पिता की जॉब गई तो लिया हुनर का सहारा..मिसेज ग्लोबल ने शेयर की पर्सनल LIFE
जोहांसबर्ग में तेजस्विनी ने जीता मिसेज ग्लोबल वल्र्ड का ताज। तेजस्विनी दैनिक जागरण से बातचीत में शेयर किए पसर्नल लाइफ के किस्से, जो आपको बता रहें हैं।
लखनऊ[जुनैद अहमद]। साउथ अफ्रीका के जोहांसबर्ग में आयोजित ग्लोबल वल्र्ड ताज 2018 में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहीं तेजस्विनी सिंह ने शनिवार को खिताब अपने नाम किया। अंतिम राउंड में तेजस्विनी 45 देशों की प्रतिभागियों को पीछे छोड़कर ताज अपने नाम किया। उनकी इस उपलब्धि से उनके परिवार के साथ उनके पैतृक गांव देवरिया के साथ ही राजधानी स्थित निवास में भी खुशी का माहौल है।
भारतीय संस्कृति और परिधानों को जीवन में उतारने वाली तेजस्विनी की इस जीत पर राजधानी में भी खुशी का माहौल है। उसके परिवार के साथ ही साथियों ने भी एक दूसरे का मुंह मीठा करके बधाई दी। तेजस्विनी की मां निर्मला सिंह ने बताया वह बचपन से ही बहुत मेहनती और क्रिएटिव है। अपनी मेहनत से आज उसने यह मुकाम हासिल किया। बचपन से ही पढ़ाई में अपनी बहन प्रियंका सिंह व भाई कुंवर आनंद प्रताप सिंह में सबसे तेज है। वह छोटी-छोटी चीजों से खुश हो जाती है।
कार्ड व ड्राइंग बनाकर चलाती थीं स्कूल का खर्चा
निर्मला सिंह ने बताया कि एक समय था जब हमारा परिवार बहुत मुश्किलों से गुजर रहा था। तेजस्विनी के पिता श्रीराम सिंह पूर्वाचल विकास निगम में थे, निगम बंद होने से बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उस समय तेजस्विनी ने कार्ड और ड्राइंग बनाकर अपने स्कूल के बच्चों को देती थी और उससे जो पैसे मिलते थे उससे वह अपना स्कूल का खर्च निकालती थी।
तेजस्विनी नेवी में जाना चाहती थीं
इंटरमीडिएट के बाद तेजस्विनी नेवी में जाना चाहती थीं। लेकिन इंटर में उसके पास गणित विषय नहीं था, इसलिए वह नेवी के लिए अप्लाई नहीं कर सकी। फिर वह एडवरटाइजिंग में आ गई। उसने मास कम्युनिकेशन किया और कई अखबारों में भी काम किया।
प्रतियोगिता में सबसे ज्यादा अंक मिले
पांच दिन तक चली प्रतियोगिता में तेजस्विनी ने हर चरण में सबसे ज्यादा अंक हासिल करने वाली कंट्री कल्चर राउंड में तेजस्विनी के कपड़ों में राधा- कृष्ण का समागम एक साथ देखने को मिला। भारतीय घाघरे में पूरे देश के हर राज्य की खास कला को पिरोया गया था। कथक व भरतनाट्यम के साथ मलेशिया और एशिया को हराते हुए तेजस्विनी मुख्य विजेता बनीं।
कैंसर पीडि़तों को लेकर गंभीर हैं तेजस्विनी
तेजस्विनी सिंह ने इस सफलता का श्रेय अपनी मां निर्मला सिंह को दिया है। उनका कहना है कि बेटियों को आगे बढ़ाने का सपना उनकी मां का रहा है। वह अपना पूरा समय कैंसर व अन्य बीमारियों से लडऩे के प्राकृतिक इलाज व कीमोथेरपी के दौरान होने वाले दुष्प्रभाव से बचाव की खोज पर देंगी।
एडवरटाइजिंग से मिली ग्लैमर की दुनिया
वर्ष 2010 में उसकी शादी बांदा के राज सिंह चौहान से हो गई। राज भी उसी क्षेत्र में काम करता है, जिसमें तेजस्विनी करती है। दोनों ने मिलकर लखनऊ में अपनी कंपनी डाल दी। उसी से उसको ग्लैमर की दुनिया मिली। वर्ष 2010 में पिता कैंसर से ग्रस्त हो गए। उनके इलाज में तेजस्विनी ने दिन-रात एक कर दिए।