Indo-Nepal Map Dispute: नक्शा बदलवा सकता है चीन....भारत-नेपाल का दिल नहीं
Indo-Nepal Map Dispute भारत की चाय के साथ नेपाली नागरिकों की होती है सुबह। सीमा के गांवों में दिख रही आपसी सौहार्द की झलक।
श्रावस्ती [विजय द्विवेदी, सुइया बार्डर]। Indo-Nepal Map Dispute: रात में सोते हैं नेपाल में और सुबह चाय की चुस्की लेते हैं भारत में। कुछ ऐसा ही भारत व नेपाल के अटूट रिश्ते सीमा पर दिख रहे हैं। सांस्कृतिक संबंध ही नहीं, बल्कि दोनों देशों में लगभग एक ही संस्कृति भी झलकती है। रोटी व बेटी का संबंध हजारों हजार साल से चला आ रहा है। सीमा विवाद से उपजे हालात के बाद सीमा पर सख्ती तो बढ़ी है, लेकिन तल्खी नहीं दिख रही है। दोनों देशों के नागरिकों का कहना है कि तल्खी बनाकर चीन नक्शा तो बदलवा सकता है, भारत-नेपाल का दिल नहीं बदल सकता है।
सीमा पर लगे स्तंभों पर ध्यान न जाए तो श्रावस्ती जिले से सटी 62 किमी सीमा पर कुछ ऐसे गांव हैं जो भौगोलिक रूप से भारत में हैं या नेपाल में, इसका अंदाजा नहीं लग पाएगा। दोनों देशों के रिश्तों को लेकर 'दैनिक जागरण' टीम लोगों के मन की बात लेने के लिए सुइया बार्डर पर पहुंची। वक्त करीब दो बजे का था। पहले जैसी न तो सुइया बाजार में रौनक थी और न ही तालबघौड़ा बाजार में। इधर एसएसबी के जवान तो उधर नेपाल के प्रहरी सुरक्षा में मुस्तैद दिखे। यहां से आठ किलोमीटर दूर चल कर रोशनपुरवा गांव पहुंचा गया तो गांव के बीच में रियाज शेख के चाय की दुकान पर लोगों की भीड़ एकत्र थी। यहां लोग दोनों देशों के हालात पर बातचीत कर रहे थे।
पकौड़ी भी छन रही थी। टीम को देखकर वहां मौजूद गांव पंचायत सदस्य जिबरील खां बोले- साहब आप लोग कहां से आए हैं। बताने पर कहा कि दोनों देशों के रिश्तों में कोई असर नहीं आया है। हम लोग जानित है कि इ चीन कै चाल है। हमार गांव तो ऐसा बसा है कि यहां दोनों देश के बीच कोई अंतर नहीं है। 80 वर्षीय गुज्जू शेख, समीउल्ला, समीम, रफीक बाबा, अब्दुल रसीद, सलाहुद्दीन आदि कहते हैं कि हम लोग भाई-भाई की तरह पहले जैसे ही रह रहे हैं। गांव से सटे उत्तरी छोर पर नेपाल के बांके जिले के लक्षनपुर पंचायत के रोशनपुरवा में मुसब्बिर व उनकी पत्नी कोयला तो सीमा विवाद के बारे में कुछ जानते ही नहीं हैं। विवाद से बेखबर नूरजहां कहतीं हैैं कि हमारी जरूरतें तो भारत से पूरी होती हैं।