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Kamlesh Tiwari Murder Case : आरोपित सालभर से कर रहे थे तैयारी, टेरर फंडिंग की भी आशंका

लखनऊ में कमलेश तिवारी के घर तक पहुंचने के लिए हत्यारों ने लखनऊ के कई लोगों से सोशल मीडिया के जरिए दोस्ती गांठ ली थी।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 05:34 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 05:34 PM (IST)
Kamlesh Tiwari Murder Case : आरोपित सालभर से कर रहे थे तैयारी, टेरर फंडिंग की भी आशंका
Kamlesh Tiwari Murder Case : आरोपित सालभर से कर रहे थे तैयारी, टेरर फंडिंग की भी आशंका

लखनऊ, जेएनएन। हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की हत्या की साजिश रचने वाले गिरोह ने सोशल मीडिया के जरिए ताना-बाना बुना था। इसके लिए न केवल फर्जी फेसबुक आइडी का सहारा लिया गया बल्कि सोशल मीडिया के जरिए हिंदू समाज पार्टी की गतिविधियों पर भी नजर थी।

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लखनऊ में कमलेश तिवारी के घर तक पहुंचने के लिए हत्यारों ने लखनऊ के कई लोगों से सोशल मीडिया के जरिए दोस्ती गांठ ली थी। इसी की मदद से उन्होंने कमलेश तिवारी के घर का पता, आने-जाने के साधन और वापस लौटने का रूट तैयार किया था।

पुलिस की एक टीम आरोपितों से सोशल मीडिया पर जुड़े लोगों की कुंडली भी खंगाल रही है। सूत्रों का कहना है कि आरोपित करीब एक साल से कमलेश की हत्या की योजना बना रहे थे। इसके लिए 50 से अधिक बैठकें हुई थीं। अंतिम बार 15 अक्टूबर को आरोपित सूरत में एक जगह इकट्ठा हुए थे और कमलेश की हत्या की साजिश रची थी। इसके बाद शेख अशफाक हुसैन और पठान मोइनुद्दीन अहमद ने अपना हुलिया बदला था और पहचान छिपाने के लिए दाढ़ी भी कटवा दी थी। दोनों ने लाल और भगवा रंग का कुर्ता भी सिलवाया था। वारदात के पीछे टेरर फंडिंग से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। क्राइम ब्रांच ने आरोपितों के बैंक डिटेल खंगाले हैं। माना जा रहा है कि बरेली व जिलों में हत्यारों के मददगारों ने उन्हें रुपये, ट्रेन के टिकट व अन्य साधन उपलब्ध कराए हैं।

पीलीभीत के मूल निवासी हैं दो आरोपित

सूत्रों के मुताबिक कमलेश तिवारी की हत्या की साजिश में शामिल दो आरोपित मूलरूप से पीलीभीत के रहने वाले हैं। आरोपितों के घरवाले कई वर्ष पहले सूरत चले गए थे। पीलीभीत कनेक्शन सामने आने के बाद आरोपितों के पश्चिमी यूपी में कनेक्शन की पुष्टि हो गई है। संभव है कि आरोपितों ने पुलिस को गुमराह करने के लिए अपना मोबाइल फोन किसी अन्य साथी को दे दिया होगा। इसके बाद दोनों बरेली से पीलीभीत के रास्ते नेपाल जाने की तैयारी में होंगे। पुलिस टीम का कहना है कि कई पहलुओं पर छानबीन की जा रही है। जल्द ही दोनों को दबोच लिया जाएगा।

कानपुर के रेल बाजार की मोबाइल शॉप से खरीदा था सिमकार्ड

कमलेश तिवारी के हत्यारोपितों ने कानपुर सेंट्रल स्टेशन से बाहर निकलकर रेल बाजार की मोबाइल शॉप से सिमकार्ड खरीदा था। उसी से उन्होंने कमलेश तिवारी और फिर गुजरात के कई नंबरों पर बात की थी। एसटीएफ ने रविवार शाम सर्विलांस की मदद से दुकानदार को हिरासत में पूछताछ शुरू की है। एसटीएफ को सिमकार्ड लेने आए अशफाक व उसके साथी की तलाश है। लखनऊ में कमलेश तिवारी की हत्या के लिए कातिलों ने सुनियोजित प्लान बनाया था। वह गुजरात से उद्योगकर्मी एक्सप्रेस से कानपुर स्टेशन पहुंचे थे। यहां रुकने के बाद उन्होंने सबसे पहले स्टेशन के कैंट साइड में रेल बाजार थाना क्षेत्र स्थित टेलीकॉम दुकान से नया सिमकार्ड लिया। इसके लिए दोनों ने अशफाक नाम से आइडी का इस्तेमाल किया था। अशफाक के साथ उसका एक और साथी था। एसटीएफ टीम को आधार कार्ड के जरिए अशफाक का फोटो तो मिल गया, लेकिन दुकान या आसपास कोई सीसीटीवी कैमरा लगा न होने के कारण दूसरे शख्स का फोटो या हुलिया नहीं मिल सका है। रविवार शाम एसटीएफ ने टेलीकॉम शॉप के मालिक को पूछताछ के लिए पकड़ा और उससे सिमकार्ड लेने आए युवकों के बारे में पूछताछ की। दुकानदार ने पहले कभी उन्हें दुकान या आसपास न देखने की बात कही है। सूत्रों ने बताया कि सिमकार्ड लेने के लिए जो आधार कार्ड लगाया गया है। उस पर अशफाक का पता सूरत का है।  


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