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Kamlesh Tiwari Murder : कमलेश के हत्यारों को सरकार फांसी दे, नहीं तो हमें सौंप दे: किरण तिवारी

हिंदू समाज पार्टी के पूर्व अध्‍यक्ष कमलेश तिवारी की पत्नी किरण तिवारी को पार्टी की बनी नई अध्यक्ष जिसके बाद प्रेस वार्ता में हत्यारों के लिए फांसी की मांग की।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 26 Oct 2019 08:48 AM (IST)Updated: Sun, 27 Oct 2019 09:29 AM (IST)
Kamlesh Tiwari Murder : कमलेश के हत्यारों को सरकार फांसी दे, नहीं तो हमें सौंप दे: किरण तिवारी
Kamlesh Tiwari Murder : कमलेश के हत्यारों को सरकार फांसी दे, नहीं तो हमें सौंप दे: किरण तिवारी

लखनऊ, जेएनएन। हिंदू समाज पार्टी की अध्यक्ष बनने के बाद किरण तिवारी ने शनिवार दोपहर प्रेस वार्ता की। जिसमें उन्होंने प्रदेश सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि आरोपितयों को फांसी दी जाए, अगर नहीं दे सकते हैं तो हमें सौंप दें, हम निपट लेंगे। 

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मुंह बंद करने के लिए दिए गए 15 लाख रुपये 

प्रेस क्लब में वार्ता के दौरान किरण तिवारी ने कहा कि वह कमलेश तिवारी के सपनों को हर कीमत पर पूरा करेंगी। इसके साथ ही शासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने 15 लाख रुपये देकर कमलेश तिवारी का अपमान किया है। किरन तिवारी ने सरकार से मांग की है कि हत्यारों को जेल में रखकर मेहमान नवाजी करने के बजाय जल्द से जल्द फांसी दें। अगर सरकार यह नहीं कर सकती है तो हत्यारों को हमको सौंप दे। हम फैसला कर लेंगे। मेरा मुह बंद कराने के लिए सरकार ने हमें 15 लाख रुपये दिए। सरकार से भीख नहीं मांगी थी, उनका चेक वैसे ही रखा। भाजपा नेता पर कोई आतंकी हमला होता है तो मैं 30 लाख रुपये अपनी तरफ से दूंगी। जिहादियों आतंकवादियों को पकड़कर एंकाउटर करना चाहिए। 

किरण तिवारी ने कहा कि आरोपियों को फांसी दो वरना हमारे हवाले कर दो। सरकार उन्हें जेल में रखकर मेहमान नवाजी न करें। अगर उनके संविधान में नहीं है फांसी देना तो हमारे हवाले कर दे। कमलेश तिवारी के हिन्दू राष्ट्र के सपने को मैं साकार करूंगी। हत्याकांड से जुड़े कई सवालो के जवाब अब भी मिलना बाकी हैं। पूरे मामले में पुलिस और प्रसासन की लापरवाही हुई है। उनके खिलाफ क्या करवाई की गई है। इन लोगों को अरेस्ट नहीं किया गया था उन्होंने सिरेंडर किया। 

मुख्यमंत्री ने नहीं मानी मांग 

हमने एनआइए की जांच मांगी थी, जितने आरोपी थे उन्हें सजा दी जाए। प्रशासन और शासन की कमी थी उन्हें पूरी तरह से सुरक्षा नहीं दी। नाका थाना और सरकार सुरक्षा नहीं दे रही थी। एक दिन पहले भी सुरक्षा मांगी थी। 15 लाख रुपये देकर मेरा मुंह बंद करने को कहा। उस समय हमसे जो बोला हम कर रहे थे, योगी जी को हमने बुलाया नहीं आए, लेकिन हिंदूवादी नेता मरा तो मिलने नहीं आए। उल्टा उन्होंने हमें बुलवाया। पार्क में मूर्ति लगवाई जाए और पार्क उनके नाम किया जाए लेकिन वो नहीं माने। 

पार्टी के जनरल सेकेट्री राजेश मणि त्रिपाठी ने बताया कि हिन्दू समाज पार्टी की नवनिर्वाचित अध्यक्ष किरन तिवारी आज पार्टी की बागडोर संभाल ली। प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने इसकी घोषणा की। त्रिपाठी ने बताया कि लखनऊ कार्यालय में नव निर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष किरन तिवारी ने अपना पदभार संभाल लिया है।

ओवैसी पर भी साधा निशाना

किरन तिवारी ने कहा कि कमलेश तिवारी की हत्या के बाद ओवैसी खुशी जता रहे थे। वह कायर हैं। मेरे सामने ओवैसी कोई अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करेंगे तो उसका जवाब उनकी ही भाषा में मिलेगा।

