ओमिक्रोन के बढ़ते मामले देख सतर्क हुईं आईटी कंपनियां, वर्क फ्राम होम पर लिया यह फैसला
कर्मचारियों से मिल रही बेहतरीन प्रोडक्टिविटी और ओमिक्रोन के बढ़ते मामलों के बीच कंपनियों ने लिया फैसला। अधिकतर आइटी कंपनियां वर्क फ्राम पर ही काम ले रही हैं। ओमिक्रान से संक्रमण की बात को देखते हुए अभी रिस्क लेने का कोई मतलब नहीं है।
लखनऊ, [पुलक त्रिपाठी]। कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम (डब्ल्यूएफएच) फार्मूले पर परिवर्तित कर गई आइटीटेलीकॉम कंपनियों को यह फार्मूला रास आ गया। देश की नामचीन आइटी कंपनियों ने मौजूदा परिस्थितियों को आकलन कर निर्णय लिया, और डब्ल्यूएफएच फार्मूले पर ही काम जारी रखने की घोषणा की है। इसके पीछे कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के बढ़ते मामले भी अहम कारण हैं। वर्क फ्राम होम को कंपनियाें ने अपने अपने अनुसार तय किया है, मगर माना जा रहा है अभी यह व्यवस्था आगे भी बरकरार रहेगी। इसके पीछे कंपनियों का मकसद अपने इम्प्लाइज को ओमिक्रोन के किसी भी संभावित खतरे से बचाने, स्वास्थ्य माहौल मुहैया कराने के साथ ही कास्ट रिड्यूस करना भी है।
कंपनियों को लाभ
- कोरोना के नए वैरिएंट से संभावित संक्रमण से बचाव के लिए सार्थक विकल्प
- इम्प्लाइज से मिल रही अधिक प्रोडक्टिविटी
- कंपनी के लिए इम्प्लाइज की अधिक समय के लिए उपलब्धता
- परिवार के साथ रहकर काम करने से इम्प्लाइज में रहता है अधिक उत्साह
- आफिस बुलाने पर इम्प्लाइज पर आने वाले खर्च की बचत
- इम्प्लाइज को अबतक उपलब्ध कराए जा रहे इंफ्रा का दूसरे कामों में इस्तेमाल
अधिकतर आइटी कंपनियां वर्क फ्राम पर ही काम ले रही हैं। ओमिक्रान से संक्रमण की बात को देखते हुए अभी रिस्क लेने का कोई मतलब नहीं, क्योंकि काम पहले की तरह ही बहुत अच्छे ढंग से चल रहा है। हमारे इंप्लाई भी घर पर रहते हुए अच्छा परफार्म कर रहे हैं। हमने अभी 20 दिन के लिए डब्ल्यूएफएच को जारी रखने के निर्देश दिए हैं। अनिवार्य सेवा से जुड़े इंप्लाइज जिनकी जरूरत है, वही आफिस आ रहे हैं। -अभय वैश्य, सेंटर हेड, एरिक्शन ग्लोबल इंडिया, नोयडा
उन्हीं इंप्लाइज को आफिस बुलाया जा रहा है जिनकी जरूरत है। स्वेच्छा से ही कुछ लोग आफिस आ रहे हैं, बाकी वर्क फ्राम होम से कंपनी को अच्छा आउटपुट मिल रहा है। अभी इसी पैटर्न पर काम जारी रहेगा। -ऋषि कुमार, सेंटर हेड, एचसीएल, लखनऊ
आइटी कंपनियों में अभी डब्ल्यूएफएच को जारी रखा गया है। आफिस से काम लेेने पर कंपनियां प्लान ही कर रहीं थी कि ओमिक्राेन आ गया। अभी ज्यादातर कंपनियां डब्ल्यूएफएच पर ही रहेंगी। - जयंत कृष्णा, चीफ एक्जीक्यूटिव आफीसरफाउंडेशन फार एडवासिंग साइंस एंड टेक्नोलाजी
ओमिक्रोन तो एक अहम कारण है ही। इसके इतर सबसे बड़ी बात यह है कि सुबह आफिस के लिए निकलने पर जाम का भी सामना करना पड़ जाता है। इससे इंप्लाइज का टाइम अनावश्यक बर्बाद होता है। ऐसे में एक इंप्लाई की दिन में चार घंटे की प्रोडक्टिविटी आने जाने में बर्बाद हो रही है। आनलाइन ने यह साबित कर दिया कि इससे इंप्लाइज की प्रोडक्टिविटी बेहतर हुई है। इसके अलावा अब एआई समेत अन्य ऐसे टूल्स एंड टेक्निक भी विकसित हो चुके हैं, जिससे इंप्लाई की मानीटरिंग भी आसानी से की जा सकती है। ऐसे में इंप्लाई की लोकेशन के मायने नहीं रहे। यही कारण है कि कंपनियां डब्ल्यूएफएच को बेहतर मान रही हैं। निश्चित तौर पर यह बड़ा बदलाव है। -प्रो अरुण शैरी, डायरेक्टर ट्रिपल आइटी लखनऊ
इंप्लाइज की संख्या
- एरिक्शन ग्लोबल, नोएडा : 7000
- एचसीएल लखनऊ : 6000
- एडोब इंडिया नोएडा : 5000
- टेक महिंद्रा : (एक लाख, 20 हज़ार) देशभर में