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फर्जी जाति प्रमाणपत्र से एनटीपीसी में हासिल की नौकरी, सीबीआइ जांच में खुला सच; धोखाधड़ी का केस दर्ज

सीबीआइ ने एनटीपीसी गौतमबुद्धनगर में अनुसूचित जनजाति के फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी हासिल किये जाने का मामला पकड़ा है। राजस्थान से बने फर्जी जाति प्रमाणपत्र का प्रयोग कर आरोपित ओम प्रकाश ने अगस्त 2010 में एक्सीक्यूटिव ट्रेनी के पद पर नौकरी हासिल की थी।

By Vikas MishraEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 08:21 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 03:31 PM (IST)
फर्जी जाति प्रमाणपत्र से एनटीपीसी में हासिल की नौकरी, सीबीआइ जांच में खुला सच; धोखाधड़ी का केस दर्ज
सीबीआइ लखनऊ की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने इस मामले में धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। सीबीआइ ने एनटीपीसी (नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन लिमिटेड), गौतमबुद्धनगर में अनुसूचित जनजाति के फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी हासिल किये जाने का मामला पकड़ा है। राजस्थान से बने फर्जी जाति प्रमाणपत्र का प्रयोग कर आरोपित ओम प्रकाश ने अगस्त, 2010 में एक्सीक्यूटिव ट्रेनी के पद पर नौकरी हासिल की थी। सीबीआइ लखनऊ की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने इस मामले में धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है।

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सीबीआइ ने पहले इस मामले की जांच की थी।

ओम प्रकाश ने अपनी नौकरी के लिए 20 दिसंबर 2004 को जयपुर (राजस्थान) की शाहपुरा तहसील से जारी अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र लगाया था। जिसमें उनकी जाति मीणा दर्ज थी। जांच में सामने आया कि शाहपुरा तहसील से ऐसा कोई प्रमाणपत्र जारी नहीं हुआ था। ओम प्रकाश के स्कूल के दस्तावेज खंगाले गये, जिसमें उनकी जाति जाट दर्ज थी। ओम प्रकाश के पिता मोहन लाल पोस्ट आफिस से सेवानिवृत्त हुए थे। उनके दस्तावेज खंगाले गये, जिसमें मोहन लाल का जाति भी जाट दर्ज थी। जांच में साफ हो गया कि ओम प्रकाश ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) श्रेणी में आते हैं और नौकरी हासिल करने के लिए फर्जी प्रमाणपत्र का प्रयोग किया था। सीबीआइ अब जाली प्रमाणपत्र बनाने में ओम प्रकाश के मददगारों की भी जांच कर रही है।


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