने का काम अंसल को करना था, लेकिन हुआ नहीं और रजिस्ट्रियां धड़ल्ले से होती रही। लविप्रा सचिव पवन कुमार गंगवार से स्थानीय लोग मिले लेकिन बात नहीं बनी तो मानवाधिकार आयोग भी चले गए।

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मामला बढ़ते ही आयोग ने संज्ञान लिया और इधर लविप्रा ने अंसल आंगन की रजिस्ट्री रोकने के साथ ही आशियाना के सभी सेक्टरों में रजिस्ट्री, फ्री होल्ड, नामांतरण जैसे सभी काम पिछले चार माह से रोक दिए हैं। ऐसे में सेक्टर के, एम, एन, एन वन, एम वन, जे ब्लाक के आवंटी परेशान हैं। किसी को अपनी रजिस्ट्री कराकर विदेश जाना है ताे किसी ने रजिस्ट्री व फ्री होल्ड के लिए स्टंप पहले से खरीद लिए हैं और वह खराब हो रहे हैं। उधर निजी डेवलपर द्वारा जिस गति से काम शुरू करके खत्म करना चाहिए, वह प्रकिया शुरू नहीं हो सकी है। कुल मिलाकर आवंटी प्राधिकरण के चक्कर लगाने को विवश हैं।

लविप्रा सचिव पवन कुमार गंगवार ने बताया कि आशियाना के अंतर्गत अंसल आंगन छोटे मकानों की एक योजना है। यहां सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं कराई गई। इसको लेकर दर्जनों बार संबंधित डेवलपर के अफसरों को बुलाकर समझाया गया। इसके बाद भी स्थिति में सुधार न होने के कारण यह निर्णय करना पड़ा। उन्होंने बताया कि अब आशियाना में तभी रजिस्ट्री, फ्री होल्ड, नामांतरण सहित अन्य कार्य तभी शुरू होंगे, जब विकासकर्ता मौके पर काम शुरू करेगा। गंगवार के मुताबिक स्थानीय आवंटियों को साथ देना होगा, क्योंकि यह सारी व्यवस्थाएं वहां के आवंटियों के लिए की जा रही हैं।

निजी डेवलपर को विकास कार्य कराना ही होगा, ऐसा न करने पर सख्त कदम उठाए जाएंगे। वरिष्ठों द्वारा काम रोकने के आदेश के बाद लविप्रा के अन्य अधिकारियों के पटल से भी आशियाना के कोई काम नहीं हो रहे हैं। इसके कारण आए दिन अफसरों व आवंटियाें के बीच तकरार आम हो गई है। आवंटियों का तर्क है कि करे कोई और भरे कोई। यह कैसी नीति है। फिलहाल इसका कोई उचित जवाब अफसर नहीं दे रहे हैं।


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