Move to Jagran APP

कानपुर के हृदय रोग संस्थान में आग से निपटने के इंतजाम में बड़ी खामियां, सीएम कार्यालय को समिति ने सौंपी जांच रिपोर्ट

कानपुर के लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान में अग्निकांड के कारणों का पता लगाने के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति ने पाया है कि जर्जर भवन में बेड की संख्या बढ़ाने और सेंट्रल एयरकंडीशनिंग के लिए की गई रेट्रो फिटिंग में आग से बचाव के तौर-तरीकों की अनदेखी की गई।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 29 Mar 2021 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 29 Mar 2021 05:20 PM (IST)
कानपुर के हृदय रोग संस्थान में आग से निपटने के इंतजाम में बड़ी खामियां, सीएम कार्यालय को समिति ने सौंपी जांच रिपोर्ट
कानपुर के हृदय रोग संस्थान में आग से निपटने के इंतजाम में बड़ी खामियां मिली हैं।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। कानपुर के लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान में आग से बचाव के लिए किये गए सुरक्षात्मक उपाय रविवार सुबह अस्पताल में अग्निकांड होने पर फेल साबित हुए हैं। अग्निकांड के कारणों का पता लगाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर गठित उच्च स्तरीय समिति ने अपनी जांच-पड़ताल में यह भी पाया है कि संस्थान के पुराने जर्जर भवन में बेड की संख्या बढ़ाने और सेंट्रल एयरकंडीशनिंग के लिए की गई रेट्रो फिटिंग और ग्लेज्ड मिरर लगाने में आग से बचाव के तौर-तरीकों की अनदेखी की गई है। संस्थान की इमारत की डिजाइन में भी खामियां पायी गई हैं। प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति ने रविवार देर शाम अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को सौंप दी है।

loksabha election banner

सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में बताया गया है कि 1970 में बने हृदय रोग संस्थान की क्षमता 40 बेड की थी। संस्थान का भवन जर्जर होने के बावजूद वर्ष 2007-08 में इसकी क्षमता को बढ़ाकर 150 बेड कर दिया गया। अस्पताल की क्षमता बढ़ाने के साथ इसमें सेंट्रल एयरकंडीशनिंग की व्यवस्था की गई थी। इसके लिए जो रेट्रो फिटिंग की गई, उसमें दीवारों को सील कर दिया गया। गलियारे और बाहर निकलने के रास्ते बंद या तंग हो गए। संस्थान के जिस ओर से रेलवे लाइन गुजरती है, उस तरफ दो लेयर में पांच-पांच फीट ऊंचाई के ग्लेज्ड मिरर लगा दिए गए थे। इससे एयरकंडीशनिंग तो प्रभावी हो गई लेकिन आग लगने की स्थिति में धुआं निकलने का रास्ता बंद हो गया। समिति ने जांच में यह भी पाया कि संस्थान के भवन की सीढ़ियां संकरी और रैंप छोटा है।

नहीं बजा फायर अलार्म, फायर हाइड्रेंट नाकाम : समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया है कि सुबह भूतल पर बने स्टोर रूम में आग लगने और धुआं निकलने पर फायर अलार्म नहीं बजा। इसकी वजह जानने के लिए समिति ने इलेक्ट्रिकल सेफ्टी यूनिट से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। वहीं आग को बुझाने के लिए स्थापित किए गए फायर हाइड्रेंट सिस्टम ने भी काम नहीं किया। समिति को बताया गया कि फायर हाइड्रेंट के अंडरग्राउंड टैंक में रिसाव है जिसे दुरुस्त कराने के लिए संस्थान और कार्यदायी संस्था के बीच पिछले चार महीने से खत-ओ-किताबत चल रही है।

डिजाइन पर गौर फरमाने की जरूरत : समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस ओर भी ध्यान आकृष्ट किया है कि अस्पतालों को बनाते समय और उनमें सेंट्रल एयरकंडीशनिंग के इंतजाम करते समय भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिहाज से डिजाइन और अन्य उपायों पर गंभीरता से गौर फरमाने की जरूरत है। सेफ्टी ऑडिट कराकर यह भी देखने के लिए कहा है कि यदि संस्थान में स्लाइडिंग विंडो होती तो उन्हेंं खिसका कर धुएं के निकलने के लिए आसानी से रास्ता बनाया जा सकता था।

मरीजों की मौत दम घुटने और जलने से नहीं : समिति को यह भी पता चला कि रविवार सुबह संस्थान में दो मरीजों की मौत हुई थी। इनमें से हमीरपुर निवासी 75 वर्षीय तेजचंद्र की मौत सुबह 6.30 बजे आग लगने से पहले हुई थी। वहीं कानपुर निवासी 60 वर्षीय इमाम अली नामक दूसरे मरीज की मौत सुबह 9.20 बजे हुई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पुष्टि हुई है कि दोनों की मृत्यु दम घुटने या जलने से नहीं हुई है।

काम आई मॉक ड्रिल : समिति ने पाया है कि आग लगने की स्थिति से निपटने के लिए संस्थान में छह महीने पहले मॉक ड्रिल हुई थी। अग्निकांड होने पर इसका लाभ मिला। अस्पताल के डॉक्टरों, अधिकारियों-कर्मचारियों ने सूझबूझ का परिचय देते हुए मरीजों को बचाने में भूमिका निभाई।

अब तक चार मरीजों की मौत : कानपुर के लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान (कार्डियोलॉजी) के क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) के स्टोर रूम में रविवार सुबह साढ़े छह बजे भीषण आग लग गई। पूर्णत: वातानुकूलित बिल्डिंग में धुआं भरने से चीख-पुकार मच गई। अस्पताल के कर्मचारियों ने फायर ब्रिगेड को सूचना दी और फुर्ती दिखाते हुए मरीजों को बाहर निकालना शुरू कर दिया। इस बीच इमरजेंसी में भर्ती चार मरीजों की मौत हो गई। स्थानीय प्रशासन ने हादसे में एक मौत की पुष्टि की है, जबकि एक अन्य मरीज के स्वजन ने भी हादसे में जान जाने की बात कही है। काफी मशक्कत के बाद 11:30 बजे आग पर काबू पाया जा सका। अफरातफरी के बीच अन्य मरीजों को हैलट अस्पताल के आइसीयू एवं वार्ड तीन में शिफ्ट कराया गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.