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रेलवे अधिकारी के छोटे बंगले का बड़ा खेल, विजिलेंस टीम को मिले आंतरिक जांच के आदेश

भारतीय रेलवे इंजीनिरिंग सर्विस (आइआरएसई) के वर्ष 2008 बैच के अधिकारी पुनीत कुमार के घर मिली इतनी बड़ी रकम की सूचना मिलने पर रेलवे बोर्ड में हड़कंप मच गया। आनन-फानन रेलवे बोर्ड की एक विजिलेंस टीम को आंतरिक जांच के आदेश दिए गए हैं।

By Rafiya NazEdited By: Published: Thu, 08 Apr 2021 03:53 PM (IST)Updated: Thu, 08 Apr 2021 03:53 PM (IST)
रेलवे अधिकारी के छोटे बंगले का बड़ा खेल, विजिलेंस टीम को मिले आंतरिक जांच के आदेश
वर्ष 2008 बैच के भारतीय रेलवे इंजीनियङ्क्षरग सर्विस के अधिकारी हैं पुनीत कुमार।

लखनऊ, जेएनएन। रेलवे का बड़ा अफसर और छोटा बंगला। उस पर 2.47 करोड़ रुपये नकद घर में रहने पर हत्या की जो वारदात हुई। उसने एक बार फिर से सवालों को जन्म दे दिया है। भारतीय रेलवे इंजीनिरिंग सर्विस (आइआरएसई) के वर्ष 2008 बैच के अधिकारी पुनीत कुमार के घर मिली इतनी बड़ी रकम की सूचना मिलने पर रेलवे बोर्ड में हड़कंप मच गया। आनन-फानन रेलवे बोर्ड की एक विजिलेंस टीम को आंतरिक जांच के आदेश दिए गए हैं। यह टीम पुनीत कुमार की अब तक की तैनाती, हर साल रेलवे को घोषित की जाने वाली आय और संपत्ति की जानकारी जैसे कई पहलुओं की जांच करेगी।

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पुनीत कुमार जिस रेलवे की निर्माण इकाई में उप मुख्य अभियंता हैं उस विभाग के हर एक अधिकारी के पास इस समय औसतन 500 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट है। पुनीत कुमार पिछले पांच साल से लखनऊ में ही टिके हुए हैं। जिस जंघई-अमेठी की 88 किमी. रेलखंड की डबलिंग की जा रही है, उसकी प्रति किलोमीटर की लागत करीब 10 करोड़ रुपये आती है। जबकि यदि बीच में ओवरब्रिज या अंडरपास का निर्माण करना हो तो यह 15 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर होती है। ऐसे में 800 करोड़ रुपये से अधिक के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे पुनीत कुमार के घर 2.47 करोड़ रुपये की नकदी मिलने के बाद अब उनकी संपत्तियों की जांच की जा सकती है। रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो कंस्ट्रक्शन में टेंडर से जुड़े काम चार अफसरों की कमेटी करती है। जिसमें तीन टेंडर अथारिटी और एक स्वीकृति प्रदान करने वाले अधिकारी होते हैं।

ऊंचे रसूख से हुई तैनाती: भारतीय इंजीनियरिंग सेवा के अधिकारियों की सबसे बड़ी चाहत इन दिनों रेलवे की निर्माण इकाई में तैनाती की होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसी इकाई के पास अब रेल डबलिंग और विद्युतीकरण जैसे बड़े प्रोजेक्ट रहते हैं। पुनीत कुमार की लखनऊ में तैनाती उनके एक पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी होने के कारण बतायी जा रही है।

कहीं और भी तो नहीं है बेनामी कैश: माना जा रहा है कि जंघई-अमेठी डबलिंग प्रोजेक्ट में ही रेलवे की निर्माण इकाई और काम करने वाली कंपनी के बीच 16 करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन हुआ है। हालांकि अधिकांश अधिकारियों ने विदेशों तक में प्रापर्टी खरीदी है। घर पर इतनी बड़ी रकम रखने का जोखिम अफसर नहीं उठाते हैं। निर्माण इकाई के एक अफसर के पास ही शहीद पथ पर खुले नए शापिंग मॉल में पांच दुकानें बेनामी होने का दावा किया जा रहा है।

ऐसे रेलवे में जुड़े पुनीत कुमार: घर पर 2.47 करोड़ रुपये कैश मिलने के मामले के बाद चर्चा में आए रेलवे अधिकारी पुनीत कुमार वर्ष 2007 में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफल हुए और अगले साल वर्ष 2008 बैच के अधिकारी बने। पुनीत कुमार को उत्तर रेलवे का जोन आवंटन किया गया। वह सहायक अभियंता जैसे पदों पर भी रह चुके हैं।

पहले भी मिली बेनामी संपत्ति: रेलवे की निर्माण इकाई के एक वरिष्ठ अफसर के पास उत्तर सीमांत रेलवे में तैनाती के दौरान सीबीआइ छापे में बड़े पैमाने पर कैश और बेनामी संपत्ति मिली थी। हालांकि इस मामले में अब तक रेलवे की ओर से कठोर कार्रवाई नहीं की गई।


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