Vat savitri vrat 2021: कच्चे धागे से मजबूत होगी रिश्तों की डोर, जानिए पूजा से कैसे मिलेगी शनि भगवान की विशेष कृपा
वट सावित्रि व्रत में सुहागिन बरगद के पेड़ के तने में 108 बार कच्चे धागे को परिक्रमा करके बांधती हैं और सात जन्मों तक रिश्ता मजबूत बना रहे इसकी कामना करती हैं। लॉकडाउन में कुछ ढील के बावजूद महिलाएं घरों के आसपास ही पूजन करने की तैयारी में हैं।
लखनऊ, जेएनएन। सुहाग की कुशलता और समृद्धि की कामना का वट सावित्री व्रत गुरुवार आज है, लेकिन बुधवार से इसका मान शुरू हो गया था। इस दिन सुहागिन बरगद के पेड़ के तने में 108 बार कच्चे धागे को परिक्रमा करके बांधती हैं और सात जन्मों तक रिश्ता मजबूत बना रहे इसकी कामना करती हैं। लॉकडाउन में कुछ ढील के बावजूद महिलाएं घरों के आसपास ही पूजन करने की तैयारी में हैं। बावजूद इसके अधिक तर महिलाएं लॉकडाउन के पालन में घराें में ही पूजन करेंगी।
गमले में करेंगी पूजन: मानसनगर की रहने वाली संगीता वैसे तो हर साल तुलसी मानस मंदिर परिसर में लगे बरगद के पेड़ में धागा बांधती थीं, लेकिन इस बार गमले में धागा बांधकर पुरानी पररंपरा का निर्वहन करेंगी। आशियाना की पूजा मेहरोत्रा भी घर में गमले में ही पूजन करेंगी। उन्होंने बताया कि पास में अपने पंडित जी से पूछकर पूजन की तैयारी कर रही हूं। 108 बार परिक्रमा के साथ कच्चा धागा बाधूंगी।
बिक रही बरगद की डाल: वट वृद्ध की पूजा की परंपरा को लेकर सब्जी विक्रेता सजग हो गए और पांच और सात पत्तों वाली बरगद की डाल बेच रहे हैं। राजेंद्र नगर के पास ठेले पर डाल बेचने वाले दुकानदार रवि कुमार ने बताया कि पहली बार बरगद की डाल बेच रहे हैं। 11 पत्तों वाली डाल 21 रुपये और सात पत्तों वाली डाल 11 रुपये में बेच रहे हैं। आसपास के ग्रामीण इलाकों से डाल बेचने वाले राजधानी के कई इलाकों में नजर आए हैं।
सती सावित्री सत्यवान से जुड़ा है कथानक: आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन ही सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्धा से यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए थे। इसी मान्यता के चलते हर साल सुहागिन सोलह श्रृंगार के साथ वट वृक्ष को 108 बार कच्चा धागा बांधकर पूजा करती हैं।
कोविड काल में ऐसे करें पूजन: सुहागिन गमले में बरगद की डाल गाड़कर उसके पास पूजा कर सकती हैं। आचार्य अनुज पांडेय ने बताया कि इस दिन वट (बरगद) के पूजन का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश और सावित्री भी वट वृक्ष में ही रहते हैं। पति की लंबी आयु , शक्ति और धार्मिक महत्व के चलते इसकी पूजा की जाती है। गमले के पास रंगोली बनाने के बाद एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी नारायण और शिव-पार्वती की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें और पूजन करें। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि अमावस्या नौ जून को दोपहर 1 :57 बजे से शुरू होकर 10 जून को शाम 4 :22 बजे तक रहेगा। सूर्यादय सेे लेकर दोपहर 1 :42 बजे से पहले पूजन करना श्रेयस्कर रहेगा। इसी दिन शनि जयंती भी मनाई जाएगी। आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि सुबह स्नान के बाद बांस की टोकरी में ब्रह्माजी की मूर्ति की स्थापना के साथ सावित्री की मूर्ति की स्थापना करना चाहिए। दूसरी टोकरी में सत्यवान और सावित्री की मूर्तियों की स्थापना करके टोकरी को वट वृक्ष के नीचे जाकर ब्रह्मा और सती सावित्र का पूजन करना चाहिए। पूजा में जल, रोली, कच्चा सूत, भीगा चना, फूल तथा धूप सहित अन्य सामग्री से पूजन करके वट वृक्ष पूजन में तने पर कच्चा सूत लपेट कर 108 बार या कम से कम सात बार परिक्रमा करना चाहिए। वहीं बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विवि के कुलपति प्रो.संजय सिंह व मनकामेश्वर उपवन घाट पर महंत देव्या गिरि ने बरगद का पौधा लगाया।
मिलेगी शनि भगवान की विशेष कृपा: आचार्य विजय वर्मा ने बतायाकि इसी दिन शनि जयंती भी है। इसलिए यह दिन और खास हो गया है। सुहागिनों के पति पर शनि की कृपा भी बनी रहेगी। शनि स्त्रोत का पाठ करना श्रेयस्कर होगा। सूर्य पुत्र भगवान शनि न्याय के देवता है इस दिन शनि पूजन व्रत और शनि की वस्तुओं के दान करने से सभी दु:ख दूर होते हैं। गरीबों और मजदूरों की सेवा और सहायता, काली गाय , काला कुत्ता , कौवे की सेवा करने से, सरसों का तेल , कच्चा कोयला, लोहे के बर्तन , काला वस्त्र , काला छाता, काले तिल , काली उड़द दान करने से विशेष कृपा मिलती है।