लखनऊ में पार्षद को हाउस टैक्स की नोटिस देने पर हटे निरीक्षक, महापौर को पत्र लिखकर कराया था मामले से अवगत
निरीक्षक ने आरोप लगाया था कि पार्षद रईस कुछ लोगों का हाउस टैक्स का निर्धारण गलत तरह से और कम करने का दबाव बनाते हैं। इसके लिए वह अपने लैटर पैड का उपयोग करते हैं जबकि भवन स्वामी की तरफ से कोई आपत्ति पत्र नहीं दिया जाता है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। एक तरफ अधिकारी हाउस टैक्स शतप्रतिशत करने का दबाव बना रहे हैं तो दूसरी तरफ वसूली अभियान में लगे कर्मचारियों का ही उत्पीडऩ किया जा रहा है। यह एक उदाहरण हो सकता है, जब सपा पार्षद के आगे अधिकारी झुक गए। हाउस टैक्स जमा न करने वाले आंबेडकर नगर वार्ड के पार्षद रईस को नोटिस देना नगर निगम के राजस्व निरीक्षक (श्रेणी-दो) हरिशंकर पांडेय को महंगा पड़ गया है। जोनल अधिकारी-दो अरुण चौधरी ने निरीक्षक की पीठ थपथपाने के बाद उसे ही वार्ड से हटा दिया। हरिशंकर को अब लेबर कालोनी वार्ड भेजा गया है। इससे उन निरीक्षकों में नाराजगी है, जिन पर हाउस टैक्स की वसूली करने का दबाव बनाया जा रहा है।
पिछले दिनों निरीक्षक ने महापौर को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि पार्षद रईस कुछ लोगों का हाउस टैक्स का निर्धारण गलत तरह से और कम करने का दबाव बनाते हैं। इसके लिए वह अपने लैटर पैड का उपयोग करते हैं, जबकि हाउस टैक्स कम करने के लिए भवन स्वामी की तरफ से कोई आपत्ति पत्र नहीं दिया जाता है। पार्षद के मकान और कार्यालय में व्यावसायिक उपयोग हो रहा है, जिस पर हाउस टैक्स का पंद्रह लाख बकाया है और बकाया जमा करने की नोटिस देने पर वार्ड से हटा देने की धमकी भी देते हैं।
हालांकि पार्षद रईस का कहना था कि निरीक्षक हरिशंकर पांडेय हाउस टैक्स की नोटिस भेजकर अवैध वसूली करना चाहते हैं। उनका कार्यालय रेलवे की जमीन बना है और निरीक्षक ने ग्यारह लाख का हाउस टैक्स का बिल बनाया था। पार्षद की बात सही हो सकती है, लेकिन कोई जनप्रतिनिधि रेलवे की जमीन पर कैसे निर्माण करा सकता है। रेलवे ने सरकारी संपत्तियों पर कब्जा करने का कोई मुकदमा तक नहीं लिखाया है।