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जेएल त्रिपाठी का नाम यूपी के डीजीपी नियुक्ति पैनल में शामिल, महाधिवक्ता ने हाई कोर्ट को दी जानकारी

हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि डीजी जैसे महत्वपूर्ण पद पर विराजमान अफसर को अखबार की खबर के आधार पर याचिका नहीं दाखिल करनी चाहिए थी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 27 Jan 2020 08:28 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jan 2020 08:28 PM (IST)
जेएल त्रिपाठी का नाम यूपी के डीजीपी नियुक्ति पैनल में शामिल, महाधिवक्ता ने हाई कोर्ट को दी जानकारी
जेएल त्रिपाठी का नाम यूपी के डीजीपी नियुक्ति पैनल में शामिल, महाधिवक्ता ने हाई कोर्ट को दी जानकारी

लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष सोमवार को महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने बयान दिया कि डीजी नागरिक सुरक्षा एवं वरिष्ठ आईपीएस अफसर जवाहर लाल त्रिपाठी का नाम डीजीपी पद पर नियुक्ति के लिए लोक सेवा आयोग को भेजे जाने वाले पैनल में शामिल है। उन्होंने कोर्ट से कहा कि याचिका केवल अखबार की खबर के आधार पर दाखिल की गई है, जो पोषणीय नहीं है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि डीजी जैसे महत्वपूर्ण पद पर विराजमान अफसर को अखबार की खबर के आधार पर याचिका नहीं दाखिल करनी चाहिए थी और वह भी तब जब कि उन्हें कानूनन यह अधिकार नहीं है कि उन्हें यह बताया जाए कि जिस पैनल से नियुक्ति होनी है उस पैनल में उनका नाम है अथवा नहीं। कोर्ट ने याचिका को बलहीन पाते हुए उसे खारिज कर दिया।

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यह आदेश जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने त्रिपाठी की ओर से दायर रिट याचिका को खारिज करते हुए पारित किया। उल्लेखनीय है कि वर्तमान डीजीपी ओपी सिंह का कार्यकाल 31 जनवरी, 2020 को पूरा हो रहा है। इस पर याची की ओर से अखबार की खबरों का हवाला देकर याचिका दाखिल की गई और कहा गया है कि नए डीजीपी की नियुक्ति के लिए राज्य सरकार ने लोक सेवा आयेाग को तीन आईपीएस अफसरों का पैनल भेजा है, जिसमें से ही नए डीजीपी की नियुक्ति की जानी है, किंतु उसका नाम पैनल में नहीं भेजा है।

याचिका में कहा गया कि याची प्रदेश में कार्यरत वरिष्ठतम आइपीएस अफसरों की सूची में तीसरे पायदान पर आता है, किन्तु उनका नाम सरकार द्वारा लोक सेवा आयेाग को भेजे गए तीन नामों के पैनल में नहीं है, जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार आदि मामले में दिए गए दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।

महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने कहा कि पहले तो त्रिपाठी को नियमत: यह जानने का कोई विधिक अधिकार नहीं है कि पैनल में सरकार ने उनका नाम भेजा है अथवा नहीं और दूसरे यह कि त्रिपाठी ने याचिका केवल अखबार की खबरों का आधार बनाकर दाखिल किया है जो कि कर्त पोषणीय नहीं है।


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