High Court : एजी का रूटीन कार्यभार अपर महाधिवक्ताओं को सौंपना गलत नहीं
हाईकोर्ट ने खारिज की जनहित याचिका कहा महाधिवक्ता के अर्जेंट व रूटीन कार्यभार अपर महाधिवक्ताओं को सौंपना गलत।
लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि महाधिवक्ता के अर्जेंट व रूटीन कार्यभार अपर महाधिवक्ताओं को सौंपना गलत नहीं है और न ही यह महाधिवक्ता की संवैधानिक शक्तियों में हस्तक्षेप है। इसके साथ ही कोर्ट ने अपर महाधिवक्ताओं को कार्यभार सौंपने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है।
यह आदेश जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल और जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की बेंच ने अधिवक्ता अशोक पांडेय की ओर से दाखिल याचिका पर दिया। याचिका में राज्य सरकार के 26 जून के एक सर्कुलर को चुनौती दी गई थी जिसके पैरा- 3 में कहा गया था कि महाधिवक्ता राघवेंंद्र सिंह के इलाहाबाद में उपस्थित न रहने की दशा में उनका अर्जेंट व रूटीन कार्य अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल तथा लखनऊ में न रहने की दशा में अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही सम्पादित करेंगे। याची का कहना था कि महाधिवक्ता का पद संवैधानिक पद है। उक्त पद का कार्यभार उस पद को ग्रहण करने वाले व्यक्ति को ही दिया जा सकता है। महाधिवक्ता चाहे इलाहाबाद में हों या लखनऊ में अथवा देश के किसी अन्य स्थान पर, उनका कार्य सिर्फ वही कर सकते हैं। याची का यह भी कहना था कि यदि महाधिवक्ता बीमारी अथवा किसी अन्य वजह से उपलब्ध नहीं हैं तो नए सक्षम व्यक्ति को इस पद पर नियुक्त करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अपर महाधिवक्ताओं को अर्जेंट व रूटीन कार्य सौंपना व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए लिया गया प्रशासनिक निर्णय मात्र है। इसका आशय यह नहीं कि महाधिवक्ता की संवैधानिक शक्तियों में हस्तक्षेप किया जा रहा है।