PUBG Farewell: पबजी बैन तो मुस्कुराई जिंदगी, अब मनोरंजक तरीके से यूं करें बच्चों का मानसिक विकास
PUBG Farewell दैनिक जागरण आपको बता रहा हैं कुछ ऐसे एप्स और गेम्स के बारे में जो न सिर्फ मनोरंजक हैं बल्कि ये आपकी पढ़ाई में भी काफी सहायक साबित हो सकते हैं।
लखनऊ [यश दीक्षित]। PUBG Farewell: पबजी के बैन होने से अभिभावक काफी खुश हैं। कारण इस गेम के चलते बच्चे मोबाइल के लती हो गए थे। साथ ही उनका बहुत समय इसमें जाया हो रहा था। विशेषज्ञ तो यह भी कहते हैं कि इस तरह घंटो मोबाइल और गेम खेलने से बच्चों का मानसिक विकास भी बाधित हो रहा था। अब जबकि बच्चे पबजी नहीं खेल सकते तो वे इस समय को अपने ज्ञानवर्द्धन और मानसिक विकास में लगा सकते हैं वो भी मनोरंजक तरीके से। आपको बताते हैं कुछ ऐसे एप्स और गेम्स के बारे में जो न सिर्फ मनोरंजक हैं बल्कि ये आपकी पढ़ाई में भी काफी सहायक साबित हो सकते हैं।
साथ में शुरू की एक्सरसाइज
चौक की रहने वाली पद्मावती वर्मा बताती हैं कि मेरा बच्चा दिन में चार से पांच घंटे तक पबजी खेलता रहता था। इस वजह से वो ठीक से पढ़ाई में भी मन नहीं लगा पा रहा था। जबसे पबजी बंद हुआ है, मैंने उसको एक्सरसाइज करने के लिए प्रेरित किया। अब हम लोगों ने साथ में एक्सरसाइज करना शुरू किया है। इसके अलावा वो पेंटिंग और अपनी पढ़ाई में भी ध्यान लगा रहा है।
परिवार के लोगों से कर रहा बातचीत
राजाजीपुरम निवासी ममता बताती हैं कि मेरा लड़का अपना ज्यादातर समय पबजी खेलने में लगाता था। इस वजह से वो जल्दी अपने कमरे से बाहर भी नहीं निकलता था। कई बार वो अपनी ऑनलाइन क्लास भी छोड़ देता था। जबसे ये गेम बंद हुआ है वो समय से अपनी क्लास कर रहा और परिवार के लोगों के साथ बातचीत कर रहा है।
शुरू किया साइकिल चलाना
गोमतीनगर की सविता शुक्ला बताती हैं कि मेरे दोनों बच्चे मोबाइल गेम में अपना ज्यादातर समय बिताते थे। इस वजह से उन्होंने साइकिल चलाना बंद कर दिया था। ऐसे में जब से ये गेम बंद हुआ है उन्होंने अपनी साइकिल ठीक करा ली है और फिर से साइकिलिंग शुरू कर दी है। साथ ही वो पढ़ाई और ड्राइंग पर भी ध्यान दे रहे हैं।
खतरनाक है ऑनलाइन गेमिंग एडिक्शन
विज्ञान ने पिछले कुछ वर्षों में एक रिसर्च की है, जिसे हम बिहेवरल एडिक्शन कहते हैं। एडिक्शन टर्म पहले नशे के लिए इस्तेमाल किया जाता था। रिसर्च से पता चला कि कुछ ऐसे बर्ताव भी हो सकते हैं, जो एडिक्शन का काम करते हैं। वो दिमाग में ऐसा ही परिवर्तन कर रहे, जो नशीले पदार्थ करते हैं। बिहेवरल एडिक्शन का सबसे बड़ा कारण ऑनलाइन गेमिंग एडिक्शन है। टेक्नोलॉजी के अनुसार जो गेम तैयार किए जा रहे हैं, उनमें एडिक्शन पोटेंशियल बहुत ज्यादा है। एडिक्शन हम किसी चीज को तभी कहते हैं, जब आपके जीवन का काफी समय उसमें जा रहा हो, आप उसी के बारे में ही सोचते हों। जब आपको खेलने को नहीं मिलता तो आप तनाव महसूस करते हैं। लगातार जब आप कोई वीडियो गेम खेल रहे होते हैं तो उससे आपकी दैनिक दिनचर्या में परिवर्तन आना शुरू हो जाता है। हमारे मस्तिष्क में एक प्लेजर सेंटर होता है, जो हमेशा एक्टिवेट रहता है। जब भी हमें कोई काम करके खुशी मिलती है तो वो इसी प्लेजर सिस्टम के कारण होता है। जब आप कोई भी एडिक्टिंग एक्टिविटी जरूरत से ज्यादा करने लगते हैं तो वो आपके