ये है मामला 

पति की हत्या के बाद किरण तिवारी ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी और हत्यारों के लिए फांसी की सजा की मांग की थी। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंदू संगठन के नेता कमलेश तिवारी की पत्नी को 15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने के निर्देश दिए थे।कमलेश तिवारी लखनऊ स्‍थ‍ित अपने कार्यालय में थे इसी दौरान उनसे मिलने का बहाना बनाकर अशफाक और मोइनुद्दीन कमलेश तिवारी के घर पहुंचे और बेरहमी से उनकी हत्या कर दी थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि तिवारी को 15 बार चाकू मारा गया था और उसके बाद चेहरे पर गोली मारी गई थी।  

कमलेश तिवारी हत्याकांड में धीरे-धीरे पर्तें खुलने लगी हैं। बरेली से पकड़ा गया वकील मु. नावेद दोनों हत्यारोपितों को हल्की धाराओं में जेल भिजवाने की तैयारी में था। नावेद के कहने पर लखीमपुर निवासी रईस व आसिफ ने हत्यारोपित अशफाक और मोईनुद्दीन को मोबाइल व रुपये उपलब्ध कराये थे। पुलिस ने शुक्रवार को हत्यारोपितों से नावेद का सामना कराया।

हत्यारोपितों को हल्की धाराओं में जेल भिजवाना चाहता था वकील नावेद

नावेद और लखीमपुर निवासी दोनों युवकों रईस और आसिफ की भूमिका हत्यारोपितों के मददगार के रूप में सामने आई है। नावेद दोनों हत्यारोपितों को किसी दूसरे मामले में जेल भिजवाने की तैयारी में था। तमंचा या नशीले पदार्थ रखने की कमजोर धाराओं में जेल भिजवा देता तो वे लखनऊ पुलिस या एटीएस के हाथ आने से बच जाते। सारी योजना बनाने के बदले पांच लाख रुपये में सौदा तय हुआ था। वकील नावेद को साक्ष्य छिपाने का भी आरोपित बनाया गया है। नावेद ने हत्यारोपितों के नेपाल से वापस आने में भी अहम भूमिका निभाई थी। नावेद के कहने पर ही लखीमपुर में रईस व आसिफ ने हत्यारोपितों की मदद की थी। एटीएस नावेद की कॉल डिटेल्स भी खंगाल रही है।

एटीएस की जांच के बाद पता चला कि अशफाक व मोइनुद्दीन वारदात के बाद सीधे इसलिए आए, क्योंकि उन्हें कथित रिश्तेदार नावेद से मदद मिलने की बात तय हो चुकी थी। इसके लिए प्रेमनगर से गिरफ्तार किए गए मौलाना कैफी व नावेद के पास पहले ही फोन आ चुका था। कहा जा रहा कि इस बाबत नागपुर से पकड़े गए साजिशकर्ता आसिम ने बात की थी।

कुंवरपुर में नावेद से मुलाकात के बाद तय हुआ कि बरेली से किसी मामले में जेल जाने की व्यवस्था करा दी जाए। इसके पीछे वजह थी कि आरोपित नहीं चाहते थे कि वे लखनऊ की पुलिस टीमों के हाथ आएं। यहां से जेल जाएंगे तो सुरक्षित रहेंगे। लखनऊ की पुलिस टीमें बाद में रिमांड पर भले ही ले लें मगर तब कोर्ट का दखल रहेगा। उसी के आदेश पर रिमांड मिल सकेगी। ये सब कराने के लिए नावेद ने हामी भरी थी। चूंकि वह खुद को वकील बताता था, इसलिए दोनों हत्यारोपितों ने उसकी हर बात में हामी भर दी, लेकिन बात नहीं बनी तो दोनों हत्यारोपित गुजरात चले गए। जहां राजस्थान के बॉर्डर पर पकड़े गए।

नावेद की कॉल डिटेल निकाल रही पुलिस

नावेद को पकडऩे के बाद एटीएस उससे पूछताछ कर रही है। इस दौरन एटीएस उसके नंबर की कॉल डिटेल निकाल कर यह जानने का प्रयास कर रही है कि नावेद ने हत्या की घटना के बाद किन-किन लोगों से बात की और हत्यारोपितों के बारे में किसे-किसे पता था।

नावेद के रिश्तेदारों ने बंद किए फोन नावेद के पकड़े जाने के बाद हालात यह है कि नावेद के परिचित व रिश्तेदार अब उससे दूर रहना चाहते हैं। पुलिस ने उसके किए गए ज्यादातर नंबरों पर संपर्क करने का प्रयास किया तो वह बंद मिले।


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