तमाम कोशिशों के बाद आइएएस अनुराग की मौत में थमे तफ्तीश के कदम
एसआइटी ने बेंगलुरु जाकर भी पड़ताल की, लेकिन अनुराग के किसी घोटाले की जांच से जुड़े होने की बात पुलिस जांच में सामने नहीं आई।
लखनऊ (जागरण संवाददाता)। आइएएस अनुराग की मौत के मामले में एसआइटी ने शुरुआती जांच में तो तेजी दिखाई लेकिन बाद में धीरे-धीरे विवेचना की रफ्तार सुस्त पड़ती चली गई। घटना के 28 दिन बाद भी ठोस साक्ष्य नहीं जुटा सकी है। पुलिस किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए विसरा की फोरेंसिक जांच रिपोर्ट के सहारे है।
आइएएस अनुराग की मौत के मामले में हजरतगंज पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज की थी। जबकि एसएसपी ने पूरे मामले की जांच के लिए सीओ हजरतगंज अवनीश कुमार मिश्र के नेतृत्व में एसआइटी गठित की थी। शुरुआत में पुलिस ने फोरेंसिक टीम के साथ घटना के री-क्रिएशन से लेकर अन्य बिंदुओं पर तेजी से छानबीन की।
एलडीए वीसी प्रभु एन सिंह व राज्य अतिथि गृह के कर्मचारियों सहित अन्य लोगों के बयान भी दर्ज किए, लेकिन पुलिस जांच में यह स्पष्ट नहीं हो सका कि आइएएस अनुराग गेस्ट हाउस से कब और किन परिस्थितियों में बाहर आए थे।
एसआइटी ने बेंगलुरु जाकर भी पड़ताल की, लेकिन अनुराग के किसी घोटाले की जांच से जुड़े होने की बात पुलिस जांच में सामने नहीं आई। जिसके बाद से ही पुलिस जांच की रफ्तार लगातार सुस्त पड़ती चली गई। आइएएस की मौत के मामले में दर्ज हत्या के मुकदमे की विवेचना में पुलिस अब तक 25 से अधिक पर्चे काट चुकी है, लेकिन उसके पास एक भी ठोस साक्ष्य नहीं है। जिसकी मदद से पुलिस किसी नतीजे पर पहुंच सके।
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हालांकि मामले की सीबीआइ जांच की संस्तुति किए जाने के बाद पुलिस अपनी लिखापढ़ी जरूर दुरुस्त करने में जुटी रही। दूसरी ओर आइएएस अनुराग के परिवारीजन लगातार मामले की सीबीआइ जांच कराए जाने की मांग कर रहे हैं। परिवारीजन अपने स्तर से घटना से जुड़े तथ्य जुटाने का प्रयास कर रहे हैं।
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