Move to Jagran APP

कृष्ण सेना शौर्य प्रदर्शन देख छूटेगा कंस को पसीना

लखनऊ। कंस टीले पर कंस वध होगा लेकिन विश्राम घाट पर भगवान श्रीकृष्ण और बलराम की रंग-बिरंगी से

By Edited By: Published: Sun, 02 Nov 2014 12:18 PM (IST)Updated: Sun, 02 Nov 2014 12:18 PM (IST)
कृष्ण सेना शौर्य प्रदर्शन देख छूटेगा कंस को पसीना

लखनऊ। कंस टीले पर कंस वध होगा लेकिन विश्राम घाट पर भगवान श्रीकृष्ण और बलराम की रंग-बिरंगी सेना देखकर उसका पसीना छूट जाएगा। डेढ़ किमी के फासले में दुनिया के इस अनूठे मेले में आज शाम कृष्ण सेना शौर्य प्रदर्शन करेगी।

prime article banner

चतुर्वेदी समाज का यह पारंपरिक और अनूठा मेला विश्राम घाट से शुरू होकर आगरा रोड स्थित कंस टीले तक जाएगा। इस दौरान कंस के पुतले को कंधों पर रखकर समाज के रण-बांकुरे खूब चिढ़ाएंगे और अंतत: लट्ठों से धुनाई कर उसका वध कर देंगे। मेले में गोटेदार अचकन, बगलबंदी, कुर्ता-पायजामा समेत पारंपरिक परिधान में सजे सेनानी माथे पर तिलक-छापे लगाए होंगे। शरीर से इत्र-फुलेल की खुशबू बिखर रही होगी, लेकिन हाथों में सरसों का तेल लगा लट्ठ कंस का काल साबित होगा। विश्राम घाट से कंस के पुतले को लेकर जब यह सेना सड़कों पर निकलेगी, तो नारेबाजी के बीच कंस को मारने की इच्छा सुर संगीत के मध्य भी व्यक्त की जाएगी।

खास बात यह है कि समाज के वृद्ध जहां पारंपरिक परिधान में सजे धजे होंगे, तो देश-विदेश से आए युवा भी पीछे नहीं रहेंगे। कंस टीले पर उसका वध करने के बाद कंस के चेहरे को बाजार में फिर घुमाया जाएगा और सभी नारे लगा रहे होंगे-छज्जू लाए खाट के पाए, मार-मार लट्ठन झूरकर आए। वा ही कंस की दाढ़ी लाए, वा ही कंस की मूंछें लाए..मार-मार लट्ठन झूरकर लाए..

दरअसल, मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण की सेना में छज्जू चौबे शामिल हुए थे और ब्रजवासियों के सहयोग से कृष्ण ने कंस वध किया था। परंपरा के मुताबिक बाद में भगवान की हाथी पर सवार झांकी निकलेगी, तो अन्य झांकियां भी पीछे चल रही होंगी। शोभायात्रा में तीन स्थानों पर इस बार भव्य आतिशबाजी का इंतजाम किया गया है।

विश्राम घाट से लेकर कंस टीले तक बाजारों को पहले ही सजाया जा चुका है। छत्ता बाजार में एक सैकड़ा से ज्यादा स्टाल व दुकानें लगेंगी, जिन पर बाद में टिकिया, पकौड़ी, चाट, भल्ले आदि का रसास्वादन किया जाएगा। मेले की प्रसिद्धि के कारण दूर-दूर से देखने के लिए लोग भी यहां पहुंचेंगे।

माथुर चतुर्वेद परिषद की तीर्थ समिति के संयोजक राजकुमार कप्पू ने बताया कि विश्राम घाट पर वह भगवान के स्वरूपों समेत शोभायात्रा का स्वागत दूध, इत्र एवं पान से करेंगे। अंत में परिषद के मुख्य संरक्षक महेश पाठक स्वरूपों की आरती करेंगे। आरती को भव्य रूप प्रदान किया जाएगा। कंस ो मारने के लिए परिषद ने सात सौ लाठियां अलवर से मंगाई थीं, लेकिन अलवर के बाजार में यह कम पड़ गईं और केवल छह सौ लाठियां ही उपलब्ध हो सकीं। शुक्रवार को सभी लाठियां हाथों हाथ बिक गईं। परिषद ने इन्हें सब्सिडी पर उपलब्ध कराया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.