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Interview : रंगमंच की नई पीढ़ी तैयार करने की जरूरत- सलीम आरिफ

भारतेंदु नाट्य अकादमी लखनऊ से नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा और फिर फिल्मों तक का कामयाब सफर तय करने वाले सलीम आरिफ लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र भी हैं। सलीम आरिफ ने कहा लविवि के विद्यार्थियों के लिए आयोजित करेंगे एक महीने की थियेटर वर्कशॉप।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 08:06 AM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 08:06 AM (IST)
Interview :  रंगमंच की नई पीढ़ी तैयार करने की जरूरत- सलीम आरिफ
लविवि में शताब्दी उत्सव के चौथे दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम में नाटक पासा के बारे में जानकारी देते निर्देशक सलीम आरिफ।

लखनऊ, जेएनएन। थियेटर की दुनिया में प्रयोगधर्मिता का पर्याय बन चुके सलीम आरिफ का लखनऊ से रिश्ता पुराना है। लखनऊ उनका घर होने के साथ ही थियेटर की शिक्षा भी उन्होंने यहीं से ली। भारतेंदु नाट्य अकादमी, लखनऊ से नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा और फिर फिल्मों तक का कामयाब सफर तय करने वाले सलीम आरिफ लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र भी हैं। लविवि शताब्दी वर्ष में वो स्वयं निर्देशित प्ले पांसा लेकर आए तो उनसे बातचीत का मौका मिला।

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सलीम आरिफ कहते हैं, भारतेंदु नाट्य अकादमी में ज्यादा वक्त नहीं रह पाया, पर वो समय हमेशा याद है। अनुपम खेर के समय में छह महीने के लिए अकादमी में रहे। चार साल नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से रंगमंच प्रशिक्षण लिया। वो कहते हैं, लखनऊ में रंगमंच की अपार संभावनाएं हैं, बस यहां रंगमंच की नई पीढ़ी तैयार करने की जरूरत है। लखनऊ के थियेटर में कुछ चुनिंदा नाम ही जुबान पर आते हैं। इन नामों में नये नाम भी जुड़ने चाहिए। रंगमंच प्रशिक्षण की दिशा में भी गंभीरता से सोचना और योजना बनाने की आवश्यकता है। रंगमंच में प्रयोगधर्मिता को भी बढ़ावा मिलना चाहिए।

लाइटिंग से किया था रंगकर्म में प्रवेश

बीए में पढ़ाई के दौरान रंगयात्रा शुरू की थी। जब नाट्य कर्म की बात होती है तो लोग नाटक में अभिनय करके मंच पर सामने आने की कोशिश करते हैं, पर सलीम आरिफ ने बैक स्टेज में लाइटिंग के काम के साथ रंगकर्म में प्रवेश किया था। वो अद्भुत समय था। डालडा के डिब्बों को काटकर उस पर ग्लेस पेपर लगा-लगाकर नाटकों को रोशन करते थे।

लविवि में थियेटर वर्कशॉप का वादा

सलीम आरिफ विश्वविद्यालय आए तो विद्यार्थियों ने उन्हें उनका थियेटर वर्कशॉप आयोजित करने का वादा भी याद दिलाया। इस पर सलिम आरिफ कहते हैं, रंगमंच की नई पौध तैयार करना भी हमारी ही जिम्मेदारी है। तीस वर्षों से रंगमंच की जो मशाल मैंने थामी है, वो अब नई पीढ़ी को देने का वक्त है। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए अगले साल एक महीने के लिए थियेटर वर्कशॉप करेंगे। लविवि विद्यार्थियों का एक प्ले भी तैयार करने का प्रयास रहेगा।


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