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अगर बैंक थमा रहा सड़े-गले नोट तो न हो परेशान; RBI लगा सकता है जुर्माना-जानें अपना अधिकार

लखनऊ क्लीन नोट पॉलिसी को मुंह चिढ़ा रहे बैंक। आरबीआइ के निर्देश के बावजूद गंदे नोटों की रिसाइक्लिंग जारी। ऐसा करने पर बैंकों पर दंड का भी प्रावधान है। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से बैंकों के लिए क्लीन नोट पॉलिसी जारी की गई है।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sat, 05 Dec 2020 07:30 AM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2020 07:30 AM (IST)
अगर बैंक थमा रहा सड़े-गले नोट तो न हो परेशान; RBI लगा सकता है जुर्माना-जानें अपना अधिकार
लखनऊ : क्लीन नोट पॉलिसी को मुंह चिढ़ा रहे बैंक। आरबीआइ के निर्देश के बावजूद गंदे नोटों की रिसाइक्लिंग जारी

लखनऊ [पुलक त्रिपाठी]। यह समस्या आम है जिसका सामना अक्सर आपको भी करना पड़ता होगा, जब बैंक कैशियर या एटीएम से गंदे नोट आपके हाथों में पहुंचते होंगे। आप कैशियर से स्वायल्ड नोट (सड़े-गले, कटे-फटे, गंदे नोट) बदलने के लिये भी कहते होंगे, मगर कैश काउंटर पर यह कहकर टरका दिया जाता है कि सब चलता है या फिर और नोट है नहीं।

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एटीएम से निकले नोट लेने के लिए आप मजबूर रहते हैं। मगर आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि बैंको द्वारा आपको (ग्राहक) सड़े, गले, गंदे, कटे ,फटे नोट देना ही नहीं चाहिए। क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशोंनुसार, स्वायल्ड नोट बैंको द्वारा ग्राहक को नहीं दिया जाना चाहिए। ऐसा करने पर बैंकों पर दंड का भी प्रावधान है।

जानिए क्या है आरबीआइ की क्लीन नोट पॉलिसी, बैंकों पर है जुर्माने का प्राविधान

बैंक ग्राहक तक साफ-सुथरे नोट पहुंचे इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से बैंकों के लिए क्लीन नोट पॉलिसी जारी की गई है। इसके तहत बैंक के जमाकर्ता कैशियर को ग्राहक से प्राप्त होने वाले फुटकर नोटों को अलग-अलग डिनॉमिनेशन के अनुसार इकट्ठा कर उसका पैकेट (100 नोटो का) बनाना होता है। इसके साथ ही कैशियर को स्वायल्ड नोट और चलन योग्य नोटों के अलग-अलग पैकेट बनाकर पेपर बैंड लगाना होगा। यहीं से साफ नोट ही दोबारा एटीएम व कैश काउंटर से पब्लिक को दिए जाने चाहिए। स्वायल्ड नोट किसी भी स्थिति में पब्लिक को दोबारा जारी नहीं किए जाने चाहिए। इसके बावजूद भी बैंक द्वारा ग्राहक को दिया जाता है तो बैंकों पर जुर्माने का प्राविधान है।

आरबीआइ पर ठीकरा फोड़ते हैं बैंकर

यह बात भी आम है कि ग्राहक द्वारा बैंको से साफ/ नए नोट मांगने पर य उत्तर मिलता है कि रिजर्व बैंक द्वारा नए नोटों की पर्याप्त मात्रा में सप्लाई ही नहीं की गई, ऐसे में वे स्वायल्ड नोट देने को मजबूर हैं। अगर ऐसा है तो क्लीन नोट पॉलिसी के अनुपालन न होने के पीछे आरबीआइ भी कम जिम्मेदार नहीं है।

जाने अपना अधिकार ? 

क्लीन नोट पॉलिसी के तहत कोई भी व्यक्ति / ग्राहक अपनी बैंक शाखा में जाकर स्वायल्ड नोट (सड़े/ गले/ कटे/फटे नोट ) बदल सकता है। बैंक को भी ऐसे नोट बिना किसी आनाकानी के बदलने चाहिए। हालांकि, आम तौर पर बैंक स्वायल्ड नोट बदलकर साफ सुथरा नोट देने में तमाम तरह की आनाकानी करते हैं।

क्‍या कहते हैं जिम्‍मेदार ? 

  • भारतीय स्टेट बैंक मुख्य महाप्रबंधक अजय कुमार खन्ना के मुताबिक, स्वायल्ड नोट इकट्ठा करके आरबीआई को भेजे जाते हैं। साफ सुथरे नोट ग्राहक को देने में कहीं कोई दिक्कत नहीं है। लोगों को स्वायल्ड नोट के बारे में समझना होगा। अगर लोग एकदम नए नोट मांगेंगे तो कहां तक नई करेंसी प्रिंट होगी। आरबीआइ की स्वायल्ड नोट पॉलिसी का हर स्तर पर पूरा पालन हो रहा है।
  • बैंक ऑफ इंडिया महाप्रबंधक बृजलाल के मुताबिक, क्लीन नोट पॉलिसी को लेकर हम काफी गंभीर हैं। अगर एटीएम से स्वायल्ड नोट निकल रहे हैं, तो यह गलत है। आरबीआइ के सख्त निर्देशों की स्वायल्ड नोट बाज़ार में जाना ही नहीं चाहिए। इस बात का पूरा ध्यान रखा जा रहा है कि बैंक ग्राहकों को साफ-सुथरे नोट ही दिए जाएं।
  • पीएनबी एजीएम अनुपम शर्मा के मुताबिक, क्लीन नोट पॉलिसी के तहत स्वायल्ड नोट दोबारा ग्राहक तक न पहुंचे, इस बात का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। एटीएम में भी साफ और अच्छे नोट ही भरे जा रहे हैं।
  • बैंक ऑफ बड़ौदा के महाप्रबंधक बृजेश कुमार सिंह का कहना है कि ब्रांच को स्वायल्ड नोट मिलने पर उन्हें री इशू नहीं किया जाता है। फ्रेश व साफ सुथरी करेंसी भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। कैश की कहीं कोई दिक्कत नहीं है। स्वायल्ड नोट एक्सचेंज करने के लिए बैंक की शाखाओं में काउंटर हैं। बैंक ग्राहक स्वायल्ड (सड़े/ गले) नोट एक्सचेंज कर सकता है।
    • लखनऊ के भारतीय रिजर्व बैंक क्षेत्रीय निदेशक लक्ष्मीकांत राव का कहना है कि सभी बैंको की शाखाओं को निर्देशित किया गया है कि आम जनता की मांग पर सभी मूल्यवर्ग के नये/ साफ सुथरे/अच्छे नोट एवं सिक्के जारी किए जाएं। साथ ही गंदे/ कटे-फटे तथा दोषपूर्ण नोटों का विनिमय किया जाए। विनिमय तथा लेन-देन में सिक्कों एवं नोटों को स्वीकार किया जाए। आरबीआइ लगातार सभी बैंकों को नए नोटों का प्रेषण करता रहता है, जिससे कि आम जनता को नए नोट मिलने में कोई असुविधा न हो। कोविड-19 महामारी के दौरान लॉकडाउन के समय भी भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सभी बैंको को पर्याप्त मात्रा में नए नोट जारी किये गए थे।

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