Interview : द्रोणाचार्य बनने के बाद जिम्मेदारी और भी बढ़ी - पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी गौरव खन्ना
Interview पूर्व पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी और प्रदेश के पहले द्रोणाचार्य अवॉर्डी गौरव खन्ना ने अपने अनुभव साझा किए। गौरव खन्ना के मुताबिक यूपी तो छोडिय़े देशभर में पैरा बैडमिंटन की कोई अकादमी नहीं है। यहां खुलने से लखनऊ के साथ राज्यभर के खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण में मदद मिलेगी।
लखनऊ, जेएनएन। खेल का मतलब ही चुनौती है, इसलिए एक खिलाड़ी को हमेशा इसके लिए तैयार रहना चाहिए। मेरे जीवन में कई बार उतार-चढ़ाव आए, लेकिन मैं अपने लक्ष्य से कभी भटका नहीं। जब मुझे भारतीय पैरा बैडमिंटन टीम का मुख्य कोच बनाया गया तो मेरे सामने कई चुनौतियां थी, पर संयम व जी-तोड़ मेहनत की बदौलत सबकुछ आसान हो गया और भारतीय खिलाडिय़ों ने दुनियाभर में अपने खेल का लोहा मनवाया। यह कहना है पूर्व पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी और प्रदेश के पहले द्रोणाचार्य अवॉर्डी गौरव खन्ना का।
मंगलवार को दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने कहा, जिस दिन मुझे द्रोणाचार्य देने की घोषणा हुई, उस दिन से देश और पैरा खिलाडिय़ों के प्रति मेरी जिम्मेदारी और बढ़ गई।
रायबरेली रोड पर स्थित एक निजी स्कूल में देश की पहली पैरा बैडमिंटन अकादमी खुलने पर गौरव ने खुशी जताते हुए कहा, यह लखनऊ सहित पूरे प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि है। वह बताते हैं कि अभी तक उत्तर प्रदेश तो छोडिय़े, देशभर में पैरा बैडमिंटन की कोई अकादमी नहीं है। यहां खुलने लखनऊ के साथ राज्यभर के खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण हासिल करने में मदद मिलेगी। इस अकादमी में चार कोर्ट बने है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर की सभी सुविधाएं भी मिलेगी। अब लखनऊ में पैरा के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट हो सकेंगे। उन्होंने कहा, मैं इस बात का भरोसा देता हूं कि वह दिन दूर नहीं है जब इस अकादमी के खिलाड़ी ओलंपिक से खेल के महाकुंभ में देश का प्रतिनिधित्व करते देखे जाएंगे। इसके लिए मैं युद्धस्तर पर काम शुरू करने जा रहा हूं।
द्रोणाचार्य गौरव खन्ना के मुताबिक, शहर में इस अकादमी के खुलने में पैरा बैडमिंटन एसोसिएशन का भी सहयोग है। प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों की तलाश के लिए दिसंबर दूसरे सप्ताह से टैलेंट सर्च के नाम से ट्रायल कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसका आयोजन शहर के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में होगा। इस संबंध में जल्द ही आधिकारिक जानकारी दी जाएगी।
सुविधाओं की कमी है, खिलाडिय़ों की नहीं
भारतीय कोच का कहना है कि लखनऊ से लेकर प्रदेशभर में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। अगर कमी है तो सिर्फ सुविधाओं की। क्योंकि किसी खिलाड़ी को उच्च स्तरीय ट्रेनिंग के साथ अच्छी डाइट की जरूरत होती है जो आर्थिक रूप से कमजोर खिलाडिय़ों के लिए मुश्किल है। उन्होंने कहा, इस तरह प्रतिभाओं की राह में आर्थिक संकट एक बड़ा रोड़ा है। मुझे लगता है कि सक्षम लोगों को ऐसे खिलाडिय़ों की मदद के लिए आगे आना चाहिए।