प्लेजर सेंटर को हैक कर लेता है। ऐसे में आपको अन्य रूटीन प्लेजर में मजा आना बन्द हो जाता है। जब भी कोई ज्यादा स्क्रीन पर समय बिताता है तो उसकी याददाश्त और ध्यान लगाने की क्षमता भी कम होने लगती है। इसके कुछ शारीरिक प्रभाव भी होते हैं जैसे सर में दर्द होना, आंखें दर्द, जलन और सूखापन, गर्दन दर्द, कमर दर्द, थकन होना, वजन बढ़ना। ऐसे में कई तरह की शारीरिक बीमारियां होने की भी संभावना बढ़ जाती है। इसके कुछ सामाजिक और जैविक प्रभाव भी होते हैं। ऐसा इंसान ज्यादा दोस्त नहीं बना पाता, सामाजिक नहीं हो पाता। कैरियर और भविष्य की वृद्धि धीमी हो जाती है।
बच्चे से बात करें
केजीएमयू साइकेट्री एडिशनल प्रोफेसर डॉ. आदर्श त्रिपाठी के मुताबिक, किसी भी एडिक्शन में यही कहा जाता है कि प्रिवेंशन इज बेटर दैन क्योर। ऐसी स्तिथि में अभिभावक को पहले से ही ध्यान देना चाहिए कि उनका बच्चा इस स्थिति में पहुंच ही ना पाए। घर में नियम बनाएं कि इससे ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इंटरनेट इस्तेमाल करने का समय तय करें। घर के सभी सदस्य उन नियमों का पालन करें। उनको खेलने के लिए, कुछ नया सीखने की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। साथ ही उनको जिस तरह की एक्टिविटी में दिलचस्पी हो उस तरह की एक्टिविटी ही कराई जाएं, जिससे उनका मनोरंजन हो। मनोरंजन के लिए दिन में एक से डेढ़ घंटे से ज्यादा उपयोग ना किया जाए। अगर आप इन नियमों का पालन करते हैं तो इससे एडिक्शन की संभावना कम हो जाएगी। अगर किसी को एडिक्शन हो चुका है तो ऐसी स्थिति में पहले अभिभावक खुद बच्चे से बात कर सकते हैं। उनसे पूछे कि जबसे वो इसका इस्तेमाल कर रहा है तबसे उसके जीवन पर क्या क्या फर्क पड़ा है। उससे पूछे कि ऐसा क्या तरीका है, जिससे वो इसका इस्तेमाल कम कर सके। इसके लिए रूटीन बनाएं, टाइम टेबल सेट करें। जब बहुत ज्यादा गेम खेलने की तलब लगे तो ऐसे दोस्तों से बातचीत करें, जो बिल्कुल भी गेम ना खेलता हो। ऐसे लोगों के साथ बैठे जो ऑनलाइन चीजों का काम उपयोग करते हों। म्यूजिक सुनना, एक्सरसाइज करना, साइकिलिंग करना, दौड़ लगाना, पेंटिंग करना जैसी जो भी एक्टिविटी आपको पसंद हो आप उसको कर सकते हैं।
ये बढ़ाएं दिमागी क्षमता
शतरंज
आप शतरंज भी खेल सकते हैं। इससे दिमागी क्षमता विकसित होती है। इसे दो खिलाड़ी खेलते हैं और दोनों के पास 16-16 मोहरे होती हैं। दोनों खिलाड़ियों को एक दूसरे के मोहरे को मारना होता है। जो खिलाड़ी दूसरे के बादशाह को मात देता है वही विजयी होता है।
लूमोसिटी
लूमोसिटी पजल गेम काफी ज्यादा चर्चित है। इस गेम को गूगल प्ले स्टोर से 10 करोड़ से भी ज्यादा यूजर डाउनलोड कर चुके हैं। यह गेम आपकी याददाश्त और फोकस करने की क्षमता को बढ़ाता है।
ब्रेन टेस्ट और स्किल्ज
रचनात्मकता और सोचने की क्षमता को बढ़ाने के लिए आप ब्रेन टेस्ट या स्किल्ज जैसे एप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें आपको ऐसे मजेदार डेयर मिलेंगे, जिनके जवाब खोजने में आपको काफी मजा आएगा। ये आपको आउट ऑफ द बॉक्स सोचने पर मजबूर करेगा।
क्रॉसवर्ड
ये एक ऐसा गेम है, जो आपकी शब्दावली अच्छी करने के साथ आपकी याददाश्त को भी बढ़ाता है। इसमें आपको नए नए शब्द सीखने को मिलेंगे, जो आपका ज्ञान बढ़ाएंगे।