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लखनऊ में दान-पुण्य के साथ मनी निर्जला एकादशी, जल कलश का दान करने की परंपरा का भी निर्वहन

डालीगंज स्थित श्री माधव मंदिर में भगवान विष्णु की उपासना का पर्व निर्जला एकादशी मनाया गया है। पुजारी लालता प्रसाद के अनुसार निर्जला एकादशी के दिन दान-पुण्य और गंगा नदी में स्नान करने का विशेष फल मिलता है।

By Mahendra PandeyEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 03:30 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 03:30 PM (IST)
लखनऊ में दान-पुण्य के साथ मनी निर्जला एकादशी, जल कलश का दान करने की परंपरा का भी निर्वहन
श्रद्धालुओं ने निर्जल व्रत रख कर किया भगवान विष्‍णु का पूजन।

लखनऊ, जेएनएन। ज्‍येष्‍ठ शुक्ल निर्जला एकादशी पर सोमवार को श्रद्धालुओं ने निर्जला व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की। जल कलश का दान करने की परंपरा का निर्वहन भी किया। आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि यह व्रत रखने वालों को वर्ष भर की एकादशियों का फल प्राप्त हो जाता है। पूरे साल की सभी एकादशियों में से ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी सर्वोत्तम मानी गयी है। श्रद्धालुओं ने अन्न, मिट्टी का घड़ा, छतरी, जूता, पंखी तथा फला आदि का दान करके पुण्य प्राप्त किया। महिलाओं के अलावा पुरुषों ने भी आराधना करके भगवान विष्‍णु से कोरोना संक्रमण से मुक्ति की कामना की।

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डालीगंज स्थित श्री माधव मंदिर में भगवान विष्णु की उपासना का पर्व निर्जला एकादशी मनाया गया है। पुजारी लालता प्रसाद के अनुसार, निर्जला एकादशी के दिन दान-पुण्य और गंगा नदी में स्नान करने का विशेष फल मिलता है। धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि निर्जला एकादशी का व्रत सालभर की 24 एकादशी में सर्वोत्तम व्रत होता है। मंदिर के प्रवक्ता अनुराग साहू ने बताया कि सुबह से ही मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा। श्रद्धालुओं ने पंखा, मटका, फल, फूल व अनाज का दान किया।

आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि महाभारत काल में इसी व्रत को करके पांडु पुत्र भीमसेन ने 10 हजार हाथियों का बल प्राप्त कर दुर्योधन के ऊपर विजय प्राप्त की थी। इसलिए इस व्रत को भीमसेनी एकादशी व्रत भी कहा जाता है। मनकामेश्वर मंदिर में महंत देव्या गिरि ने व्रती महिलाओं के साथ भगवान विष्‍णु का पूजन-अर्चन किया। ओम ब्राह्मण महासभा के संयोजन में शिव मंदिर खदरा परिसर में महिलाओं ने पूजन किया और दान किया। 


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