लखीमपुर खीरी हिंसा केस में सुप्रीम कोर्ट ने SIT का भी किया पुनर्गठन, जानिए कौन हैं ये तीन IPS अफसर
लखीमपुर खीरी हिंसा केस में सुप्रीम कोर्ट ने विशेष जांच दल (एसआइटी) का पुनर्गठन भी किया। इसमें तीन वरिष्ठ आइपीएस अधिकारियों एसबी शिरोडकर दीपिंदर सिंह और पद्मजा चौहान को शामिल किया है। ये अधिकारी उत्तर प्रदेश कैडर के आइपीएस अधिकारी हैं लेकिन मूल रूप से इस राज्य के नहीं हैं।
लखनऊ, जेएनएन। लखीमपुर खीरी हिंसा केस में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जज राकेश कुमार जैन को जांच की निगरानी, निष्पक्षता और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए नियुक्त किया है। इसके साथ ही विशेष जांच दल (एसआइटी) का पुनर्गठन भी किया। इसमें तीन वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी एसबी शिरडकर, प्रितिंदर सिंह और पद्मजा चौहान को शामिल किया है। ये अधिकारी उत्तर प्रदेश कैडर के आइपीएस अधिकारी हैं, लेकिन मूल रूप से इस राज्य के नहीं हैं। आइए जानते कौन हैं ये आइपीएस अधिकारी और कहां तैनात...
आइपीएस अधिकारी एसबी शिरडकर : मूलरूप से महाराष्ट्र के निवासी एसबी शिरडकर 1993 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं। वर्तमान में वह करीब तीन वर्ष से एडीजी इंटेलीजेंस के महत्वपूर्ण पद पर तैनात हैं। साफ-सुथरी छवि वाले शिरडकर इससे पूर्व एडीजी स्थापना के पद पर तैनात थे। वाराणसी, मथुरा, बाराबंकी व अन्य जिलों की कमान संभाल चुके शिरडकर को फील्ड का लंबा अनुभव है और वह केंद्रीय प्रतिनियुक्त पर करीब सात वर्ष सीआइएसएफ में भी तैनात रहे हैं।
आइपीएस अधिकारी पद्मजा चौहान : मूलरूप से हैदराबाद की निवासी पद्मजा चौहान 1998 बैच की आइपीएस अधिकारी हैं। तेज तर्रार अधिकारियों में शुमार पद्मजा चौहान वर्तमान में आइजी उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती व प्रोन्नति बोर्ड के पद पर तैनात हैं। बीते दिनों ही वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस लौटी हैं। लखीमपुर खीरी, बदायूं, बुलंदशहर व अन्य जिलों की कमान संभाल चुकीं पद्मजा चौहान को फील्ड का लंबा अनुभव है।
आइपीएस अधिकारी प्रितिंदर सिंह : मूलरूप से पंजाब के निवासी डा. प्रितिंदर सिंह 2004 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं। एमबीबीएस करने के बाद आइपीएस बने प्रितिंदर सिंह की गिनती तेज तर्रार अधिकारियों में होती है और वह वर्तमान में डीआइजी सहारनपुर रेंज के पद पर तैनात हैं। सहारनपुर, गौतमबुद्धनगर, अलीगढ़ व अन्य जिलों के एसपी रह चुके प्रितिंदर सिंह को कानपुर के बहचुर्चित बिकरू कांड के बाद कानपुर नगर की भी कमान सौंपी गई थी। उन्हें बतौर डीआइजी/एसएसपी कानपुर नगर तैनात किया गया था।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में गत तीन अक्टूबर को चार प्रदर्शनकारी किसानों को कार से कुचल दिया गया था। इसके बाद उग्र भीड़ ने कार पर सवार ड्राइवर और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इस हिंसा में एक पत्रकार भी मारा गया था। कुल आठ लोगों की मृत्यु हुई थी। इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा मुख्य अभियुक्त हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दो वकीलों की ओर से भेजे गए पत्रों पर संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई शुरू की थी। मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ कर रही है।
बता दें कि पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने प्रदेश सरकार से जांच कर रही एसआइटी में शामिल अधिकारियों में वरिष्ठों को शामिल करने की बात की। पीठ ने कहा कि एसआइटी में ज्यादातर स्थानीय इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी हैं। राज्य सरकार को एसआइटी में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को शामिल करना चाहिए। सीधी भर्ती के आइपीएस अधिकारी को शामिल करना चाहिए। ऐसा आइपीएस अधिकारी जो यूपी कैडर का तो हो, लेकिन राज्य का निवासी न हो। पीठ ने प्रदेश सरकार से ऐसे अधिकारियों के मांगे थे।