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KGMU खोलेगा कन्नौज में बच्चों की मौत का राज, माइक्रोबायोलॉजी विभाग करेगा जांच Lucknow News

कन्‍नौज में एक में डिप्‍थीरिया से आठ बच्‍चों की मौत हो गई थी। बच्‍चों के सैंपल की जांच केजीएमयू के माइक्रोबायोलाजी विभाग में होगी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 07 Oct 2019 09:01 AM (IST)Updated: Mon, 07 Oct 2019 02:25 PM (IST)
KGMU खोलेगा कन्नौज में बच्चों की मौत का राज, माइक्रोबायोलॉजी विभाग करेगा जांच  Lucknow News
KGMU खोलेगा कन्नौज में बच्चों की मौत का राज, माइक्रोबायोलॉजी विभाग करेगा जांच Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। कन्नौज में एक माह में आठ बच्चों की मौत हो गई। इलाज करने वाले डॉक्टर ने मौत का कारण डिप्थीरिया लिखा। ऐसे में आठ ब्लॉकों में निगरानी शुरू की गई है। संदिग्ध बच्चों के सैंपल केजीएमयू भेजे गए हैं, जिनकी जांच करके माइक्रोबायोलॉजी विभाग बीमारी का सटीक आकलन करेगा।

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कन्नौज में सितंबर माह में आठ बच्चों की मौत हो गई है। इनका इलाज कानपुर में चल रहा था। यहां मौत का कारण डिप्थीरिया लिखा गया। ऐसे में जनपद में हड़कंप मच गया। लिहाजा, मृतकों के गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची। सभी ब्लॉकों में स्क्रीनिंग और सर्विलांस प्रोग्राम शुरू किया गया। सात ब्लॉकों में से टांसिल के लक्षण वाले संदिग्ध बच्चों के सैंपल संग्रह किए गए। सात बच्चों का थ्रोट स्वैब केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में लाया गया। इनमें बीमारी की पड़ताल की जा रही है। वहीं मृतक बच्चों में वैक्सीनेशन न होने का दावा किया जा रहा है।

मैपिंग का दिया सुझाव : केजीएमयू की माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ. शीतल वर्मा के मुताबिक मृतक बच्चों के घर से अन्य बच्चों के सैंपल लाए गए हैं। इसके अलावा संबंधित क्षेत्र के अन्य संदिग्ध बच्चों के भी सैंपल संग्रह किए गए हैं। अभी संदिग्ध तीन बच्चों की जांच में डिप्थीरिया की पुष्टि नहीं हुई है। इनमें अन्य जांचें की जाएंगी। देखा जाएगा आखिर मौत का कारण क्या है। शनिवार को कन्नौज की टीम को सैंपल कलेक्शन ट्यूब दी गईं। साथ ही केस वाले स्थानों की मैपिंग के निर्देश दिए गए हैं। 

डिप्थीरिया क्या है : डिप्थीरिया को गलाघोंटू बीमारी नाम से भी जाना जाता है। यह कॉरीनेबैक्टेरियम डिप्थीरिया बैक्टीरिया के इंफेक्शन से होता है। इसकी वजह से टांसिल व श्वसन नली को संक्रमण हो जाता है। संक्रमण के कारण एक ऐसी ङिाल्ली बन जाती है, जिसके कारण सांस लेने में रुकावट पैदा होती है। यही मौत का कारण बन जाता है।


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