ट्यूमर हटाकर पैर की हड्डी से बना दिया जबड़ा, प्लेट लगाने का झंझट खत्म Lucknow news
केजीएमयू के दंत संकाय में माइक्रो वैस्कुलर सर्जरी शुरू दोबारा ऑपरेशन से छुटकारा।
लखनऊ, जेएनएन। 32 वर्षीय मरीज के जबड़े में ट्यूमर था। केजीएमयू के दंत संकाय में माइक्रो वैस्कुलर सर्जरी तकनीक से ट्यूमर हटाकर पैर की हड्डी फिक्स कर दी गई। ऐसे में प्लेट लगाने व दोबारा ऑपरेशन का झंझट खत्म हो गया। इस विधि से विभाग में यह पहला ऑपरेशन हुआ।
ओरल एंड मैक्सिलोफिशियल सर्जरी विभाग के डॉ. यूएस पाल के मुताबिक झांसी निवासी स्वदेश (32) के जबड़े में ट्यूमर था। एमिलो ब्लास्टोमा ट्यूमर से चेहरे पर सूजन, दर्द व दांत गिरने लगे थे। ऐसे में16 अक्टूबर को माइक्रो वैस्कुलर तकनीक से ऑपरेशन किया गया। करीब छह घंटे ऑपरेशन हुआ। इसमें पहले जबड़े की हड्डी काटकर ट्यूमर समेत अलग की गई। इसके बाद पैर की फिबुला हड्डी को आर्टरी व वेन समेत निकाला गया। यह हड्डी जबड़े में फिक्स कर दी गई। वहीं, ऑटरी व वेन गले की रक्त वाहिकाओं से कनेक्ट कर दिया गया। नस व धमनियों में रक्त का प्रवाह शुरू हो गया। ऐसे में मरीज का अब दोबारा ऑपरेशन नहीं करना पड़ेगा।
पहले दो स्टेप में होती थी सर्जरी
पहले जबड़े में हड्डी के बजाय टाइटेनियम की प्लेट लगा दी जाती थी। दो-तीन वर्ष में मरीज की प्लेट खराब हो जाती थी। इसके बाद मरीज को प्लास्टिक सर्जरी के लिए भेजा जाता था। यहां डॉक्टर माइक्रो वैस्कुलर सर्जरी करते थे। ऐसे में मरीज को डबल ऑपरेशन से छुटकारा मिला। साथ ही प्लेट का धन भी खर्च नहीं करना पड़ेगा।
मुफ्त में ऑपरेशन
डॉ. यूएस पास के मुताबिक निजी अस्पताल में इस ऑपरेशन पर मरीज को सात से आठ लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं। वहीं, दंत संकाय में नि:शुल्क हुआ। उन्होंने बताया कि उत्तर भारत के किसी भी अस्पताल के दंत संकाय में माइक्रो वैस्कुलर तकनीक से ऑपरेशन नहीं हो रहा है। ऑपरेशन टीम में एनस्थीसिया विभाग की डॉ. मोनिका कोहली, चीफ रेजिडेंट रूप गांगुली, डॉ. रेंगा समेत अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की टीम शामिल थी।