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विकास की लैंडिंग कराएगा जेवर एयरपोर्ट, वृहद स्तर पर रोजगार सृजन के भी अवसर उपलब्ध

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के आकार लेने से उत्तर प्रदेश की पुरानी नकारात्मक तस्वीर को बदलने और प्रदेश के ग्लोबल एक्सपोजर में भी सहायता मिलेगी। इस एयरपोर्ट के पूरा होते ही देश के 29 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों में से चार उत्तर प्रदेश में होंगे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 22 Dec 2020 11:53 AM (IST)Updated: Tue, 22 Dec 2020 11:56 AM (IST)
विकास की लैंडिंग कराएगा जेवर एयरपोर्ट, वृहद स्तर पर रोजगार सृजन के भी अवसर उपलब्ध
वृहद स्तर पर रोजगार सृजन का भी अवसर उपलब्ध कराएगा। प्रतीकात्मक

लखनऊ, राजू मिश्र। आम बोलचाल में जेवर के नाम से चर्चा में रहा निर्माणाधीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा अब नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के नाम से जाना जाएगा। वर्ष 2023 में यह एयरपोर्ट जब शुरू होगा तो विकास की लैंडिंग सीधे यूपी की सीमा में होने लगेगी। अभी यह आकलन ही है, लेकिन प्रदेश की जिस लोकेशन पर यह एयरपोर्ट बन रहा है, वह रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। पिछले दिनों इस एयरपोर्ट के नामकरण, लोगो व डिजाइन को अंतिम रूप देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके ग्लोबल ब्रांड के रूप में उभरने की जो उम्मीद जताई है, उसके पर्याप्त आधार हैं।

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नोएडा का यह एयरपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना में तो शामिल ही है, लेकिन इसके पीछे प्रदेश के समग्र विकास की सुनियोजित रणनीति भी है। दरअसल प्रदेश में केवल दो इंटरनेशनल एयरपोर्ट ही थे- लखनऊ और वाराणसी। कुशीनगर में 2009 से एयरपोर्ट प्रस्तावित था, लेकिन उस पर काम की गति इतनी धीमी थी कि वह किसी उद्देश्य की ओर इशारा नहीं करती थी। इसी तरह जेवर में भी एयरपोर्ट बनाने की बात केवल भाषणों और वादों तक सीमित थी। योगी सरकार ने विकास से अछूते पूर्वी उत्तर प्रदेश और अकूत संभावनाओं के बावजूद आधारभूत ढांचे से वंचित पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मंथर गति से चल रही एयरपोर्ट की इन परियोजनाओं की ताकत पहचानी।

सबसे पहले कुशीनगर में बन रहे एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने का निर्णय किया गया और इसके बाद जेवर एयरपोर्ट को। लिहाजा कुशीनगर एयरपोर्ट के निर्माण कार्य में अचानक तेजी आ गई। कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट की जरूरत दो कारणों से बन रही थी। पहली यह कि पूरी दुनिया में फैले बौद्ध धर्म के करीब 53 करोड़ अनुयायियों को बौद्ध सíकट में सीधे लाया जा सके। कुशीनगर बौद्ध सíकट का केंद्र बिंदु है। श्रवस्ती और सारनाथ के साथ बिहार के बोध गया और नेपाल के लुंबिनी पहुंचने वाले श्रीलंका, थाइलैंड, म्यांमार, भूटान, जापान आदि के बौद्ध तीर्थयात्रियों के लिए कुशीनगर ऐसा पड़ाव है जहां से वह भगवान बुद्ध की प्रत्येक प्रेरणास्थली का भ्रमण या तीर्थाटन कर सकते हैं। दूसरा कारण चीन की आक्रामक नीतियां बनीं, जिसके तहत उसने नेपाल में पैठ बनानी शुरू की। चीन की मदद से नेपाल के भैरहवा में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने की मंशा ने कुशीनगर एयरपोर्ट को गति दे दी। इससे इसका सामरिक महत्व भी बन गया। वर्तमान कोरोनाकाल में अभी इस एयरपोर्ट की क्षमता का दोहन नहीं हो पा रहा, लेकिन शीघ्र ही इस एयरपोर्ट के माध्यम से पूर्वी उत्तर प्रदेश में पर्यटन की तस्वीर बदलने लगेगी।

नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट, जेवर को देश का सबसे बड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने का इरादा है। इसकी डिजाइन लंदन, मॉस्को और मिलान के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों को भी मात देने वाली है। चार चरणों में पूरी होने वाली इस परियोजना में अभी दो रनवे प्रस्तावित हैं। भविष्य में इसमें तीन रनवे और जोड़े जाएंगे। इसकी शुरुआती क्षमता प्रतिवर्ष 1.2 करोड़ यात्रियों की है, जिसे 2050 तक सात करोड़ तक पहुंचाया जाएगा। जेवर एयरपोर्ट के काम में तेजी के पीछे भी कहीं न कहीं चीन एक कारक है। चीन छोड़कर आ रही कंपनियों के लिए नोएडा में एक नई इलेक्ट्रॉनिक सिटी का जो खाका तैयार किया गया है, उसे इस एयरपोर्ट से काफी गति मिलने की संभावना है। प्रस्तावित फिल्म सिटी के लिए भी यह एयरपोर्ट मददगार बनेगा। ये महज उदाहरण भर हैं, संभावनाएं इससे कहीं अधिक विस्तृत।

दिल्ली-एनसीआर ही नहीं, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकतर जिलों को इस एयरपोर्ट के माध्यम से सीधी अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी का लाभ मिलेगा। इसे शुरुआती चरण में ही यमुना एक्सप्रेस-वे से जोड़ने के कारण यह ताजनगरी आगरा सहित प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए गेटवे का काम करेगा। वस्तुत: यह आश्चर्य ही है कि इतने महत्वपूर्ण आधारभूत ढांचे को विकसित करने में पिछली सरकारें क्यों संकोच करती रहीं।

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से दिल्ली एयरपोर्ट पर भी दबाव घटेगा। इसमें संदेह नहीं कि जिस तरह कभी बंदरगाह वाले तटीय क्षेत्र बहुआयामी प्रगति का माध्यम हुआ करते थे, उसी तरह वर्तमान में उड्डयन क्षेत्र इसका सशक्त माध्यम है। विभिन्न उद्योगों को तो इस एयरपोर्ट से गति मिलेगी ही, वृहद स्तर पर रोजगार सृजन का भी अवसर उपलब्ध कराएगा।

[वरिष्ठ समाचार संपादक, उत्तर प्रदेश]


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