चादर मैली है या डॉक्टर नहीं आए...हर कोविड अस्पतालों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नजर
उत्तर प्रदेश में जब से कोरोना संक्रमण की महामारी ने पैर पसारे हैं तभी से इसके खिलाफ जंग की कमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद संभाल रखी है।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। कोरोना संक्रमण से बचाव और उपचार को हर संभव प्रयास कर रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तमाम कार्य ऐसे किए हैं, जो संभवत: दूसरे राज्यों के लिए भी उदाहरण बने हैं। ऐसा ही अनूठा योगी का कोविड अस्पतालों की निगरानी का भी मॉडल है। जिलों में नोडल अफसर, जिलाधिकारी और अन्य अधिकारी तो अलग हैं, सीधे मरीजों से फीडबैक की सीएम योगी ने अलग व्यवस्था बनाई है। किसी भी अस्पताल में चाहे चादर मैली बिछी हो या डॉक्टर या नर्स समय पर नहीं आए, इसकी रिपोर्ट हर शाम को मुख्यमंत्री के सामने होती है। हालांकि, अब तक सीएम योगी इंटेलिजेंस की रिपोर्ट में अधिकतर अस्पतालों से सकारात्मक फीड बैक ही मिला है।
उत्तर प्रदेश में जब से कोरोना संक्रमण की महामारी ने पैर पसारे हैं, तभी से इसके खिलाफ जंग की कमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद संभाल रखी है। सबसे पहले उन्होंने शासन स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों की टीम-11 बनाई। उसके साथ प्रतिदिन खुद बैठक कर हालात और व्यवस्थाओं की समीक्षा करते हैं। इसके अलावा हर राज्य से श्रमिक-कामगारों की वापसी और वहां उनकी मदद के लिए नोडल अधिकारी, फिर प्रदेश के सभी जिलों में व्यवस्थाओं की निगरानी के लिए नोडल अधिकारियों की तैनाती कर दी।
नोडल अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है कि अपने-अपने जिले में कोविड अस्पताल और क्वारंटाइन सेंटरों का निरीक्षण कर देखते रहें कि मरीजों को किसी भी प्रकार की कोई समस्या न हो। सारे प्रबंध बेहतर हों। इसकी रिपोर्ट भी ली जा रही है। इस सबके ऊपर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक और निगरानी तंत्र बनाया है, जो यह सुनिश्चित कर रहा है कि तमाम प्रयासों के बाद भी कहीं कोई कमी न रह जाए।
दरअसल, मुख्यमंत्री के विशेष सचिव सुरेंद्र सिंह काेविड मरीज और मुख्यमंत्री के बीच की कड़ी बने हुए हैं। वह हर दिन अलग-अलग क्षेत्रों के 15 से 20 अस्पतालों के 35-40 कोरोना संक्रमित मरीजों से फोन पर बात करते हैं। अस्पताल की व्यवस्था के संबंध में उनसे फीडबैक लेते हैं। वह जो भी जवाब देते हैं, उसकी पूरी रिपोर्ट तैयार कर शाम को मुख्यमंत्री को सौंप देते हैं। इसके बाद यदि कहीं खामी पाई जाती है तो संबंधित जिलाधिकारी, नोडल आफिसर, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी आदि को निर्देशित कर उस कमी में सुधार करा दिया जाता है।
मुख्यत: इन बिंदुओं पर ली जा रही रिपोर्ट
- क्या डॉक्टर प्रतिदिन राउंड पर आ रहे हैं?
- नर्स समय पर राउंड पर या देखभाल करने आती हैं क्या?
- खाना दिन में कितनी बार और कैसा मिल रहा है?
- वार्ड और शौचालय की सफाई व्यवस्था कैसी है?
- प्रतिदिन बेड की चादर बदली जाती है नहीं?
- इलाज से संतुष्ट हैं या नहीं?
रिपोर्ट में पूरी पारदर्शिता : फीडबैक की यह रिपोर्ट पूरी पारदर्शिता से तैयार की जा रही है। विशेष सचिव सुरेंद्र सिंह ने रविवार को शाम तक 16 अस्पतालों में फोन कर मरीजों से बात की। मसलन, दीनदयाल उपाध्याय संयुक्त चिकित्सालय वाराणसी के मरीज डॉ. विकास दीक्षित, मनीष कुमार और प्रीतम कुमार यादव डॉक्टर, नर्स और खाने की व्यवस्था सही बताई, जबकि सफाई से वह संतुष्ट नहीं थे और मैली चादरें नहीं बदले जाने की बात बताई। वहीं, फीरोजाबाद के मेडिकल कॉलेज में भर्ती नेत्रपाल सिंह ने सभी व्यवस्थाओं से संतोष जताया।
मरीजों को बेहतर इलाज हो यही मकसद : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विशेष सचिव सुरेंद्र सिंह ने बताया कि सीएम योग का मकसद यही है कि प्रत्येक कोविड अस्पताल की व्यवस्था बेहतर हो। मरीजों को बेहतर इलाज हो। ऐसा न हो कि तमाम प्रयासों के बाद भी कहीं कोई कमी रह जाए और उसकी जानकारी सरकार तक पहुंच सके। इसी मकसद से सीधे मरीजों को फोन कर फीडबैक लिया जा रहा है। जहां भी कमी मिलती है, उसे सही करा दिया जाता है। वैसे ज्यादातर मरीज अच्छा ही फीडबैक दे रहे हैं। संभवत: निगरानी की ऐसी व्यवस्था किसी और राज्य में नहीं होगी।